हर साल की तरह इस बार भी पराली जलाने की घटनाएँ शुरू होते ही वायु प्रदूषण का संकट गहराने लगा है। पंजाब और हरियाणा में किसानों द्वारा पराली जलाने की घटनाएँ बढ़ रही हैं, जिसके चलते राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) और इसके आसपास के क्षेत्रों की हवा फिर से जहरीली होती जा रही है। इस समस्या को लेकर केंद्र सरकार द्वारा गठित वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) और राज्यों की ओर से उठाए जा रहे कदमों की समीक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कड़ी टिप्पणी की।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अभय एस. ओका की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने वायु प्रदूषण से जुड़े इस मामले की सुनवाई करते हुए आयोग और पंजाब-हरियाणा सरकारों को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि हर बार की तरह इस साल भी पराली जलाने की घटनाओं पर रोक लगाने में असफलता दिखी है। आयोग की ओर से प्रस्तुत की गई अमल रिपोर्ट में गहरी असंतुष्टि जाहिर करते हुए कोर्ट ने कहा कि आयोग ने अपने ही निर्देशों का पालन नहीं किया है।
पंजाब-हरियाणा पर सख्त रुख
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकारों को भी किसानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई न करने के लिए आड़े हाथों लिया। कोर्ट ने कहा कि दोनों राज्य सरकारें पराली जलाने वाले किसानों पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं कर रही हैं और न ही उन्हें रोकने के लिए प्रभावी कदम उठा रही हैं। पंजाब में अब तक 129 और हरियाणा में 81 घटनाएँ रिपोर्ट की गई हैं, लेकिन केवल 40-45 किसानों के खिलाफ ही कार्रवाई की गई है, जो पर्याप्त नहीं है।
पंजाब की स्थिति पर सवाल
पंजाब सरकार की ओर से पराली नष्ट करने के लिए किसानों को मशीनें उपलब्ध कराने का दावा किया गया, लेकिन कोर्ट ने मशीनों को चलाने के लिए ड्राइवर और डीजल की कमी की बात पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने पूछा कि क्या सरकार चाहती है कि उसे ड्राइवर और डीजल भी मुहैया कराया जाए। कोर्ट ने कहा कि राज्य की भी कुछ जिम्मेदारी बनती है और केवल केंद्र सरकार पर निर्भर रहना सही नहीं है।
आयोग की निष्क्रियता पर उठे सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को भी जमकर फटकार लगाई। आयोग की निष्क्रियता पर सवाल उठाते हुए कोर्ट ने कहा कि शक्तियाँ होते हुए भी आयोग ने पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की। न तो कोई मुकदमा दर्ज किया गया और न ही कोई ठोस कदम उठाए गए। कोर्ट ने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि 29 अगस्त को हुई बैठक में 11 सदस्यों में से केवल 5 ही उपस्थित थे।
अगली सुनवाई 16 अक्टूबर को
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को एक सप्ताह के भीतर पराली जलाने से निपटने के लिए फिर से अमल रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई अब 16 अक्टूबर को होगी, जहाँ यह देखा जाएगा कि अब तक क्या प्रगति हुई है और किस तरह की कार्रवाई की गई है।
निष्कर्ष
यह स्पष्ट है कि पराली जलाने से जुड़े इस गंभीर मुद्दे पर केवल दिशा-निर्देश देना पर्याप्त नहीं है। अगर इस समस्या का समाधान करना है तो राज्य सरकारों और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग को मिलकर ठोस कदम उठाने होंगे। अन्यथा, हर साल की तरह इस साल भी दिल्ली और एनसीआर की हवा में प्रदूषण का स्तर खतरनाक हो जाएगा, जिसका दुष्प्रभाव जनता को भुगतना पड़ेगा।