भगवान जगन्नाथ की 147वीं रथ यात्रा रविवार सुबह गुजरात के अहमदाबाद शहर में शुरू हुई, जहां उनके दर्शन के लिए यात्रा मार्ग पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उमड़े। उधर ओड़िशा के पुरी में भी भव्य रथयात्रा शाम को निकाली जायेगी। अहमदाबाद में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बालभद्र और बहन सुभद्रा का रथ दशकों पुरानी परंपरा के अनुसार खलासी समुदाय के सदस्यों ने खींचा। यह रथ यात्रा हर साल आषाढ़ माह के दूसरे दिन निकाली जाती है। केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने यहां मंगला आरती की।
सोने की झाड़ू से यात्रा मार्ग को साफ करने की परंपरा है
गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने पाहिंद विधि संपन्न की। यह विधि जमालपुर इलाके में भगवान जगन्नाथ के 400 वर्ष पुराने मंदिर से रथ यात्रा शुरू होने पर सोने की झाड़ू से यात्रा मार्ग को साफ करने की परंपरा है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने पहले बताया था कि इस कार्यक्रम के लिए 22,000 से अधिक सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया जायेगा और लोगों की आवाजाही पर नजर रखने के लिए 20 ड्रोन के साथ-साथ कैमरे लगे कुछ गुब्बारे का भी उपयोग किया जायेगा। 4,500 जवान पूरे 16 किलोमीटर लंबे मार्ग पर रथ यात्रा के साथ चलेंगे, जबकि 1,931 जवान यातायात प्रबंधन के लिए तैनात किये जायेंगे।
रथ यात्रा शहर के विभिन्न इलाकों से गुजरते हुए रात आठ बजे तक लौटेगी
दशकों पुरानी परंपरा के अनुसार, रथ यात्रा शहर के विभिन्न इलाकों से गुजरते हुए रात आठ बजे तक लौटेगी, इनमें साम्प्रदायिक रूप से कुछ संवेदनशील इलाके भी शामिल हैं। यात्रा में आम तौर पर 18 सुसज्जित हाथी, 100 ट्रक और 30 अखाड़ों के लोग शामिल होते हैं। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी 1,733 ‘बॉडी कैमरे से यात्रा पर करीबी नजर रख रहे हैं। यात्रा मार्ग पर 47 स्थानों पर 20 ड्रोन और 96 निगरानी कैमरा भी लगाये गये हैं।
भगवान सुदर्शन को देवी सुभद्रा के रथ दर्पदलन’तक ले जाया गया
पुरी में भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा का पारंपरिक पहांडी अनुष्ठान रविवार पूर्वाह्न करीब 11 बजे शुरू हुआ। भगवान सुदर्शन को सबसे पहले देवी सुभद्रा के रथ दर्पदलन’तक ले जाया गया तो पुरी मंदिर के सिंहद्वार पर घंटियों, शंखों और मंजीरों की ध्वनियों के बीच श्रद्धालुओं ने ‘जय जगन्नाथ’ के जयकारे लगाये। भगवान सुदर्शन के पीछे-पीछे भगवान बलभद्र को उनके तालध्वज रथ पर ले जाया गया।
सेवक भगवान जगन्नाथ और भगवान बलभद्र की बहन देवी सुभद्रा को विशेष शोभा यात्रा निकालकर दर्पदलन रथ तक लाये। भगवान जगन्नाथ को घंटियों की ध्वनि के बीच एक पारंपरिक शोभा यात्रा निकालकर नंदीघोष रथ की ओर ले जाया जायेगा। भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा को रत्न जड़ित सिंहासन से उतारकर 22 सीढ़ियों (बैसी पहाचा) के माध्यम से सिंह द्वार से होकर एक विस्तृत शाही अनुष्ठान पहांडी के जरिए मंदिर से बाहर लाया गया।
मंगला आरती और मैलम जैसे कई पारंपरिक अनुष्ठान आयोजित किये गये
मंदिर के गर्भगृह से मुख्य देवताओं को बाहर लाने से पहले मंगला आरती और मैलम जैसे कई पारंपरिक अनुष्ठान आयोजित किये गये। तीनों भव्य रथ अब मंदिर के सिंहद्वार के सामने गुंडिचा मंदिर की ओर पूर्व की ओर मुख करके खड़े किये गये हैं। निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, गजपति दिव्यसिंह देब चार बजे तक रथों का ‘छेरा पहरा करेंगे। रथों पर लकड़ी के घोड़े लगाने के बाद उन्हें खींचने का काम शाम पांच बजे से शुरू होगा।. भगवान बलभद्र तालध्वज पर सवार होकर रथ यात्रा का नेतृत्व करेंगे।
आखिर में भगवान जगन्नाथ नंदीघोष पर सवार होकर यात्रा करेंगे
उनकी बहन देवी सुभद्रा उनके पीछे दर्पदलन में होंगी और आखिर में भगवान जगन्नाथ नंदीघोष पर सवार होकर यात्रा करेंगे। रविवार को भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथ यात्रा में शामिल होने के लिए तीर्थ नगरी पुरी में लाखों श्रद्धालु उमड़े, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी रथ यात्रा में शामिल होंगी। यह 53 साल बाद दो दिवसीय यात्रा होगी।. ग्रह-नक्षत्रों की गणना के अनुसार, इस साल दो-दिवसीय यात्रा आयोजित की गयी है। आखिरी बार 1971 में दो-दिवसीय यात्रा का आयोजन किया गया था।