गांधी जयंती विशेष: राष्ट्रपिता से जुड़ीं स्मृतियां आज भी संजोए हैं यह शहर

देश की आजादी में महान योगदान देने वाले राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी की आज 150वीं जयंती है। ‘बापू’ के विचारों को आज पूरी दुनिया प्रभावशाली मानती है। महात्मा गांधी की जयंती पर हम आपको उनके जीवन से जुड़ीं महत्वपूर्ण जगहों के बारे में बताएंगे।

दक्षिण अफ्रीका

महात्मा गांधी के जीवन में भारत के अलावा अगर किसी अन्य देश की अहमियत थी, तो वह दक्षिण अफ्रीका था। अफ्रीका महाद्वीप के दक्षिणी छोर पर बसे इस देश में महात्मा गांधी ने अपने जीवन के 21 साल गुजारे थे। दक्षिण अफ्रीका में डरबन और जोहान्सबर्ग शहरों से महात्मा गांधी का करीबी रिश्ता रहा था। यह दोनों ही दक्षिण अफ्रीका के प्रमुख शहरों में शामिल हैं। यहां घूमने के लिए बहुत कुछ है। इन शहरों में आज भी महात्मा गांधी से जुड़ीं स्मृतियों को अनुभव कर सकते हैं।

डरबन

दक्षिण अफ्रीका के क्वाजुलु नटाल राज्य का यह सबसे बड़ा शहर है। यह वही शहर है, जहां से प्रिटोरिया (दक्षिण अफ्रीका की प्रशासनिक राजधानी) जाते वक्त महात्मा गांधी के साथ ट्रेन में बदसुलूकी की गई थी। गोरों की ओर से किए गए इस अप्रत्याशित व्यवहार ने महात्मा गांधी को भीतर तक झकझोर के रख दिया था। डरबन में तमाम शानदार जगहें हैं। समंदर के किनारे होने के कारण यहां बड़ी संख्या में टूरिस्ट सैर-सपाटा करने पहुंचते हैं।

ग्रे स्ट्रीट में होता है भारतीयता का अहसास

डरबन के ग्रे स्ट्रीट पर पहुंचकर आपको यह अहसास ही नहीं होगा कि आप भारत से दूर दक्षिण अफ्रीका में हैं। इस शहर में भारतीय संस्कृति इतनी अधिक रच-बस गई है कि आप हैरत में पड़ जाएंगे। यहां डरबन का सबसे बड़ा विक्टोरिया स्ट्रीट मार्केट है, जहां सड़क किनारे बेहतरीन मसाले, हाथ से बने गहने, जूते और यहां तक कि भारतीय परिधान भी बिकते हैं। डरबन के दुकानदार भारतीय व्यंजनों को बनाने में भी बेहद माहिर हैं। ग्रे स्ट्रीट पर प्रसिद्ध जुमा मस्जिद भी है।

जोहान्सबर्ग

यह दक्षिण अफ्रीका के सबसे बड़े शहर के रूप में जाना जाता है। हीरे और सोने की खदानों के लिए विश्व प्रसिद्ध जोहान्सबर्ग महात्मा गांधी को आज भी अच्छी तरह से संजोए हुए है। यहां गांधीजी की स्मृति में सत्याग्रह हाउस भी बना है, जिसे स्थानीय लोग गांधी हाउस के नाम से जानते हैं। गांधी ने इस शहर में अपने जीवन के करीब दो दशक बिताए थे। आज भी यहां हर साल विभिन्न मौकों पर गांधीजी की याद में कार्यक्रम आयोजित होते हैं।

सत्याग्रह हाउस

जोहान्सबर्ग के 15 पाइन रोड पर सत्याग्रह हाउस (सदन) या दूसरे लफ्जों में कहें तो गांधी हाउस मौजूद है। यह 1908 से 1909 तक कुछ समय के लिए महात्मा गांधी का निवास स्थल और कार्यालय रहा था। इसे वास्तुकार हर्मन कैमलबाक ने डिजायन किया था। आज के समय में यह संग्रहालय और गेस्ट हाउस के रूप में प्रसिद्ध है। साल 2011 में एक फ्रेंच कंपनी ने इसे अपने अधिकार में लेते हुए इसमें कई बदलाव किए हैं। यहां के कर्मचारी आज भी खादी के वस्त्र पहनते हैं। इसके अलावा जोहान्सबर्ग के फोर्ड्सबर्ग में बना गांधी स्क्वायर भी अपने आप में खास है। यहां महात्मा गांधी की एक मूर्ति भी लगी है, जिसे वर्ष 2003 में वहां के मेयर ने लगवाया था। यहां पास में ही मौजूद जोहान्सबर्ग लॉ कोर्ट से ही गांधीजी ने अपनी लॉ की पढ़ाई पूरी की थी।

