अमेरिका में यूपी की इस डॉक्यूमेंट्री ने मचाई धूम, जीता ऑस्कर अवार्ड
उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के काठी खेड़ा गांव की रहने वाली स्नेह पर बनी 25 मिनट की डॉक्यूमेंट्री 'पीरियड एंड ऑफ सेंटेंस' को ऑस्कर पुरस्कार मिला है। इसकी घोषणा हॉलीवुड के डॉल्बी थिएटर में रविवार देर को आयोजित 91वें ऑस्कर पुरस्कार समारोह में की गई।
ये डाक्यूमेंट्री गुनीत मोंगा द्वारा निर्देशित की गई है जो इससे पहले गैंग्स ऑफ वासेपुर, लंचबॉक्स और मसान जैसी बेहतरीन फिल्में बना चुकीं हैं। फिल्म पिछले दिनों ऑस्कर अवॉर्ड के लिए नॉमिनेट हुई थी। इसे ऑस्कर्स के शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री कैटेगरी में दुनियाभर की नौ और शॉर्ट डॉक्यूमेंट्रीज़ के साथ नॉमिनेट किया गया था। 21 फरवरी को ऑस्कर अवार्ड को पाने के लिए पूरी टीम दिल्ली एयरपोर्ट से अमेरिका के लिए रवाना हुई।
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हापुड़ के एक गाँव की महिलाओं की है कहानी
ये फिल्म उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के काथीखेड़ा गांव में महिलाओं के एक समूह पर आधारित है जो पैडमैन के नाम से मशहूर अरुणाचलम मुरुगंथम द्वारा बनाई गई लो-कॉस्ट मशीन से सैनिटरी नैपकिन बनाती हैं। इन महिलाओं पर ही ये डॉक्युमेंट्री 'पीरियड एंड ऑफ सेंटेंस' बनाई गई थी। समूह में कुल सात महिलाएं हैं, जो मिलकर रोजाना 600 पैड बनाती हैं। ये काम करने के लिए इनके पास कोई फैक्ट्री भी नहीं है बल्कि ये भैंसों के बाड़े के बगल में दो कमरे की फैक्ट्री में लकड़ी की लुगदी से इको-फ्रेंडली सैनिटरी नैपकिन बनाती हैं। ये 'पैड फ्लाइ' नाम के ब्रैंड के तहत बेचे जाते हैं। इसमें 6 नैपकिन का एक पैकेट है जिसकी कीमत 30 रुपये है।
फिल्म देती है चुप्पी तोड़ने का संदेश
ये डाक्यूमेंट्री गुनीत मोंगा द्वारा निर्देशित की गई है जो इससे पहले गैंग्स ऑफ वासेपुर, लंचबॉक्स और मसान जैसी बेहतरीन फिल्में बना चुकीं हैं। फिल्म कुछ ऐसे ही पहलुओं को देखते हुए बनाई गई है कि कैसे अभी भी माहवारी को लेकर तरह-तरह की भ्रांतियां हैं या लोग इसपर अभी भी खुलकर बात नहीं करते। फिल्म की शुरूआत एक ऐसे सीन से होत है जिसमें लड़कियों से पीरियड्स के बारे में पूछा गया तो वे फुसफुसाते हुए हंसती हैं और अपना चेहरा छिपा लेती हैं। एक दूसरी महिला ने कहा, 'मैं जानती तो हूं लेकिन मुझे शर्म आती है।' जब कुछ स्कूल जाने वाले लड़कों से पूछा गया कि पीरियड्स क्या हैं तो उनमें से एक ने बताया, 'जैसे क्लास पीरियड होता है? जब घंटी बजती है।' फिल्म में दिखाई गई स्नेह के पिता एक किसान हैं। स्नेह आज तक वह हापुड़ से आगे किसी दूसरे शहर भी नहीं गई, लेकिन अब वो ऑस्कर लेने अमेरिका गई है।
ऑस्कर अवॉर्ड जीतने पर गुनीत मोंगा ने भी ट्वीट किया- 'हम जीत गए। इस धरती पर मौजूद हर लड़की यह जान ले कि वह देवी है... हमने @Sikhya को पहचान दिलाई है।'
समूह से जुड़ी सभी महिलाएं बहुत खुश हैं, उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि उनके काम को पूरी दुनिया देखेगी। सभी ने एक दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशियां बांटीं।
ऑस्कर अवार्ड जीतने पर अभिनेता अक्षय कुमार ने टीम को बधाई दी।
प्रियंका चोपड़ा ने भी पूरे टीम को बधाई दी।
स्वास्थ्य पर काम करने वाली गैर सरकारी संस्था यूनीसेफ ने भी टीम को बधाई दी।
यूथ कांग्रेस ने भी फिल्म के ऑस्कर जीत पर टीम को बधाई दी।
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