
समय की अहमियत को परखने व इसका उपयोग करने में ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं भी अब पुरुषों से पीछे नहीं है। हाल ही में किए गए एक देश व्यापी सर्वे में यह बात सामने आई कि सीखने में शहर से ज्यादा समय गाँव के लोग खर्च कर रहे हैं। वर्ष 2024 में शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले ज्यादा लोगों ने सीखने की गतिविधियों में अपना समय व्यतीत किया।
पांच सालों में घटी लैंगिक असमानता
भारत में शिक्षा का मुद्दा उठने पर लैंगिक असमानता पर चर्चा होनी तय है। लेकिन, बीते पांच सालों के दौरान बेटियों ने लड़कों के साथ अंतर को कम किया है। रिपोर्ट के अनुसार, लड़के सीखने की गतिविधियों पर कम समय निवेश कर रहे हैं।
क्या होती है सीखने की गतिविधि ?
सीखने की गतिविधि में औपचारिक शिक्षा पर निवेश किया गया समय शामिल होता है। इसमें स्कूल/विश्वविद्यालय में उपस्थिति, पाठ्येतर गतिविधियां (खेल-कूद, डिबेट, कला आदि) होमवर्क शामिल हैं। इसमें सीखने से संबंधित यात्रा के दौरान निवेश किए जाने वाला समय भी शामिल किया गया है।
आंकड़ों से पता चलता है कि शहरी क्षेत्रों में लोग 2024 में प्रतिदिन 87 मिनट खर्च करते हैं, जबकि 2019 में यह 95 मिनट था। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग 2024 में 90 मिनट खर्च करते हैं, जबकि 2019 में यह 92 मिनट था।
2024 में 6 साल और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों से 24 घंटों की संदर्भ अवधि में समय उपयोग की जानकारी एकत्र की गई। उत्तरदाताओं से उनके द्वारा निर्धारित समय स्लॉट्स में किए गए कार्यों के बारे में पूछा गया और इन्हें संबंधित स्लॉट में दर्ज किया गया। यदि एक ही समय स्लॉट में कई गतिविधियाँ हुईं, तो अधिकतम तीन गतिविधियाँ, जो 10 मिनट या उससे अधिक समय तक की गई थीं, दर्ज की गईं।
मंत्रालय ने एक बयान में कही ये बात
बहरहाल, मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि भारत, आस्ट्रेलिया, जापान, कोरिया गणराज्य, न्यूजीलैंड, अमेरिका और चीन जैसे उन कुछ देशों में शामिल है जो राष्ट्रीय स्तर पर टाइम यूज सर्वे कराते हैं ताकि यह विश्लेषण किया जा सके कि लोग अपनी विभिन्न दैनिक गतिविधियों के लिए अपना समय कैसे आवंटित करते हैं। सर्वेक्षण का प्राथमिक उद्देश्य वैतनिक और अवैतनिक गतिविधियों से जुड़े पुरुषों और महिलाओं की भागीदारी का पता लगाना है।