फूड सेफ़्टी स्टैण्डर्ड अथारिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने ई- कामर्स कंपनियों और फूड बीजनेसेस को दूध और उनसे बने प्रोडेक्ट की पैकिजिंग से ए1 और ए2 लेबिलिंग हटाने का आदेश दिया था। लेकिन सरकार का ये आदेश एक हफ्ते भी नहीं टिक पाया और अब फूड रेगुलेटरी ने आदेश को वापस ले लिया है।
ए1 और ए2 दूध क्या है?
बतादें दूध और उनसे बने प्रोडेक्ट्स पर ए1 और ए2 टाइप लेबल का मतलब दूध में मौजूद ‘बीटा केसीन प्रोटीन ‘ के केमिकल स्ट्रक्चर से जुड़ा है। यह दूध देने वाले पशु के ब्रीड और ओरिजिन के हिसाब से बदलता है। बीटा केसीन सबसे ज्यादा मात्र में पाया जाने वाला दूसरा प्रोटीन है। इसमें अमीनो एसिड का बेहतर न्यूट्रीशिनल बैलेंस होता है।
आमतौर पर ए2 मिल्क मूल रूप से भारतीय (देसी) नस्ल की गायों से आता है। ये प्रोटीन में रिच होते हैं। इनमें लाल सिंधी, साहिवाल, गिर, देवनी और थारपारकर जैसी कैटेगरी शामिल है। जबकि ए1 मिल्क यूरोपियन कैटल ब्रीड से आता है। ये गायें क्रास ब्रीडिंग के जरिये पैदा होती हैं। इनमें जर्सी, आयरशायर और ब्रिटिश शार्ट हार्न जैसे कैटेगरी है और कई मेडिकल जर्नल में ए2 को ए1 डेयरी प्रोडक्ट से ज्यादा पौष्टिक माना जाता रहा है।
FSSAI का पिछला आदेश
फूड रेगुलेटरी ने इस तरह के दावे को भ्रामक बताते हुए इस लेबलिंग को हटाने का आदेश कुछ दिनों पहले दिया था। ई-कामर्स प्लेटफॉर्म को भी इन दावों को उत्पादों और वेबसाइट से तुरंत हटाने का फरमान जारी किया गया था। फूड सेफ़्टी स्टैण्डर्ड अथारिटी ऑफ इंडिया ने ए2 दूध का दावा कर सभी तरह के डेयरी उत्पाद बेचने पर 21 अगस्त से प्रतिबंध लगाया था।
विशेष तौर पर घी और मक्खन की बात कही गई थी। फूड सेफ़्टी स्टैण्डर्ड अथारिटी ऑफ इंडिया का कहना था की गुणवत्ता के आधार पर ए1 और ए2 दूध में कोई फर्क नहीं है। फिर भी ए2 की लेबलिंग कर महंगे दामों में बेचा जाता है।
आदेश का वापस लिया जाना
लेकिन अब FSSAI ने अपना आदेश वापस ले लिया है यानिकी अब ई-कामर्स कंपनियों और फूड बिजनेस इस ए1 और ए2 लेबलिंग के साथ अपने उत्पाद और उनकी मार्केटिंग जारी रख सकते हैं। इस आदेश को वापस लेने के पीछे फूड रेगुलेटरी अथारिटी FSSAI ने कोई तर्क नहीं दिया उन्होने बस इतना कहा कि यह फैसला डेयरी कारोबारियों से परामर्श के बाद लिया जा रहा है।
इस बदलाव से डेयरी उद्योग में हलचल मच गई है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि उपभोक्ताओं और व्यवसायों पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है।