
देश भर में पड़ रही अप्रत्याशित गर्मी से जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। जाहिर तौर पर इसका असर जीव जगत के साथ पानी की उपलब्धता पर भी पड़ा है। यही वजह है कि अब पूरे देश को गर्मी की तपिश से राहत पाने के लिए सभी को अच्छे माॅनसून की दरकार है। इस बीच Central Water Commission (CWC) की एक रिपोर्ट ने चिंता बढ़ा दी है। रिपोर्ट के मुताबिक अत्यधिक तापमान के कारण देश के बड़े जलाशयों एकत्र पानी की मात्रा में भारी गिरावट दर्ज की गई है। धरती और इंसानों की प्यास बुझाने के लिए इन जलाशयों में अब मात्र 21 फीसदी पानी बचा है। ऐसे में सभी की निगाहे मॉनसून पर टिकी हैं। देश को उम्दा बारिश की दरकार है, जिससे जीव जगत और जल क्षेत्रों को राहत मिल सके। गौरतलब है कि सीडब्ल्यूसी देश के सभी बड़े 150 जलाशयों में पानी एकत्र होने की क्षमता पर सतत निगरानी रखते हुए समय समय पर अपनी रिपोर्ट जारी कर सरकार को जल संग्रह क्षमता के बारे में वस्तुस्थिति से अवगत कराता रहता है।
प्यासे हैं जलाशय
आयोग द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार देश के 150 बड़े जलाशयों की अनुमानित Water Storage Capacity 257.812 बिलियन क्यूबिक मीटर है। गत 20 जून तक इनमें 37.662 बिलियन क्यूबिक मीटर है। यह इनकी कुल भंडारण क्षमता का महज 21 फीसदी ही है।
रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल इसी अवधि में इन जलाशयों में 46.883 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी था। इन जलाशयों में पिछले 10 सालों में औसत जल संग्रह 41.446 बिलियन क्यूबिक मीटर रहा। रिपोर्ट में इस साल इन जलाशयों में औसत जल भंडारण क्षमता से भी कम पानी बचा रहने पर चिंता जताई गई है। मई और जून में गर्मी अपने चरम पर जब पहुंची थी, तब तक भी स्थिति इतनी चिंताजनक नहीं हुई थी। रिपोर्ट के अनुसार 20 जून से पहले के 3 सप्ताह में इन जलाशयों में कुल जल संग्रह क्षमता 23 फीसदी तक पानी एकत्र था।
हालात सभी इलाकों में चिंताजनक
रिपोर्ट के अनुसार यह स्थिति उत्तर से लेकर दक्षिण तक, सभी राज्यों के जलाशयों में बरकरार है। भीषण गर्मी के कारण देश के बड़े जल संग्रह क्षेत्रों में जलस्तर तेजी से घटने का सिलसिला दक्षिण भारत में ज्यादा देखने को मिला। रिपोर्ट के अनुसार आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, केरल और तमिलनाडु में मौजूद 42 बड़े जलाशयों में 20 जून तक इनकी कुल जल संग्रह क्षमता का महज 16 फीसदी पानी बचा था। पिछले साल इस अवधि में इनका जलस्तर 20 से 21 फीसदी तक बरकरार रहा था।
इस लिहाज से उत्तर के पहाड़ी एवं मैदानी इलाकों में भी हालात चिंताजनक हैं। हिमाचल प्रदेश, पंजाब और राजस्थान सहित अन्य उत्तरी राज्यों के 10 बड़े जलाशयों में कुल भंडारण क्षमता का 28 फीसदी पानी बचा है। वहीं, पूर्वी क्षेत्र में असम, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, नगालैंड और बिहार के 23 बड़े जलाशयों में क्षमता के मुताबिक 23 फीसदी पानी बचा है। मध्य क्षेत्र में यूपी, एमपी, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ के 26 जलाशयों में क्षमता का 25 फीसदी पानी बचा है। वहीं सबसे अधिक जलाशयों वाले पश्चिमी जोन में मौजूद कुल 49 जलाशयों में मात्र 20.49 फीसदी ही पानी बचा है।
ऐसे में प्रचंड गर्मी के कारण देश की जल संग्रहण क्षमता पर पड़े गंभीर असर को देखते हुए सरकार और जनसामान्य को दक्षिण पश्चिम मॉनसून से काफी उम्मीदें हैं। मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक इस साल मॉनसून की गति को देखते हुए सामान्य बारिश का पूर्वानुमान जरूर जताया गया है, लेकिन पिछले कुछ सालों में मॉनसून के असमान वितरण को देखते हुए यह बात देखने वाली होगी कि देश के प्रमुख जल संग्रहण क्षेत्रों में कितनी बारिश होती है।