रेलवे याद दिलाएगा अब आपको पुराने दिन, शुरू होने जा रही है ये नई व्यवस्था

एक समय था जब मिट्टी के बर्तनों का चलन था, उसकी सौंधी महक खाने के स्वाद को और बढ़ा देती थी। लेकिन धीरे-धीरे बर्तनों का चलन बदलता गया और उसकी जगह नए स्टील, कांच और चीनी मिट्टी के बर्तन आ गए लेकिन रेलवे आपको एक बार फिर पुराने दिन याद कराएगा।
रेलवे बोर्ड वाराणसी और रायबरेली से पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसकी शुरुआत करने जा रहा है। इसके तहत अब ट्रेन में सफर के दौरान और प्लेटफर्म पर यात्रियों को चाय और खाना मिट्टी के बर्तनों में मिलेगा। रेल मंत्रालय के आदेश पर गोरखपुर, लखनऊ, आगरा और वाराणसी समेत पूर्वोत्तर रेलवे के सभी प्रमुख स्टेशनों पर मार्च से मिट्टी के बर्तनों में खाने का सामान परोसने की सुविधा शुरू भी हो जाएगी। इसके लिए कुम्हारों से भी संपर्क किया जाएगा।
योजना के तहत जल्द ही देशभर के ए और बी श्रेणी के 400 रेलवे स्टेशनों पर यह व्यवस्था लागू कर दी जाएगी। पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने स्टेशनों पर कुल्हड़ में चाय की व्यवस्था लागू की थी। कुछ दिन के बाद ये दोबारा लोग प्लास्टिक के कपों पर वापस आ गए थे।
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प्लास्टिक पर बैन
स्टेशनों में मिट्टी के बर्तनों पर खाना परोसने के लिए मिट्टी के बर्तनों के इस्तेमाल का सुझाव खादी ग्रामोद्योग बोर्ड का है। इससे कुम्हारों को रोजगार भी मिलेगा। एडीजी स्मिता वत्स शर्मा ने बताया कि मिट्टी के बर्तनों का प्रोडक्शन बढ़ने के साथ ही वाराणसी और रायबरेली स्टेशन पर प्लास्टिक के उपयोग पर हम पाबंदी लगा देंगे। ये फैसला पर्यावरण के हित में भी है।
आईआरसीटीसी के सीएमडी एमपी मल्ल का कहना है कि इको फ्रेंडली प्लेटों में खाना परोसने का काम शुरू हो चुका है। रोजाना करीब 20 लाख एल्युमिनियम कैसरोल की जरूरत पड़ती है, इसलिए सभी ट्रेनो में इको फ्रेंडली प्लेटों में खाना परोसने में समय लगेगा। अगर अभी की बात करें तो राजधानी-शताब्दी समेत अन्य ट्रेनों में इको फ्रेंडली प्लेटों में खाना दिया जाएगा।
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