राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू कराने के लिए यूपी में तैयार किया जा रहा खाका

उत्तर प्रदेश में नई शिक्षा नीति को लागू कराने को लेकर उत्तर प्रदेश में लगातार बैठकों का दौर जारी है। यूपी में इसका बेहतर तरीके से खाका तैयार करने के लिए एक बार फिर से गुरुवार को बैठक हुई। यूपी में इसको लागू कराने को लेकर उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा की अध्यक्षता में बैठक हुई। इस बैठक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन हेतु गठित टास्क फोर्स की छठवीं बैठक हुई। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि कम्पोजिट स्कूल के लिए बेसिक एवं माध्यमिक शिक्षा के मध्य समन्वय स्थापित करने हेतु विचार किया जाए। इस बैठक में यह भी विचार किया गया कि बोर्ड परीक्षा वर्ष में केवल एक बार ही हो और विद्यार्थियों को अंक बढोत्तरी के लिए आगामी वर्ष की बोर्ड परीक्षा के साथ पुनः अवसर दिया जाए।
डिप्टी सीएम ने कहा कि उच्च शिक्षा विभाग तथा सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योग के मध्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति टास्क फोर्स के सदस्यो की उपस्थिति में एमओयू हस्ताक्षरित किया गया है। जिसके तहत उद्योग एवं विश्वविद्यालय देश के सामाजिक आर्थिक विकास में सहयोग मिलेगा। विश्वविद्यालय द्वारा किया जा रहा अनुसंधान औद्यौगिक क्षेत्र के लिए उपयोगी साबित होगा। एमओयू होने के उपरान्त छात्रों को वास्तविक जीवन की औद्योगिक समस्याओं पर काम करने का अवसर मिलेगा। छात्रों को इंटर्नशिप के माध्यम से कार्य करने का अवसर भी मिलेगा। इस मौके पर राष्ट्रीय सचिव शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास नई दिल्ली अतुल कोठारी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को बेहतर ढंग से क्रियान्वयन हेतु अपने सुझाव दिये। उन्होने कहा कि छात्र एवं छात्राओं को बेसिक शिक्षा बेहतर ढंग से प्रदान की जानी चाहिए और यह भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि छात्र की रूचि किस क्षेत्र में है उसको उसी क्षेत्र की शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए जिससे वह उस क्षेत्र में सफलता हासिल कर सकें और अपना विकास कर सकें।
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उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन के मिशन निदेशक कुणाल सिल्कू ने बताया कि भारत सरकार द्वारा नेशनल अपे्रन्टिशसिप प्रमोशन स्कीम चलाई जा रही है, जिसमें वह सभी सरकारी एवं प्राईवेट इकाईयां, जिनमें 30 से अधिक क्रर्मी है, वो अपने मैन पावर संख्या के 2.5 प्रतिशत से 15 प्रतिशत तक अप्रेटिंस या इन्टर्न रखने के लिए बाध्य है। उन्होंने बताया कि अप्रेन्टिस कर्ता को मानदेय का भुगतान नियोक्ता द्वारा किया जायेगा। भुगतान राशि में 1500 रुपए की क्षतिपूर्ति भारत सरकार करेगी, इसी योजना को आगे बढाते हुए 1000 रुपये की अतिरिक्त धनराशि की क्षतिपूर्ति राज्य सरकार द्वारा प्रदान किया जायेगा। इन्टर्नशिप की अवधि छह माह से तीन वर्ष तक की हो सकती है।
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