महंगाई पर काबू पाने की कोशिशों के तहत सरकार अब 38 जरूरी चीजों की कीमतों की रोजाना मॉनिटरिंग करेगी। अब तक 22 चीजों पर नजर रखी जाती थी। नई चीजों में बैंगन, बाजरा, रागी, अंडा, सूजी, बेसन, मैदा, घी जैसे 16 आइटम हैं। गुरुवार को प्राइस मॉनिटरिंग सिस्टम मोबाइल ऐप वर्जन 4.0 लॉन्च करते हुए खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने यह जानकारी दी। देश के 34 राज्यों के 550 केंद्रों से दाम की मॉनिटरिंग की जाएगी। साल 2013-14 में सिर्फ 57 केंद्रों से दाम की निगरानी हो रही थी।
जोशी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि महंगाई घटाने के लिए 10 हजार करोड़ रुपये का प्राइस स्टेबलाइजेशन फंड मिला है, लेकिन इसका इस्तेमाल तभी किया जाएगा जब बहुत जरूरी हो। यह लोगों को राहत देने का अंतिम हथियार होगा।
समय-समय पर बढ़ती रही लिस्ट
उपभोक्ता मामले मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार 1998 में 14 जरूरी वस्तुओं के दाम की रोजाना निगरानी शुरू की गई थी। तब इस सूची में सिर्फ चावल, गेहूं, आटा, चना दाल, अरहर दाल, मूंगफली का तेल, सरसों का तेल, वनस्पति, चीनी, चाय, नमक, आलू, प्याज और दूध शामिल किए गए थे।
इसके बाद 2008 में मसूर दाल, मूंग दाल और उड़द दाल यानी इस सूची में तीन चीजें और जोड़ दी गईं। फिर 2010 में चार चीजें जोड़ी गईं। इनमें गुड़, सोया तेल, सूरजमुखी तेल और पाम तेल को शामिल किया गया। जबकि 2011 में टमाटर को भी इसमें जोड़ दिया गया। अब 1 अगस्त 2024 से इस लिस्ट में 16 और वस्तुओं को जोड़ दिया गया है।
कितने रुपये किलो मिला टमाटर
इस तरह से दाम की निगरानी से नीतिगत निर्णय लेने में मदद मिलती है। इस पहल से उपभोक्ताओं के लिए आवश्यक वस्तुओं की सही दाम पर उपलब्धता होगी। सरकार ने हाल के दिनों में खाने पीने की चीजों के दाम को काबू में रखने के लिए लिए कई उपाय किए हैं। इनमें उपभोक्ताओं को 60 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से भारत चना दाल, 27.50 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से भारत आटा और 29 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से भारत चावल उपलब्ध कराना शामिल है।
एनसीसीएफ ने 29 जुलाई, 2024 से उपभोक्ताओं को 60 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से टमाटर की बिक्री शुरू की है। इसके लिए भी प्राइस स्टेबलाइजेशन फंड का इस्तेमाल नहीं करना पड़ा है, क्योंकि सरकार को कर्नाटक में 40-45 रुपये किलो पर टमाटर उपलब्ध हुआ है।
स्टॉक लिमिट क्यों लगाई
जमाखोरी को रोकने के लिए 21 जून 2024 से 30 सितंबर 2024 तक अरहर और देसी चना पर स्टॉक सीमा लगाई गई है। घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के लिए अरहर, उड़द, मसूर, पीली मटर और देसी चना सहित दालों के शून्य शुल्क पर आयात की अनुमति दी गई है। उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए, कम उत्पादन वाले महीनों के दौरान 5 लाख मीट्रिक टन का बफर स्टॉक बनाया जा रहा है। जोशी ने कहा कि पिछले एक महीने में प्रमुख मंडियों में चना, तुअर और उड़द की कीमतों में 4 फीसदी तक की गिरावट आई है। उपभोक्ता मामले मंत्रालय ने कृषि मंत्रालय के साथ मिलकर काम किया है, जिससे इस साल दलहन का रकबा बढ़ा है, इससे आने वाले दिनों में महंगाई रोकने में मदद मिलेगी।