पराली जलाने से उत्पन्न वायु प्रदूषण को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने एक अहम कदम उठाया है। अब पराली जलाने पर किसानों को पहले से दोगुना जुर्माना देना होगा। सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद, केंद्र सरकार ने बुधवार को यह निर्णय लिया, जिसमें किसानों से पर्यावरणीय क्षति की भरपाई के लिए अधिक जुर्माना वसूला जाएगा।
जुर्माने की नई व्यवस्था
अब पांच एकड़ से अधिक भूमि वाले किसानों पर पराली जलाने की हर घटना के लिए 30 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा, जो पहले 15 हजार रुपए था। दो एकड़ से कम भूमि वाले किसानों को पांच हजार रुपए तक का जुर्माना देना होगा, जबकि दो से पाँच एकड़ के बीच के किसानों के लिए यह राशि 10 हजार रुपए तक निर्धारित की गई है।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणियां
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों, खासकर पंजाब और हरियाणा को पराली जलाने के मामलों पर सख्त कदम उठाने के लिए निर्देश दिए। कोर्ट ने वायु प्रदूषण के मुद्दे पर नाममात्र के जुर्माने को “हास्यास्पद” बताया और यह भी कहा कि प्रदूषण मुक्त वातावरण नागरिकों का मौलिक अधिकार है, जिसे अनुच्छेद 21 के तहत सुरक्षित रखा गया है। कोर्ट ने पंजाब-हरियाणा को इस मुद्दे पर 14 नवंबर तक अपना जवाब दाखिल करने का आदेश भी दिया था।
पर्यावरण मंत्रालय की अधिसूचना
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने इस बढ़े हुए जुर्माने के संबंध में अधिसूचना जारी की है, जिसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में वायु गुणवत्ता आयोग की सिफ़ारिश के बाद लागू किया गया है। यह कदम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि सर्दियों के मौसम में पराली जलाने से प्रदूषण का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ जाता है, जिससे दिल्ली सहित एनसीआर के अन्य हिस्सों में सांस लेने में दिक्कतें बढ़ जाती हैं।
राज्यों की जिम्मेदारी और विफलता
हरियाणा सरकार के प्रयासों से सुप्रीम कोर्ट पूरी तरह संतुष्ट नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि अगर सरकारें इस मुद्दे को लेकर गंभीर होतीं, तो कुछ मामलों में कार्रवाई शुरू होती। कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि अब वक्त आ गया है कि प्रदूषण मुक्त वातावरण की दिशा में सख्त कदम उठाए जाएं और इसे सुनिश्चित किया जाए कि नागरिकों का स्वास्थ्य खतरे में न पड़े।
इस फैसले का महत्व
पराली जलाने से वायु में सूक्ष्म कण और जहरीली गैसें बढ़ जाती हैं, जिससे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और अन्य सांस संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ता है। केंद्र सरकार के इस नए कदम से उम्मीद की जा रही है कि पराली जलाने की घटनाओं में कमी आएगी और पर्यावरण को संरक्षित किया जा सकेगा।
निष्कर्ष
केंद्र सरकार का यह फैसला किसानों पर दबाव डालने के साथ-साथ जागरूकता बढ़ाने का प्रयास भी है। इस बदलाव से उम्मीद है कि राज्य सरकारें भी पर्यावरण संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाएंगी और किसानों को पराली के बेहतर प्रबंधन के विकल्प प्रदान करेंगी।