वैलेंटाइंस डे पर पढ़िए दुनिया के कुछ मशहूर प्रेम पत्र

कहते हैं कि जिंदगी में कम से कम एक बार हर किसी को मोहब्बत होती है। किसी का इश्क मुकम्मल होता है तो किसी की चाहत अधूरी रह जाती है, लेकिन अपने साथी को प्यार जताने और उसे अपनी मोहब्बत पर भरोसा दिलाने की कोशिश हर कोई करता है। अब तो हमारे पास अपने पार्टनर से बात करने की कई सुविधाएं हो गईं। कॉल और मैसेजेस ने दूरियों को भी बहुत कम कर दिया है, लेकिन एक वक्त था जब लोग एक-दूसरे से दूर होने पर खतों के जरिए ही अपने प्यार का इजहार करते थे। इस वैलेनटाइंस डे पर पढ़िए दुनिया के कुछ मशहूर लोगों के मशहूर खत...
नेपोलियन का पत्र डिजायरी के नाम
(नेपोलियन: जिसने प्यार और युद्ध दोनों में मैदान जीत। असंभव शब्द उसके शब्द कोश में नहीं था, लेकिन वही सिकंदर प्यार के सामने अपने घुटने टेक देता, और लिखता है - वही प्यार के)
प्रिये,
मैं एविग्नान बहुत ही उदास मन लेकर पहुंचा हूं क्योंकि इतने दिनों तक मुझे तुमसे अलग रहना पड़ा है। यह यात्रा मुझे बहुत ही कठिन लगी है। मेरी प्यारी अकसर अपने प्रिय को याद करती होगी और जैसा कि उसने वादा किया है, वह उसे प्यार करती रहेगी। बस, यही आस मेरे दु:ख को कम कर सकती है और मेरी स्थिति को थोड़ा बेहतर बना देती है। मुझे तुम्हारा कोई भी पत्र पेरिस पहुंचने से पहले नहीं मिल पाएगा। यह बात मुझे प्रेरित करेगी कि मैं और तेज भागूं और वहां पहुंचकर देखूं कि तुम्हारे समाचार मेरा इंतजार कर रहे हैं। ड्यूरेंस में बाढ़ आ जाने के कारण मैं इस जगह पर जल्दी नहीं पहुंच सका। कल शाम तक मैं लियंस पहुंच जाऊंगा। मेरी प्यारी! मेरी रानी, विदा। मुझे कभी भी भूलना मत। हमेशा उसे प्यार करती रहना जो जीवन-भर के लिए तुम्हारा है।
नेपोलियन बोनापार्ट

चेखव का पत्र लीडिया के नाम
(चेखव: दुनिया के दो सबसे बड़े कहानीकारों में से एक…रूस का वह महानतम लेखक, जिसने शोषित जनता के हक में अपनी कलम को तलवार बना लिया)
27 मार्च 1894, याल्टा
मधुर लीका,
पत्र के लिए धन्यवाद! हालांकि तुम यह कहकर मुझे डराना चाहती हो कि तुम जल्दी ही मर जाओगी और मुझे ताना मारती हो कि मैं तुम्हें छोड़ दूंगा, फिर भी तुम्हें धन्यवाद! मैं अच्छी तरह जानता हूं कि तुम मरोगी नहीं और कोई तुम्हें छोड़ेगा नहीं। मैं याल्टा में हूं और खूब मजे कर रहा हूं। नाटकों की रिहर्सल देखने और खूबसूरत फूलों से भरे बागीचों में अपना ज्यादातर वक्त बिताता हूं। भरपेट, मनपसंद खाना खाता हूं और संगीत सुनता हूं। प्यारी लीका याल्टा में बसंत देखना अलग ही अनुभव है, लेकिन एक ख्याल मेरा साथ कभी नहीं छोड़ता कि मुझे लिखना चाहिए…मुझे लिखना चाहिए….मुझे लिखना चाहिए…तुम्हारी याद मुझे आती है लेकिन मैं उदास नहीं हूं। तुम अगर पत्र डालकर मेरी आदत बिगाड़ना चाहो तो पत्र मिलिखोव भेजो। मैं यहां के बाद वहीं पहुंचूंगा और वादा करता हूं कि तुम्हारे पत्रों का जवाब दूंगा। मैं तुम्हारे दोनों हाथों को चूमता हूं।
तुम्हारा अंतेन चैखव

