कृषि वैज्ञानिकों ने अरहर की नई किस्म की तैयार, चार गुना अधिक पैदावार
मध्य प्रदेश के कृषि वैज्ञानिकों ने अरहर की एक नई किस्म को विकसित किया है। इस किस्म से सामान्य अरहर के पौधे से कई गुना अधिक पैदावार के साथ-साथ लाख भी प्राप्त होता है। सामान्य पद्धति में अरहर के पौधे से 500 ग्राम अरहर की पैदावार होती है वहीं इस पद्धति से दो किलो अरहर की पैदावार होगी। साथ ही इससे 600 ग्राम लाख भी मिलेगी।
कम उपजाऊ जमीन वाले किसानों को मिलेगा फायदा
सीमित और कम उपजाऊ जमीन वाले साधनहीन किसानों को बड़ी राहत देने की अवधारणा पर कृषि वैज्ञानिकों ने यह सफल प्रयोग कर दिखाया है। चार गुना अधिक फसल के साथ-साथ लाख का दोहरा लाभ देने वाली इस नई पद्धति को जबलपुर, मध्य प्रदेश स्थित जवाहर लाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है। इसमें उपजाऊ जमीन और अधिक संसाधनों की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। कम उपजाऊ वाले क्षेत्रों में फसल की पैदावार पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
बोरियों में भी की जा सकेगी फसल
इस नई किस्म की अरहर की फसल मिट्टी से भरी बोरियों तक में की जा सकेगी। मध्य प्रदेश के कृषि वैज्ञानिकों ने सीमित व कम उपजाऊ जमीन, सीमित साधन और सीमित लागत वाले लघु किसानों को राहत देने की अवधारणा पर आधारित शोध के तहत अरहर का यह सफल प्रयोग पूरा किया है। विश्वविद्यालय के प्रधान वैज्ञानिक प्रो. मोनी थॉमस के अनुसार उपजाऊ जमीन सीमित होती जा रही है। इसलिए कृषि विभाग सीमित साधन, जमीन और कम लागत पर ज्यादा उपज देने वाली तकनीक खोज रहा है। ऐसी ही एक तकनीक पर हमने यह सफल शोध पूरा किया।
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ये है तरीका
प्रो. मोनी थॉमस के अनुसार, एक बोरी में 20 किलो मिट्टी को स्पेशल ट्रीटमेंट देकर उसमें अरहर के पौधे लगाए गए। करीब आधा एकड़ में 200 अरहर के पौधे लगे। इनमें लाख पैदा करने के लिए 20 लाख कीट भी छोड़े गए। लाख के कीड़े पौधों को नुकसान पहुंचाने की बजाए उन्हें लाख दे रहे हैं। इस तकनीक से खेती करने पर एक पौधे से 2 किलो अरहर, 600 ग्राम लाख और तकरीबन पांच किलो लकड़ी मिलेगी, जबकि साधारण तरीके की खेती में 500 ग्राम अरहर मिलती है। इस तकनीक से खेती करने में फसल 10 महीने में मिलती है।
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