सुप्रीम कोर्ट ने पलटा 2 साल पुराना फैसला, एससी/एसटी एक्ट में होगी तत्काल गिरफ्तारी
अनुसूचित जाति/जनजाति (एससी/एसटी एक्ट) का उत्पीड़न किए जाने पर अब तत्काल में गिरफ्तारी हो सकेगी। आज सुप्रीम कोर्ट ने अपने दो साल के पुराने आदेश को बदल दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट पर सरकार द्वारा किए गए संशोधन को बरकरार रखा है। सु्प्रीम कोर्ट ने अब एक्ट के तहत केस दर्ज होने पर तत्काल में बिना जांच के ही गिरफ्तारी के आदेश जारी किए है। बता दें दो साल पहले सु्प्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज होने पर तत्काल गिरफ्तार से रोक लगा दी थी।
दिल्ली चुनाव: 70 सीटों पर जारी है मतदान, 1.47 करोड़ मतदाता चुनेंगे विधायक
यही नहीं इस मामले में आरोपियों को अग्रिम जमानत देने का प्रावधान भी किया था। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल में गिरफ्तारी करने का आदेश दिया है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम, 1989 में दो साल पहले केंद्र सरकार ने जरूरी संशोधन किया है। जस्टिस अरुण मिश्र, जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस रवींद्र भट की बेंच ने आज इस मामले में फैसला सुनाया है। आज सुनवाई के दौरान इस मामले में 2-1 से फैसला दिया, यानी दो जज फैसले के पक्ष में थे और एक जज ने इस मामले में अपनी अलग राय रखी। यही नहीं, यह भी कहा गया है कि अगर शुरुआती तौर पर लगता है कि केस झूठा है तो अदालत एफआईआर रद्द कर सकती है।
दिल्ली में पार्टियों ने इस मुद्दों पर किया फोकस, जानें आप भी
सुप्रीम कोर्ट ने क्या दिया आज फैसला?
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा- एससी/एसटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज करने के पहले जांच जरूरी नहीं है। यही नहीं एफआईआर दर्ज करने के लिए स्थानीय पुलिस को वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से मंजूरी लेने की जरूरत भी नहीं है। जस्टिस रविंद्र भट ने इस मामले में कहा- हर नागरिक को दूसरे नागरिकों के साथ समानता का व्यवहार करना चाहिए। इससे आपसी भाईचारे को मिलता है। अगर शुरुआती तौर पर एससी/एसटी एक्ट के तहत केस नहीं बनता, तो अदालत इस मामले में दर्ज एफआईआर को भी रद्द कर सकती है। ऐसे मामलों में अग्रिम जमानत का इस्तेमाल करना संसद की मंशा के अनुरूप नहीं होगा।
दिल्ली चुनाव: बीजेपी का वादा हम यह करेंगे फ्री और बनाएंगे भ्रष्टाचार मुक्त सरकार
कानून मूलरूप में लागू रहेगा: वकील
इस मामले में याचिकाकर्ता प्रिया शर्मा ने कहा- मार्च 2018 में कोर्ट ने कहा था कि एफआईआर दर्ज करने से पहले अधिकारियों से मंजूरी लेनी होगी यानी उसके बाद ही एफआईआर दर्ज होगी। लेकिन, अब एससी-एसटी एक्ट में एफआईआर दर्ज करने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों की जरूरत नहीं होगी। अब यह फिर से अपने मूलरूप में ही लागू रहेगा। लेकिन, अगर अदालत को लगता है कि आरोपी के खिलाफ सबूत नहीं हैं, तो वह अग्रिम जमानत के लिए आवेदन कर सकता है।
दिल्ली चुनाव: कांग्रेस के स्टार प्रचारक हुए गुम, जानें आखिर क्या है वजह
संबंधित खबरें
सोसाइटी से
अन्य खबरें
Loading next News...