मुंबई आतंकी हमला: देश नहीं भूल सकता इन जांबाजों की शहादत

26 नवंबर, 2008 को मुबई में हुए आतंकी हमले की आज 10 बरसी है। इस कायराना हमले में 166 लोगों को आतंकियों ने मार दिया था। वहीं सैकड़ों की संख्या में लोग घायल भी हो गए थे। ये हमले मुंबई में मुख्य रूप से ताज होटल, ट्राइडेंट होटल को निशाना बनाकर किए गए थे। इस हमले को नाकाम करने के पीछे हमारे जवानों का भी बहुत बड़ा हाथ था। इसमें जाबांज ऐसे थे, जिन्होंने अपनी जान पर खेलकर आतंकियों के मंसूबों को नाकाम किया था। आज हम उन्हीं वीरों की गाथा को आपके साथ शेयर करने जा रहे हैं।
हेमंत करकरे: पहले निभाया देश के प्रति फर्ज
मुंबई हमले का जब भी जिक्र आता है। उसमें एटीएस चीफ हेमंत करकरे की वीरता जरूर याद की जाती है। 12 दिसंबर को जन्में करकरे जी 1982 बैच के आईपीएस अधिकारी थे। घटना के वक्त हेमंत अपने घर में खाना खा रहे थे तभी उनके पास क्राइम ब्रांच ऑफिस से फोन आया। ये सुनते ही हेमंत खाना छोड़कर अपना कर्तव्य निभाने के लिए घर से निकल पड़े। उन्होंने एसीपी अशोक काम्टे, इंस्पेक्टर विजय सालस्कर के साथ आतंकियों से मोर्चा संभाला। कामा हॉस्पिटल के बाहर मुठभेड़ में पाकिस्तानी आतंकी अजमल कसाब की गोलियों का शिकार हो गए थे। उनकी शहादत को मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था।
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मेजर उन्नीकृष्णन: ‘मैं अकेले संभाल लूंगा’
भारतीय सेना में मेजर संदीप उन्नीकृष्णन सिक्योरिटी गार्ड के कमांडो थे। वे आतंकी हमले के दौरान ऑपरेशन ब्लैक टारनेडो का नेतृत्व कर रहे थे। जाबांज उन्नीकृष्णन पाकिस्तानी आतंकियों से ताज होटल में लोहा ले रहे थे। तभी एक आतंकी ने उन्हें पीछे से गोली मार दी। वे घटनास्थल पर ही शहीद हो गए थे। उनकी इस बहादुरी के लिए उन्हें 26 जनवरी 2009 को अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था। आतंकी हमले के दौरान अपने साथियों के दिया हुआ अंतिम संदेश ‘ऊपर मत आना, मैं उन्हें संभाल लूंगा’ था, जिससे उनकी वीरता का सहज रूप से अंदाजा लगाया जा सकता है।
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तुकाराम ओम्बले का याद रहेगा योगदान
मुंबई पुलिस में तैनात सहायक पुलिस इंस्पेक्टर तुकाराम ओम्बले ही वो बहादुर थे, जिन्होंने आतंकी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ने में सफलता हासिल की थी, लेकिन आतंकी ने उन्हें भी गोलियों से भून दिया। उनको मौके पर ही शहादत हासिल हुई थी। ओम्बले की इस वीरता के लिए भारत सरकार ने उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया था। मुंबई आतंकी हमले को नाकाम बनाने में तुकाराम ओम्बले के योगदान को हमेशा याद किया जाता रहेगा।
अशोक काम्टे: सिर पर गोली लगने के बावजूद लिया लोहा
जिस समय मुंबई में आतंकी हमला हुआ एसीपी अशोक काम्टे ने डटकर सामना किया था। अशोक काम्टे एटीएस चीफ हेमंत करकरे के साथ आतंकियों के हमले को नाकाम कर रहे थे। दुर्भाग्य से दोनों आतंकियों की गोली का शिकार बन गए थे। पाकिस्तानी आतंकी इस्माइल खान की गोली अशोक काम्टे के सिर पर लगी थी, लेकिन उन्होंने बहादुरी का परिचय देते हुए दुश्मनों को मार गिराया था।
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विजय सालस्कर: वीरता को देश का सलाम
मुंबई आतंकी हमले में हमारे देश के कई जाबांज शहीद हुए थे, जिसमें सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर विजय सालस्कर भी शामिल थे। उनकी मृत्यु भी आतंकी हमले में गोली लगने से हुई थी। कामा हॉस्पिटल के बाहर हुई गोलीबारी का वो शिकार बन गए थे। उन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था।
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