पोरबंदर

गुजरात के पोरबंदर में ही महात्मा गांधी का जन्म हुआ था। यहीं उन्होंने अपना बचपन गुजारा था। उनके घर को अब कीर्ति मंदिर संग्रहालय के रूप में तब्दील कर दिया गया है। यहां महात्मा गांधी से जुड़ी चीजें आज भी सहेज कर रखी गई हैं। उनके जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों की दुर्लभ तस्वीरें और मोमेंटो भी यहां रखे गए हैं। यहां एक लाइब्रेरी भी हैं, जहां किताबें पढ़कर आप गांधीवादी विचारधारा को समझ सकते हैं। कीर्ति मंदिर के पीछे वह जगह भी है, जहां उनकी पत्नी कस्तूरबा गांधी का जन्म हुआ था।

पोरबंदर में कई अच्छी जगहें हैं। इसे गुजरात का सबसे बेहतरीन समुद्री किनारा भी माना जाता है। यहां का पोरबंदर चौपाटी बीच काफी मशहूर है। इसके साथ ही पोरबंदर का कृष्ण-सुदामा मंदिर भी चर्चित टूरिस्ट प्लेस है। श्रीकृष्ण के बचपन के मित्र सुदामा का जन्म भी पोरबंदर में ही हुआ था। इसीलिए पोरबंदर को प्राचीनकाल में सुदामापुरी भी कहा जाता था। इस मंदिर की स्थापना 13वीं शताब्दी में की गई थी, जिसे बाद में पोरबंदर के महाराजा श्री भावसिंह ने दोबारा बनवाया था।

अहमदाबाद

गुजरात के इस सबसे बड़े शहर से महात्मा गांधी का विशेष जुड़ाव रहा है। अहमदाबाद ने भारत की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका भी निभाई थी। पुराने समय में कर्णावती के नाम से मशहूर रहे इस शहर में गांधीजी की तमाम स्मृतियां जुड़ी हुई हैं।

साबरमती आश्रम

महात्मा गांधी का ज्यादातर समय अहमदाबाद में ही बीतता था। वह 21 साल दक्षिण अफ्रीका में रहने के बाद वर्ष 1914 में हमेशा के लिए भारत आ गए थे, जिसके बाद 25 मई 1915 में अहमदाबाद में कोचरब नाम की जगह पर सत्याग्रह आश्रम की स्थापना की गई थी। बाद में दो साल बाद इस आश्रम को साबरमती नदी के किनारे बसाया गया, जो बाद में साबरमती आश्रम के नाम से प्रसिद्ध हो गया। इस आश्रम की बात करें तो यह महात्मा गांधी और देश की आजादी से जुड़ी अमूल्य धरोहरों को खुद में संजोए हुआ है। यहीं से ही 1930 में महात्मा गांधी ने दांडी मार्च की शुरुआत की थी। इस

महात्मा गांधी का ज्यादातर समय अहमदाबाद में ही बीतता था। वह 21 साल दक्षिण अफ्रीका में रहने के बाद वर्ष 1914 में हमेशा के लिए भारत आ गए थे, जिसके बाद 25 मई 1915 में अहमदाबाद में कोचरब नाम की जगह पर सत्याग्रह आश्रम की स्थापना की गई थी। बाद में दो साल बाद इस आश्रम को साबरमती नदी के किनारे बसाया गया, जो बाद में साबरमती आश्रम के नाम से प्रसिद्ध हो गया।

इस आश्रम की बात करें तो यह महात्मा गांधी और देश की आजादी से जुड़ी अमूल्य धरोहरों को खुद में संजोए हुआ है। यहीं से ही 1930 में महात्मा गांधी ने दांडी मार्च की शुरुआत की थी। इस आश्रम में आपको महात्मा गांधी का चरखा और तमाम यादगार चीजें दिखाई देंगी। यहां आचार्य विनोबा भावे ने भी अपने जीवन के कुछ महीने बिताए थे।

उनसे जुड़ी यादों के रूप में आश्रम में विनोबा- मीरा कुटीर भी मौजूद है। मेनगेट से कुछ दूरी पर नंदिनी गेस्ट हाउस है, जहां पं. जवाहरलाल नेहरू, रवीन्द्रनाथ टैगोर, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, सी. राजगोपालाचारी जैसी हस्तियां ठहर चुकी हैं।

बिड़ला भवन, नई दिल्ली

30 जनवरी 1948 को नई दिल्ली के बिड़ला भवन में गोली मारकर नाथूराम गोडसे ने गांधीजी हत्या कर दी थी। उनकी स्मृति में इस जगह को संग्रहालय के रूप में स्थापित कर दिया गया है। पहले इस जगह पर बिड़ला परिवार रहता था, जिस जगह महात्मा गांधी को गोली मारी गई थी, वहां अब एक स्मृति स्थल बनाया गया है। इस जगह को 15 अगस्त 1973 को आमजनता के लिए खोला गया था, तब से इसे गांधी स्मृति के नाम से जाना जाता है। बिड़ला भवन में 12 कमरे हैं, जिसे 1928 में घनश्यामदास बिड़ला ने बनवाया था।

नई दिल्ली में ही यमुना नदी के किनारे महात्मा गांधी का समाधि स्थल भी है। यहां काले रंग के चबूतरे पर उनके द्वारा कहे गए आखिरी शब्द ‘हे राम’ उकेरे गए हैं।


Zeen is a next generation WordPress theme. It’s powerful, beautifully designed and comes with everything you need to engage your visitors and increase conversions.