केंद्र सरकार ने सड़कों के निर्माण में प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल करने का निर्णय लिया है। सरकार का यह प्रयोग सफल रहा है। सड़क निर्माण की कई एजेंसियों ने अब तक देश में एक लाख किलोमीटर से ज्यादा सड़कें बनाने में प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल किया है। खास बात यह है कि इनमें खर्चा भी कम हुआ है।
जिस तरह से यह प्रयोग सफल रहा है उससे इस बात की उम्मीद जगी है कि अब प्लास्टिक के कचरे से पर्यावरण को नुकसान पहुंचने का खतरा कम होगा। हिंदुस्तान की खबर के मुताबिक, सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने 2016 में इस बात की घोषणा की थी कि प्लास्टिक के कचरे का इस्तेमाल करके सड़कें बनाई जाएंगी।
खबर के मुताबिक, एक अधिकारी ने बताया कि 10 किलोमीटर लंबे नेशनल हाइवे को बनाने में बाकी माल के साथ 10 फीसदी प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल किया गया है। सेंटर रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीआरआरआई) द्वारा गुणवत्ता और क्षमता के अध्ययन के बाद जनवरी 2017 में राष्ट्रीय राजमार्गों, राज्य राजमार्ग, जिला सड़कें, नगर निगम, नगर निकाय आदि सड़कों निर्माण में 10 फीसदी प्लास्टिक कचरे के प्रयोग करने के आदेश जारी हुए।
11 राज्यों में बन चुकी हैं सड़कें
देश के 11 राज्यों में अभी तक एक लाख किलोमीटर की लंबाई वाली सड़कें प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल करके बन चुकी हैं और इस बात की उम्मीद है कि इस साल यह आंकड़ा दो गुना तक बढ़ेगा। इस साल सबसे पहले असम में नेशनल हाइवे में एनएचएआईडीसीएल प्लास्टिक कचरे का प्रयोग शुरू हुआ। इसके लिए के इंडियन रोड कांग्रेस ने कोड ऑफ प्लास्टिक के नए मानक नवंबर 2013 में तैयार किए थे
इन जगहों पर हुआ इस्तेमाल
नोएडा के सेक्टर 14ए में महामाया फ्लाइओवर तक सड़क निर्माण में 6 टन, दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस वे के यूपी गेट के पास दो किमी सड़क के लिए 1.6 टन प्लास्टिक कचरा लगा। इसके अलावा 270 किलोमीटर लंबे जम्मू-कश्मीर राष्ट्रीय राजमार्ग में प्लास्टिक का कचरा मिलाया गया। दिल्ली के धौलाकुआं से एयरपोर्ट जाने वाले एक किलोमीटर राजमार्ग में प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल हुआ।
इन शहरों में भी चालू है काम
लखनऊ, जमशेदपुर, पुणे, चेन्नै, इंदौर आदि शहरों में भी सड़कों के निर्माण में प्लास्टिक कचरे का इस्तेमाल किया जा रहा है। सड़क परिवहन मंत्रालय की पांच लाख और अधिक आबादी वाले शहरी क्षेत्रों में 50 किलोमीटर के दायरे में प्लास्टिक कचरे के लिए कलेक्शन सेंटर बनाने की योजना है।