MT. वासुदेवन नायर के निधन पर PM मोदी और राष्ट्रपति ने जताया शोक, लंबी बिमारी के बाद ली अंतिम सांस

M. T. Vasudevan Nair

प्रसिद्ध मलयालम लेखक और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित M. T. Vasudevan Nair, जिन्हें उनकी साहित्यिक उत्कृष्टता के लिए जाना जाता था। उनका बुधवार शाम को निधन हो गया। वासुदेवन जो अपनी अनूठी कहानी कहने की शैली और ग्रामीण जीवन की जटिलताओं को उजागर करने के लिए प्रसिद्ध थे।

वासुदेवन नायर को हाल ही में हृदय संबंधी समस्याओं के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। जानकारी के अनुसार, वह लंबे समय से साँस और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे। 1933 में केरल के पलक्कड़ जिले के कुडल्लूर गांव में जन्मे एम. टी. वासुदेवन नायर ने सात दशकों तक साहित्य के क्षेत्र में ऐसी रचनाएं कीं जो न केवल आम लोगों बल्कि बुद्धिजीवियों को भी प्रभावित करती रही हैं।

वासुदेवन नायर ने अपना करियर कन्नूर के तलिपरम्बा में शिक्षक और ग्रामसेवक के रूप में शुरू किया था। 1957 में वह मातृभूमि साप्ताहिक से जुड़े और उप-संपादक के रूप में काम किया। सात दशकों के अपने साहित्यिक सफर में उन्होंने 9 उपन्यास, 19 लघुकथा संग्रह, 6 फिल्मों का निर्देशन, 54 से अधिक पटकथाएं और कई निबंध व संस्मरण लिखे। उनकी कृतियों में ओरु वडक्कन वीरगाथा, कदावु , सदायम और परिणयम आदि शामिल हैं, जिनके लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ पटकथा का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला।

देशभर में शोक की लहर

Prime Minister Narendra Modi ने M.T. Vasudevan Nair के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “मलयालम साहित्य और सिनेमा के सबसे प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों में से एक, श्री एम.टी. वासुदेवन नायर जी के निधन से गहरा दुख हुआ। उनकी रचनाओं ने मानवीय भावनाओं की गहराई को उजागर किया और पीढ़ियों को प्रेरित किया। उन्होंने उन लोगों की आवाज बनकर काम किया, जो अक्सर समाज में अनदेखे रह जाते हैं। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। वहीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया और कहा कि वासुदेवन नायर का योगदान साहित्य और सिनेमा की दुनिया में हमेशा याद किया जाएगा।

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