भारत ने गुरुवार को एक बार फिर बड़ी कामयाबी हासिल करते हुए पिनाका हथियार प्रणाली के उड़ान परीक्षण का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। यह टेस्ट डिफेंस रिसर्च एंड डेवलेपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) की तरफ से किया गया।यह सिस्टम पूरी तरह से देश में ही बनाया गया है। यह सिस्टम केवल 44 सेकेंड में 12 रॉकेट दाग सकता है, यानी हर 4 सेकेंड में एक रॉकेट।
रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इन परीक्षणों के दौरान, रॉकेट के व्यापक परीक्षण के माध्यम से प्रोविजनल स्टाफ क्वालिटेटिव रिक्वायरमेंट यानी पीएसक्यूआर के मापदंडों, जैसे कि रेंजिंग, सटीकता, स्थिरता और सैल्वो मोड (सैल्वो तोपखाने या आग्नेयास्त्रों का एक साथ इस्तेमाल है जिसमें लक्ष्य को भेदने के लिए तोपों से गोलीबारी शामिल है) में कई लक्ष्यों पर निशाना साधने की दर का आंकलन किया गया है। उन्होंने कहा कि यह परीक्षण तीन अलग-अलग जगहों पर किया गया। दो लॉन्चरों से कुल 24 रॉकेट दागे गए। ये सभी रॉकेट अपने लक्ष्य को सफलतापूर्वक भेदने में कामयाब रहे।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस कामयाबी पर DRDO और सेना को बधाई दी। उन्होंने कहा कि इस नए सिस्टम के जुड़ने से हमारी सेना और मजबूत होगी।
क्या है पिनाका रॉकेट लॉन्चरसिस्टम
पिनाका हथियार सिस्टम दुश्मनों के लिए काल बनकर टूटेगा। पिनका रॉकेट लॉन्चर सिस्टम का नाम भगवान शिव के धनुष ‘पिनाक’ के नाम पर रखा गया है। इसे DRDO के पुणे स्थित आयुध अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (ARDE) की तरफ से बनाया गया है।इसकी मारक क्षमता में जबरदस्त इजाफा हुआ है। अब ये 75 किलोमीटर दूर तक 25 मीटर के दायरे में सटीक निशाना लगा सकता है।
इसकी रफ्तार 1000-1200 मीटर प्रति सेकंड है, यानी एक सेकंड में एक किलोमीटर। फायर होने के बाद इसे रोकना नामुमकिन है। पहले पिनाका की मारक क्षमता 38 किलोमीटर थी, जो बढ़कर 75 किलोमीटर हो जाएगी। इसकी सटीकता भी पहले से कई गुना बेहतर हुई है।
ये है खासियतें…
1-मल्टी-बैरलरॉकेटसिस्टमपिनाकामेंदोपॉड्स होते हैं, जिसकी एक बैटरी में छह लॉन्च वाहन होते हैं।
2-ये केवल 44 सेकेंड के भीतर साल्वो मोड में सभी 12 रॉकेटों को फायर कर सकता है, यानी हर 4 सेकेंड में एक रॉकेट।
3-इसके लोडर सिस्टम, रडार और नेटवर्क आधारित सिस्टम एक कमांड पोस्ट के साथ जुड़े होते हैं।
4-वर्तमान में ये दो तरह का है। पहला मार्क-I जिसका रेंज 40 किलोमीटर है और दूसरा मार्क-II जिसकी रेंज 75 किलोमीटर है।
पिनाका रॉकेट लॉन्चर सिस्टम के विषयमें कुछ मुख्य बिंदु
- 1981 में भारतीय सेना को लंबी दूरी तक मार करनेवाली मिसाइलों की जरूरत हुई। 1986 में इस तरह की मिसाइल बनाने के लिए 26 करोड़ रुपए को दिए गए। 1999 जंग में पिनाका पाकिस्तान सेना पर जोरदार हमला करने में कामयाब रहा।
- 2000 में पिनाका के लिए एक अलग से रेजिमेंट बनाने की शुरुआत हुई। 19 अगस्त 2020 को पिनाका के नए वैरिएंट का पोखरण में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया।
- यूक्रेनजंग में रूसी सेना को पीछे जाने को मजबूर करनेवाले कई मॉडर्न हथियारों में से एक अमेरिकी हिमार्स मिसाइल भी है।लेकिन, हिमार्स को भारत के पिनाका ने पीछे छोड़ दिया है।पिनाका की ऑपरेशनल रेंज 800 किलोमीटर है, जबकि हिमार्स का 450 किलोमीटर है।