रानी विक्टोरिया का पत्र राजकुमार एल्बर्ट के नाम
( रानी विक्टोरिया: इंग्लैंड की वह महान सम्राज्ञी, जिसके राज्य में सूरज कभी नहीं डूबता था।)
10 फरवरी 1840
प्रियतम,
आज तुम कैसे हो? क्या तुम जी भरकर सोए? मैंने अच्छी तरह आराम किया है और आज बड़ा हल्का महसूस कर रही हूं। मौसम भी कैसा है आज! मैं समझती हूं, बारिश रुक जाएगी। एक लाइन लिख भेजना, ओ मेरे प्रियतम दूल्हे, जब तुम तैयार हो जाओ…हमेशा के लिए तुम्हारी सेविका
विक्टोरिया
(यह पत्र रानी वक्टोरिया ने अपने विवाह के ही दिन सुबह लिखा था। )

गणेशशंकर विद्यार्थी का खत अपनी पत्नी के नाम
मेरी परम प्यारी प्रकाश,
कल तुम्हारा पत्र प्राप्त हुआ। तुमने जो कुछ लिखा है, वह बिल्कुल ठीक है। माफी माँगने से अच्छा यह है कि मौत हो जाये। तुम विश्वास रखो कि मैं बेइज्ज्ती का काम नहीं करूँगा। तुमने जो साहस दिलाया उसमें मेरे जी को बहुत बल मिला। मुझे तुम्हारी और बच्चों की बहुत चिंता है। परंतु तुम्हारा हृदय कितना अच्छा और ऊँचा है, उससे मेरे मन को बहुत संतोष हो रहा है। ईश्वर तुम्हारे मन को दृढ़ रखे। अगर तुम दृढ़ रहोगी तो मेरा मन कभी न डिगेगा। मैं तुमसे कोई बात छिपाना नहीं चाहता।
मैं खुशी से तैयार हूँ। जो मुसीबतें आयेंगी मैं उन्हें हंसते-हंसते झेल लूंगा, लेकिन मेरी हिम्मत को कायम रखने के लिए यह आवश्यक है कि तुम अपना जी न गिरने दो। हाँ, माखनलालजी के साथ मैं उनके घर जा रहा हूँ। होली वहीं करूँगा। होली के बाद दूज या तीज को मैं कानपुर पहुंचूंगा और उसी दिन दोपहर तक मैं अपने को पुलिस के हाथों में दूंगा। मैं सीधे ही पुलिस के हाथों में अपने को दे देता, मगर एक बार तुम लोगों को देख लेना धर्म समझता हूं। देखो, ईश्वर और धर्म पर विश्वास रखो। आज कष्ट के दिन सिर पर हैं। कल सुख के दिन भी आवेंगे। धर्म के लिए सहे जाने वाले कष्ट के दिनों के बाद जो दिन आवेंगे, वे परमात्मा की कृपा से अच्छे सुख के दिन होंगे।
हरि, कृष्ण, विमला और ओंकार को प्यार।
तुम्हारा
गणेशशंकर

कवि ब्राउनिंग का पत्र कवियत्री बैरट के नाम
(ब्राउनिंग: इंग्लैंड का विश्वप्रसिद्ध रोमैंटिक कवि, जिसने अनेक महाकाव्य बैलड्स लिखे)
प्रिये,
शब्दों को बार-बार उलट-पुलट रहा हूं लेकिन मेरी भावनाओं को ये शब्द बयान नहीं कर पा रहे। वे तुम्हें नहीं बता पा रहे कि मैं तुम्हें कितना चाहता हूं। वे यह कभी नहीं बता पायेंगे कि तुम मुझे कितनी प्रिय हो, किस तरह तुम मेरी आत्मा का हिस्सा बन चुकी हो। मैं अपने इस प्रेम को बनाये रखना चाहता हूं। भगवान मुझे यह शक्ति दें कि मैं अपने प्यार को हमेशा तुम तक पहुंचाता रहूं। तुम मुझे कितना प्रेम करती हो इसका प्रमाण तुम दे चुकी हो और तुम यह बात नहीं जानती कि यह मेरी लिए कितनी बड़ी बात है. मुझे अपने ऊपर कुछ घमंड भी होने लगा है प्रिये यह सोचकर कि तुम मुझे चाहती हो. तुमने मुझे चाहकर मुझ पर बहुत बड़ा उपकार किया है। हमेशा तुम्हारा
ब्राउनिंग
( बैरट ने अपनी कविताएं ठीक करवाने के लिए कवि ब्राउंनिग के पास भेजी थीं। यहीं से उनका प्रेम भी शुरू हुआ। बाद में दोनों ने विवाह कर लिया था।)

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