रक्षा मंत्री की जगह खुद लेह क्यों पहुंच गए पीएम?
Posted By: Team IndiaWave
Last updated on : July 03, 2020
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (pm narendra modi) को चौंकाना बहुत पसंद है। पीएम ने नोटबंदी (notebandi) और लॉकडाउन कर तो देश को चौंकाया ही था, आज हमारे चालबाज पड़ोसी चीन को भी उन्होंने सकते में डाल दिया। प्रधानमंत्री आज अचानक ही लद्दाख (Ladakh) में लेह पहुंच गए। उनके कार्यक्रम की सबसे तेज चैनलों को भी खबर नहीं लगी। अब उनके इस विजिट के कई तरह के मायने निकाले जा रहे हैं। आइए उनके दौरे के पीछे की संभावनाओं पर नजर डालते हैं।
प्रधानमंत्री का यह दौरा इसलिए भी अहम हो जाता है, क्योंकि इसकी पहले से कोई प्लानिंग नहीं की गई थी। एक दिन पहले तक यह बात सामने आई थी कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (rajnath singh) लेह के दौरे पर जाएंगे। रक्षा मंत्री (Ministry of Defence) तो दिल्ली में ही रह गए और उनकी जगह पहुंच गए प्रधानमंत्री। युद्ध जैसे हालात के बीच प्रधानमंत्री (pm) के तनावग्रस्त क्षेत्र में जाने से कई तरह के कयास भी लगाए जा रहे हैं।
जवानों का बढ़ा हौसला
पीएम के साथ सीडीएस बिपिन रावत और थल सेनाध्यक्ष मुकुंद नरवाने भी मौजूद थे। इसी क्षेत्र में आने वाली गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों की चीन की सेना के साथ खूनी झड़प हुई थी। पीएम के फ्रंट पर पहुंचने से जवानों का हौसला बढ़ गया था। 11 हजार फीट की ऊंचाई पर भारतीय सैनिकों का हौसला आसमान छू रहा था। मोदी का अचानक हुआ दौरा बहुत खास बताया जा रहा है। यह दौरा खास इसलिए भी है क्यों कि मोदी को चाइना (china) की सरकार को यह स्पष्ट संदेश देना भी है कि भारत मामले को बहुत गंभीरता से ले रहा है।
एक दिन पहले शाम को लिया गया फैसला
पीएम के लेह जाने का फैसला गुरुवार शाम को ही फाइनल हो गया था। देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल (ajit doval) ने इसके लिए सीडीएस बिपिन रावत से चर्चा भी की थी। हालांकि इस बात को मीडिया में नहीं आने दिया गया। मकसद चीन को चौंकाना था और इस काम को बखूबी अंजाम भी दे दिया गया।
डोभाव और रावत की जोड़ी ने दी थी डोकलाम में शिकस्त
प्रधानमंत्री की यात्रा के सूत्रधार एनएसए अजित डोभाल और सीडीएस बिपिन रावत थे। डोभाव और रावत की जोड़ी ने ही डोकलाम में चीन (china) को पीछे धकेल दिया था। लंबे गतिरोध के बाद चीन की सेना को भूटाने की सीमा से पीछे हटना पड़ा था।
मोदी ने क्या कहा
लद्दाख सेक्टर पर पहुँचने के बाद पीएम मोदी ने सेना के जवानों को संबोधित किया और उनका उत्साह बढ़ाया। मोदी ने स्पष्ट संदेश दे दिया कि चालबाज चीन को मंसूबों में कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा, पूरे लद्दाख में भारतीय सैनिकों के पराक्रम की निशानियां फैली हुई हैं। केंद्र सरकार सशस्त्र बलों की जरूरतों का पूरा ध्यान रख रही है। लेह और लद्दाख से लेकर करगिल और सियाचिन तक, यहां पर फैली बर्फीली चोटियों से लेकर गलवान घाटी की ठंडे पानी की धारा तक, हर चोटी, हर पहाड़, हर जर्रा-जर्रा, हर कंकड़, पत्थर सब भारतीय सैनिकों के पराक्रम की गवाही दे रहे हैं।
मोदी के बयान के मायने
लद्दाख में पहुंचकर मोदी का चीन पर बयान देना यह साफ करता है कि भारत हर परिस्थिति के लिए तैयार है। इसमें युद्ध भी शामिल है। बता दें कि गलवान घाटी लद्दाख और अक्साई चिन के बीच एलएसी के नज़दीक है। LAC अक्साई चिन को भारत से अलग करती है। पूरी घाटी चीन के दक्षिणी शिनजियांग और भारत के लद्दाख तक फैली हुई है। 1962 में चीन ने अक्साई चिन पर कब्जा कर लिया था।
लेफ्टिनेंट जनरल ने की ब्रीफिंग
लद्दाख पहुंचने पर पीएम को लेह में लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने निमू आर्मी हेडक्वॉर्टर में हालात की पूरी जानकारी दी। पीएम ने निमू में जवानों के साथ मुलाकात की। पीएम नरेंद्र मोदी ने लद्दाख में चीन को सुनाते हुए कई बातें भी कहीं। उन्होंने कहा, ‘विस्तारवाद’ का युग खत्म हो चुका है और यह युग विकासवाद का है। ‘विस्तारवाद की जिद किसी पर सवार हो जाती है तो उससे हमेशा विश्व शांति के सामने खतरा पैदा होता है। इतिहास गवाह है कि ऐसी ताकतें मिट गई हैं या मिटने को मजबूर हुई हैं।
अब क्या होगा?
पीएम के दौरे के बाद सवाल उठ खड़ा हुआ कि अब क्या होगा। एलएसी पर चीन के सैनिक का जमावड़ा है तो भारत ने भी तैयारियां तेज कर दी हैं। चीन के सैनिकों के सामने भारतीय सैनिक उतनी ही संख्या में खड़े हैं। वायु सेना की भी गतिविधियां बढ़ी हैं। सैन्य लेवल पर बातचीत भी चल रही है, लेकिन भारत अब चीन पर किसी भी तरह का भरोसा करने के मूड में नहीं है।
इस दौरे का उद्देश्य सैनिकों में उत्साह को भरना तो है ही, चीन को स्पष्ट संदेश देना भी था। चीनी खेमे में पीएम के दौरे के बाद खलबली मची है। अब चीन को जवाब दिया जाना है। जवाब कब, कहां और कैसे दिया जाएगा, इसी पर सबकी निगाह लगी है।
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