
दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने 25 फरवरी 2025 को कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार को 1984 के सिख विरोधी दंगों में उम्रकैद की सजा सुनाई। इस मामले में विशेष जज कावेरी बावेजा ने दोपहर 2 बजे के बाद फैसला सुनाया।
मामला क्या था?
यह केस दिल्ली के सरस्वती विहार इलाके में 1 नवंबर 1984 को जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह की हत्या से जुड़ा है। दंगों के दौरान उग्र भीड़ ने इन दोनों की लोहे की सरियों और लाठियों से हमला कर हत्या कर दी थी, फिर उन्हें जिंदा जला दिया था। उस समय सज्जन कुमार बाहरी दिल्ली लोकसभा सीट से कांग्रेस सांसद थे।
पीड़ित पक्ष ने अदालत में सज्जन कुमार के लिए फांसी की सजा की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने उन्हें उम्रकैद की सजा दी।
सज्जन कुमार पर लगे आरोप
सज्जन कुमार के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की कई धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज था:
- 147, 149, 148 (दंगे और गैर-कानूनी भीड़ का हिस्सा होना)
- 302 (हत्या)
- 308 (हत्या का प्रयास)
- 323 (चोट पहुंचाना)
- 395, 397 (डकैती और लूट)
- 427, 436, 440 (संपत्ति को नष्ट करने और आग लगाने के आरोप)
पहले भी हो चुकी है सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा
- 17 दिसंबर 2018 को दिल्ली हाईकोर्ट ने पालम कॉलोनी में5 सिखों की हत्या और गुरुद्वारेमें आग लगाने के मामले में सज्जन कुमार को दोषी करार देकर उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
- इस समय वे तिहाड़ जेल में बंद हैं और पहले से ही उम्रकैद की सजा काट रहे हैं।
सिख दंगों से जुड़े अन्य मामले
1984 के दंगों से जुड़े 3 केसों में सज्जन कुमार आरोपी थे:
- पालम कॉलोनी केस: 5 सिखों की हत्या के मामले में उम्रकैद (2018)
- सरस्वती विहार केस: जसवंत सिंह और तरुणदीप सिंह की हत्या में उम्रकैद (2025)
- सुल्तानपुरी केस: 3 सिखों की हत्या के मामले में बरी (2023)
1984 सिख विरोधी दंगे की पृष्ठभूमि
- 31 अक्टूबर 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या उनके सिख अंगरक्षकों ने कर दी थी।
- इसके बाद देशभर में सिखों के खिलाफ दंगे भड़क उठे।
- PTI के मुताबिक, दिल्ली में ही करीब 2700 लोग मारे गए, जबकि पूरे देश में 3500 सेज्यादा लोगों की हत्या हुई।
- अलग-अलग आयोगों और जांच समितियों की रिपोर्ट में पाया गया कि कांग्रेस नेताओं ने दंगों को भड़काने में भूमिका निभाई थी।
नानावटी आयोग और सरकार की प्रतिक्रिया
- 2000 में केंद्र सरकार ने ‘नानावटी आयोग’ का गठन किया।
- 2005 में CBI ने नानावटी आयोग की सिफारिशों के आधार पर केस दर्ज किया।
- 2010 में ट्रायल कोर्ट ने सज्जन कुमार समेत कई नेताओं को समन जारी किया।
- 2013 में निचली अदालत ने उन्हें बरी कर दिया, लेकिन CBI ने हाईकोर्ट में अपील की।
- 2018 में हाईकोर्ट ने उन्हें दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुना दी।
मनमोहन सिंह की माफी
2005 में, तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संसद में 1984 के दंगों के लिए माफी मांगी। उन्होंने कहा था,
“जो कुछ हुआ, उससे मेरा सिर शर्म से झुक जाता है।”
दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट में करेगी अपील
1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े इस मामले में सज्जन कुमार को दूसरी बार उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। यह फैसला पीड़ित परिवारों के लिए न्याय की दिशा में एक और कदम माना जा रहा है। हालांकि, पीड़ित पक्ष अब भी उन्हें मृत्युदंड देने की मांग कर रहा है। वहीं, दिल्ली सरकार ने सिख दंगों में बरी हुए अन्य आरोपियों के खिलाफ भी कार्रवाई तेज करने का फैसला किया है।