पाकिस्तान ने जर्मनी और मालदीव से लगाई गुहार, दोनों जगह हुई हार
भारत द़्वारा कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद पाकिस्तान ने यूएन से इस मामले में हस्तकक्षेप करने को कहा था। यूएन में चीन को छोड़कर पाकिस्तान को और किसी भी देश का साथ नहीं मिला। इस मामले में देशभर से बदमानी झेल रहे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान अब जर्मनी के सामने जम्मू कश्मीर का मुद्दा उठाया है। उन्होंने फोन के जरिये जर्मनी की चांसलर एंगेला मर्केल से कश्मीर मुद्दे पर बातचीत की। खबर है कि इमरान खान ने जर्मनी एंगेला से कहा कि भारत की ओर से जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने से क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय की तत्काल कार्रवाई की जिम्मेदारी बनती है। इस पर जर्मन चांसलर ने कहा कि जर्मनी ने कश्मीर को लेकर भारत-पाकिस्तान के हालात पर करीब से नजर बनाई हुई है। उन्होंने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री से हुई बातचीत में तनाव कम करने तथा मुद्दे को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने की अहमियत पर जोर देने को कहा।
भारत ने पाकिस्तान को असलियत स्वीकार करने की सलाह दी
भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पहले ही साफ कर दिया है कि जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को हटाना उसका आंतरिक मामला है। साथ में भारती की ओर से पाकिस्तान को असलियत स्वीकार करने की भी सलाह भी दी गई है। इतना ही नहीं कश्मीर मामले में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भी मालदीव के अपने समकक्ष अब्दुल्ला शाहिद को कश्मीर मुद्दे पर जानकारी दी। हालांकि, मालदीव ने भी इस मामले में यह कहते हुए हस्तकक्षेप करने से पूरी तरह से मना कर दिया है कि यह भारत का अंतरिक मामला है। पाकिस्तान ने मालदीव से शांति और स्थिरता के लिए तथा विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए रचनात्मक भूमिका निभाने की गुजारिश की थी, लेकिन यहां भी उसे निराशा ही हाथ लगी है।
कॉल के लिए धन्यवाद, लेकिन कश्मीर मामले में कोई दखल नहीं
बता दें कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी द्वारा मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद को फोन किए जाने के बाद मालदीव की ओर से जवाब आया, मालदीव मानता है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 के संबंध में भारत का फैसला उसका आंतरिक मामला है। मालदीव के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि शाहिद ने टेलीफोन कॉल के लिए कुरैशी का शुक्रिया अदा किया और कहा कि पाकिस्तान तथा भारत, दोनों मालदीव के करीबी दोस्त हैं और द्विपक्षीय साझेदार हैं। शाहिद ने देशों के बीच मतभेदों को शांतिपूर्ण तरीके से सौहार्दपूर्ण माहौल में हल करने की सलाह दी है।
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