- इसी तरह पिनाका की फायरिंग कैपिसिटी एक बार में 12 रॉकेट है, जबकि हिमार्स की फायरिंग कैपिसिटी एक बार में 6 रॉकेट है। इन दोनों मामलों में अमेरिका हिमार्स से भारत का पिनाका आगे है।
गेम चेंजर पिनाका
भारतीय सेना की आर्टिलरी में शामिल पिनाका की बात करें तो पिनाका रॉकेट फ्री फ्लाइट है यानी की बस उसे लॉन्च किया गया तो वो अपने रेंज 37 किलोमीटर के हिसाब से जाकर गिरेगा। लेकिन उसकी ऐसी सटीकता नहीं थी कि ठीक निशाने पर हिट करे। वह एक एरिया वेपन के तौर पर है, लेकिन जो एक्सटेंडेड रेंज गाइडेड पिनाका है वो गाइडेड रॉकेट GPS नेविगेशन से लेस है यानी की एक बार टारगेट सेट कर दिया गया तो लॉन्च होने के बाद वो उस टार्गेट पर सटीक मार करेगा।
इसकी सटीक मारक क्षमता की बात करें तो ये टारगेट के 25 मीटर के आसपास हिट कर सकता है, जो कि एक बेहतर रेंज है। इस रॉकेट को पहले से ही प्रोग्राम किया गया होगा और लॉन्च करने के बाद जो ट्रेजेक्ट्री सेट की गई होगी वो उसी पर मूव करेगा। अगर किसी वजह से वो अपने ट्रेजेक्ट्री से कहीं भी इधर-उधर होता है, तो GPS की मदद से ऑन बोर्ड कंप्यूटर रॉकेट को वापस निर्धारित ट्रेजेक्ट्री पर ले जाएगा।
यही नहीं GPS को सपोर्ट करने के लिए इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (INS) लगा है। ये नेविगेशन की एक सबसे पुरानी पद्धति है, जो कि पुराने समय में समुद्र में जहाजों को नेविगेट करने में इस्तेमाल की जाती थी।
पिनाका से सबसे बड़ा लाभ
इससे सबसे बड़ा फायदा ये होता है कि अगर कोई सेटेलाइट GPS को ब्रीच करके उसे बाधित कर देगी तो भी INS के जरिए रॉकेट अपने टार्गेट को हिट करेगा। अभी जो पिनाका सेना में शामिल है उसकी क्षमता की बात करें तो एक साथ पूरी बैटरी दागने पर दुश्मन के 1000 गुना 800 मीटर के इलाके को पूरी तरह से तहस-नहस कर सकता है।
गाइडेड पिनाका वेपन सिस्टम के आने के बाद तो ये दुश्मन को तहस-नहस कर देगा। पिनाका की एक बैटरी में 6 फायरिंग यूनिट यानी लॉन्चर होते है और एक लॉन्चर में 12 ट्यूब होती है। यानी की एक बैटरी में कुल मिलाकर 72 रॉकेट होते हैं और महज 44 सेकेंड ये सारे रॉकेट लॉन्च हो जाते हैं। खास बात तो ये है कि लॉन्चिंग के तुरंत बाद से लॉन्चर अपना लोकेशन बदलते हैं और फिर दोबारा से आर्म्ड किए जा सकते है।
बहरहाल, अब इस सफल परीक्षण के बाद जल्द ही इस नए अवतार के करार का रास्ता साफ हो गया जो कि रेंज के हिसाब से सेना में शामिल रूसी मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर स्मर्च जो कि भारतीय सेना में सबसे लंबी मार करने वाले रॉकेट लॉन्चर है वो उसकी जगह लेगा। स्मर्च की मारक क्षमता 90 किलोमीटर की है। इसका एम्यूनेशन काफी महंगा है और रूस से इसे आज भी आयात किया जाता है। पिनाका स्वदेशी है तो एम्यूनेशन की कमी की परेशानी भी नहीं होगी।
फ्रांस और आर्मेनिया ने दिखाई रुचि
पिनाका रॉकेट लॉन्चर को अमेरिका के हिमर्स सिस्टम के बराबर माना जाता है और यह भारत का पहला प्रमुख रक्षा निर्यात रहा है। दरअसल, जंग लड़ रहे आर्मेनिया ने इसका पहला ऑर्डर हमें दिया था। अब फ्रांस ने भी इस रॉकेट सिस्टम में भी रुचि दिखाई है।
चीन-पाक की बढ़ेगी बेचैनी
पिनाक रॉकेट लॉन्चर का इस्तेमाल पहले से ही भारतीय सेना कर रही है। इसे पाकिस्तान और चीन सीमा पर तैनात किया गया है। इसकी क्षमता बढ़ने से अब दोनों देशों की बेचैनी भी बढ़ जाएगी।