कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने वाली है देश की ये कंपनी

कोरोना वायरस (Corona Virus) का कहर पूरी दुनिया पर छाया हुआ है। इसके चलते लोगों को लॉकडाउन (Lockdown) का सामना करना पड़ रहा है। कोविड-19 (Covid-19) वायरस की वैक्सीन (Vaccine) को लेकर पूरी दुनिया में शोध चल रहे हैं। ब्रिटेन, अमेरिका, चीन जैसे बड़े देश तो वैक्सीन (Vaccine) को लेकर काम कर ही रहे हैं, भारत भी किसी देश से पीछे नहीं है। देश की एक कंपनी इस वायरस की वैक्सीन (Vaccine) बनाने को लेकर सफलता के करीब है।
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ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन को इंडिया में बनाएगी
इस कंपनी का नाम सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute) है। कंपनी ने अपने बयान में कहा है कि उसने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) की ओर से बनाई गई वैक्सीन (Vaccine) को भारत में विकसित करने की योजना बनाई है। हम दो से तीन सप्ताह में इसका उत्पादन शुरू कर देंगे। अभी इस वैक्सीन (Vaccine) का ट्रायल ब्रिटेन में चल रहा है। 24 अप्रैल को इसका पहला ट्रायल किया गया था, जिसमें वालेंटियर्स को वैक्सीन की डोज दी गई थी। कंपनी का कहना है कि अगर ये ट्रायल सफल रहता है तो अक्टूबर तक हम इसकी वैक्सीन (Vaccine) बना लेंगे।

विश्व की सात कंपनियों में भारत भी शामिल
पुणे की इस कंपनी का ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) की इस वैक्सीन (Vaccine) के साथ करार है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) ने पूरी दुनिया की करीब 7 कंपनियों के साथ इस तरह का समझौता किया है। कंपनी के सीईओ अदार पूनावाला ने बताया कि हम इस वैक्सीन (Vaccine) के मामले में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। दो सप्ताह में हम इसका उत्पादन शुरू कर देंगे। वहीं हम पहले छह महीने में हर महीने करीब 50 लाख वैक्सीन (Vaccine) का निर्माण करेंगे। इसके बाद हम इसका उत्पादन हम माह करीब एक करोड़ करने की कोशिश करेंगे। कंपनी इससे पहले भी मलेरिया की वैक्सीन (Vaccine) के लिए इस विश्व प्रसिद्ध यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर काम कर चुकी है।
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अक्टूबर तक बाजार में आने की उम्मीद
इस बारे में कंपनी के सीईओ अदार पूनावाला ने अपने बयान में कहा है कि कोविड-19 (Covid-19) की वैक्सीन (Vaccine) अक्टूबर तक बाजार में आ सकता है, बस हम उम्मीद कर रहे हैं कि इसका ट्रायल पूरी तरह से सफल हो जाए। हम खुद इस वैक्सीन (Vaccine) का प्रयोग भारत में दो सप्ताह में करना शुरू कर देंगे। उन्होंने बताया कि इसके ट्रायल को लेकर हमने सरकार ने जरूरी मंजूरियों को लेना शुरू कर दिया है।

सफलता मिलने पर भी नहीं कराएंगे पेटेंट
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute) के सीईओ ने बताया कि अगर ये वैक्सीन (Vaccine) सफल होती है तो भी हम इसका पेटेंट नहीं कराएंगे। इसका इस्तेमाल मुनाफा कमाने की जगह मानव कल्याण के हितों में किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अभी कंपनी इस वैक्सीन (Vaccine) को बनाने के लिए किसी से कोई आर्थिक सहायता नहीं ले रही है। हालांकि, पूनावाला ने विश्वास जताया कि अगले चरणों में हम इसके लिए साझेदारों को ढूंढेंगे जो कोरोना वायरस (Corona Virus) की इस वैक्सीन (Vaccine) के लिए हमारी आर्थिक रूप से मदद कर सकें। कंपनी इसे केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए उपलब्ध कराने की योजना बना रही है।
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वैक्सीन का नाम ChAdOx1 nCoV-19
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) की ओर से विकसित की गई इस वैक्सीन (Vaccine) का पहला ट्रायल 24 अप्रैल को ब्रिटेन में हुआ है। इस वैक्सीन को ‘ChAdOx1 nCoV-19’ नाम दिया गया है। अभी वैज्ञानिकों ने इसे शुरुआती चरण में 800 मरीजों पर प्रयोग करने की बात कही है। यूनिवर्सिटी को उम्मीद है कि इस वैक्सीन (Vaccine) का प्रयोग सफल रहेगा। इस वैक्सीन (Vaccine) को विकसित करने के लिए ब्रिटेन की सरकार ने 1.4 करोड़ पाउंड की धनराशि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी (Oxford University) को दी है। बाद में इस वैक्सीन (Vaccine) को अमेरिका और अन्य यूरोपीय देशों के मरीजों पर प्रयोग किया जाएगा।

जानिए कैसे करती है काम
ChAdOx1 nCoV-19 वैक्सीन ठीक उसी तरह से काम करती है जैसे अन्य वैक्सीन (Vaccine) करती हैं, कहने का मतलब है कि इसे बनाने में जो तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, वो दूसरी वैक्सीन में भी किया जाता है। उदाहरण के लिए सांप के काटने की दवा बनाने में उसके जहर का ही इस्तेमाल किया जाता है, जिससे इंसान के शरीर का इम्यून सिस्टम उस जहर से लड़ने वाले एंटीबॉडीज का निर्माण करना शुरू कर देता है।
उसी तरह से इस वैक्सीन (Vaccine) को बनाने में कोरोना वायरस (Corona Virus) की सतह से प्रोटीन का नमूना लेकर उसे एक नुकसान न पहुंचाने वाले वायरस में मिलाया गया था। इसे इंसानी शरीर में डालने के बाद शरीर का इम्यून सिस्टम (Immune System) वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज का निर्माण करता है। साथ ही इसमें किलर टी-सेल्स (Killer t-cells) का भी निर्माण होता है, जो कोरोना वायरस (Corona Virus) से लड़ सकते हैं।
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