रेलवे के इंजीनियरों ने रचा इतिहास, डीजल इंजन को इलेक्ट्रिक में बदला
भारतीय रेलवे ने मंगलवार को उस समय इतिहास रच दिया जब दुनिया का पहला डीजल से इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव इंजन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस इतिहास के साक्षी बने स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। उन्होंने वाराणसी रेल इंजन कारखाना में निर्मित किया गया पहला लोकोमोटिव इंजन को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। वाराणसी के कारखाने ने विश्व में पहली बार डीजल रेल इंजन को इलेक्ट्रिक रेल इंजन में बदलकर स्वर्णिम इतिहास रचा है।
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पीएम मोदी ने जिस इंजन को रवाना किया वह 2600 से 2700 हार्स पावर की क्षमता वाला डीजल इंजन 5 हजार से 10 हजार हार्स पावर वाले इलेक्ट्रिक इंजन में बदल गया। यह इंजन पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त है। इसका उपयोग रेल इंजन माल गाड़ी (फ्रेट वर्क) में उपयोग किया जाएगा। मेक इन इंडिया पहल के अंतर्गत बनाए गए इस इंजन में स्वदेशी तकनीक को अपनाया गया है। डीजल रेल कारखाने ने डब्लूएजीसी 3 श्रेणी के रेल इंजन से शुरुआत की है।
69 दिन में बनाया गया इंजन
रेलवे के इंजीनियरों ने पहली बार मेक इन इंडिया के तहत स्वदेशी तकनीक को अपनाते हुए डीजल रेल कारखाने ने डब्लूएजीसी 3 श्रेणी के रेल इंजन से शुरुआत की थी। इस पर वाराणसी रेल इंजन के इंजीनियरों ने 22 दिसंबर 2017 से काम शुरू दिया और 28 फरवरी 2018 को बनकर तैयार हो गया। महज 69 दिनों में इसे बनाकर रवाना भी कर दिया गया। इस इंजन को इलेक्ट्रिक रेल इंजन माल गाड़ी (फ्रेम वर्क) में उपयोग किया जायेगा। यह इंजन प्रदूषण मुक्त है और डीजल इंजन की अपेक्षा बेहतर स्पीड और 10 हजार होर्स पावर की क्षमता देने में कारगर होगा।
यह डीजल इंजन से इलेक्ट्रिक में बदलने वाली यह प्रणाली पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त है और इसकी रफ्तार भी पहले की तुलना में काफी बेहतर है। यह उसके ब्रॉडगेज नेटवर्क को पूरी तरह विद्युतीकृत करने के प्रयासों का हिस्सा है। इससे लोकोमोटिव की क्षमता 2600 एचपी से बढ़कर 5000 एचपी हो गई है। इस इंजन की अवधि डीजल इंजन की तुलना में 18 साल से अधिक चलेगा और इसको चलाने का बजट भी काफी कम होगा।
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