तहव्वुर राणा को भारत लाने की राह हुई आसान

26/11 हमले के आरोपी तहव्वुर राणा को अमेरिका से भारत लाने का रास्ता साफ हो गया है। राणा के प्रत्यर्पण  के खिलाफ की गई अपील को US कोर्ट में खारिज कर दिया गया है। प्रत्यर्पण संधि के तहत अब राणा को भारत भेजा जाएगा। आरोपी राणा ने प्रत्यर्पण के खिलाफ अमेरिकी कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। हालांकि इससे पहले भी अमेरिका की एक अदालत ने उसकी याचिका खारिज कर दी थी। 26/11 हमले के मास्टरमाइंड डेविड कोलमन हेडली का दोस्त है तहव्वुर राणा।

अमेरिकी कोर्ट में दावा किया गया की तहव्वुर राणा को हमले के बारे में पहले से जानकारी थी। भारत ने पहले ही तहव्वुर राणा को भगोड़ा घोषित किया था। भारत अमेरिका के बीच पहले से ही संधि है तो राणा का प्रत्यर्पण भी संभव है। अगर ऐसा हो गया तो 26/11 हमले पर पाकिस्तान फिर से घिर जाएगा। हेडली को मुंबई में हुए हमले का मास्टरमाइंड माना जाता है। दस पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा किए गए इस हमले में देश-विदेश को मिलकर कुल 166 लोग मारे गए थे जिसमें 6 अमेरिकी नागरिक भी थे। राणा पिछले सात सालों से जेल में बंद है। न्यायाधीश मिलान डी स्मिथ, ब्रिगेड एस बाड़े और सिडनी ए फिट्जवाटर के पैनल ने माना की मुंबई हमले के मुख्य आरोपी हेडली का राणा द्वारा मदद करने के भारत के पास पुख्ता सुबूत हैं। उन सुबूतों की अनदेखी नहीं की जा सकती इसलिए राणा की उसे भारत को सौपने के आदेश को खारिज किए जाने की याचिका को स्वीकार करने की कोई वजह नहीं है।

पाकिस्तान की पैदाइश है राणा

तहव्वुर हुसैन राणा का जन्म एक मुस्लिम राजपूत परिवार में हुआ था और उसका पालन-पोषण पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चिचावतनी में हुआ था। तहव्वुर हुसैन राणा पाकिस्तान में ही पला-पढ़ा। उसने मेडिकल की पढ़ाई की और पाकिस्तान की सेना में डॉक्टर हो गया। तहव्वुर राणा की पत्नी भी डॉक्टर थी। बाद में दोनों 1997 में कनाडा चले गए गए। यहां कुछ साल रहकर काम किया और 2001 में कनाडा की नागरिकता ले ली। तहव्वुर राणा ने अमेरिका के शिकागो में एक इमीग्रेशन और ट्रैवल एजेंसी खोली। दूसरे कारोबार भी शुरू किए और बिजनेसमैन बन गया।

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