जम्मू कश्मीर वासियों को मिली बड़ी सौगात, पीएम ने शुरू की एनआरएसएस परियोजना

बर्फबारी के समय बिजली के संकट से जूझने वाले कश्मीर को मोदी सरकार ने तोहफा दिया है। स्टरलाइट कंपनी की तरफ से बनाई 414 किलोमीटर लंबी एनआरएसएस परियोजना को कश्मीरवासियों को समर्पित कर दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 400/200 केवी डी/सी जालंधर-सांबा-अमरगढ़ ट्रांसमिशन लाइन को अनौपचारिक तौर पर शुरू कर दिया है। नॉर्दन रीजन स्ट्रेंथनिंग स्कीम-29 (एनआरएसएस) शुरू होने से कश्मीर के लिए पावर ट्रांसमिशन क्षमता में 70 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। बता दें कि अभी तक घाटी को नार्दन ग्रिड से जोड़े रखने के लिए केवल एक ही पावर ट्रांसमिशन लाइन थी।
48 माह में पूरा हुआ प्रोजेक्ट
स्टरलाइट पावर कंपनी ने इसको 3000 करोड़ की लागत में तैयार किया है। इस प्रोजेक्ट को कंपनी ने समयावधि से दो माह पहले ही पूरा कर दिया है। वैसे, सरकार का यह पहला प्रोजेक्ट है कि समय से पहले पूरा हो गया है। इस बड़े प्रोजेक्ट को तैयार करने के लिए कंपनी ने काम 4 अगस्त 2014 से शुरू किया था। वादियों में चुनौती भरा प्रोजेक्ट मिलने के बाद भी कंपनी ने आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल करके 48 महीने में ही पूरा कर दिया। इस परियोजना के शुरू होने से अब जम्मू-कश्मीर के पास कश्मीर व लद्दाख तक बिजली पहुंचाने के लिए दो लाइन हो गई हैं। इस परियोजना से चालू होने से अब 70 प्रतिशत अधिक बिजली घाटी में लाई जा सकती है। कंपनी ने ऊंचाई वाले बर्फीले और दुर्लभ पहाड़ी इलाकों की चुनौतियों से निपटने के लिए पीर पंजाल रेंज में कंपनी ने हेलीक्रेन्स का इस्तेमाल किया। इस तरह से साउथ एशिया में पहली बार हुआ। इस कार्य को अंजाम देने के लिए अमरीकी कनसलटेशन कंपनी को सलाह के लिए हायर किया गया।
अगस्त 2018 में हुआ था पहला ट्रायल
कंपनी की तरफ से काम पूरा करने के बाद इस बिजली लाइन को शुरू करने की जांच अगस्त माह में की गई थी। केंद्र सरकार की एक टीम ने 21 अगस्त को इस लाइन से ट्रांसमिशन शुरू किया गया। यही नहीं 300 मेगावाट बिजली कश्मीर ट्रांसमिट की गयी। बता दें कि यह लाइन 441 किलोमीटर लंबी है। इस ट्रांसमिशन लाइन में करीब 482 टावर लगाए गए हैं। इस प्रोजेक्ट में सबसे ऊंचा टावर पीर की गली में करीब 13000 फीट ऊंचाई पर लगाया गया है। इस प्रोजेक्ट का कंपनी 35 साल तक रखरखाव करेंगी। कंपनी की तरफ से हर महीने कम से कम दो बार ट्रांसमिशन लाइन का हवाई निरीक्षण किया जाएगा। यही नहीं कंपनी अपनी टेक्निकल टीम को स्नो स्कूटर भी मुहैया करवाएगी। इसके अलावा हिमस्खलन के दौरान टावर को कोई नुकसान न पहुंचे कंपनी ने इसके लिए टावरों के सामने एवलांच प्रोटेक्शन भी बनाए हैं।
संबंधित खबरें
सोसाइटी से
अन्य खबरें
Loading next News...
