जूनियर डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या के बाद आरजी कर मेडिकल कॉलेज देशभर में सुर्खियों में बना हुआ है। इस बीच कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ संदीप घोष पर कई गंभीर आरोप लगे हैं। अस्पताल के ही डिप्टी सुप्रीटेंडेंट डॉ अख्तर अली ने यहां चल रहे भ्रष्टाचार, गुंडागर्दी और वसूली के खेल का खुलासा किया था। उन्होने एक हज़ार पन्नों का दस्तावेज़ स्वास्थ्य विभाग को सौपा जिनमें सारे आरोपों के सबूत के साथ जानकारी दी गई थी लेकिन डॉ घोष के पहुंच के कारण जांच ठंडे बस्ते में चली गई।
डॉ घोष की राजनीतिक पहुंच का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि तीन-तीन बार तबादला आदेश जारी होने के बाद भी वह यहीं काबिज रहें। कोई नया प्राचार्य यहां कार्यभार न संभाल सके इसलिए अपने कार्यालय में ताला लगवा देते थे। इसी बीच अपना तबादला रुकवा लेते थे। घोष पर लगे आरोपों कि जांच के लिए अब सरकार ने एसआईटी का गठन किया है।
एसोसिएशन ऑफ हेल्थ सर्विस डॉक्टर्स वेस्ट बंगाल के महासचिव और अर्थोपैडिक सर्जन डॉ उत्पल ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग को सौपे दस्तावेजों में आरोप था कि मेडिकल कॉलेज में डॉ घोष का एक गिरोह है जो पार्किंग वालों से वसूली करता है आसपास के दूकानदारों से भी वसूली की जाती है। मेडिकल कचरे के निस्तारण में भरष्टाचार होता है। दवाओं की खरीद में वसूली होती है।
घटना को मैनेज करने में लग गए प्राचार्य
डॉक्टरों का एक तबका आरोप लगा रहा है की इस हत्या के पीछे डॉ संदीप घोष थे और वहीं बाद में सबकुछ मैनेज कर रहे थे। डॉ उत्पल ने कहा हमारा पहले से कहना है कि पिछले कुछ वर्षों से अस्पताल में गुडागर्दी और भ्रष्टाचार का जो राज चल रहा है यह घटना उसी का नतीजा है। गुंडों के साथ प्राचार्य का क्या संबंध है