बनेंगे 12 औद्योगिक स्मार्ट शहर। तीन रेल प्रोजेक्ट पर भी मुहर लगाई गई है। प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग में राष्ट्रीय औद्योगिक गलियारा विकास कार्यक्रम के तहत 12 इंडस्ट्रियल स्मार्ट सिटी को तैयार करने की मंजूरी दी गई। सरकार इस प्रोजेक्ट के लिए 28602 करोड़ रुपए का निवेश करेगी। सरकार की ओर से कहा गया है कि इस प्रोजेक्ट से 10 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। केंद्रीय एवं सूचना प्रसारण मंत्री अश्वनी वैष्णव ने कैबिनिएट के फैसले के बारे में बताया की केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 12 इंडस्ट्रियल स्मार्ट सिटि को बनाने की मंजूरी दी है। इस पर 28602 करोड़ रुपए का निवेश होगा।
प्रस्तावित 12 इंडस्ट्रियल स्मार्ट सिटी के जरिये 1.5 लाख करोड़ रुपए की निवेश संभावनाएं पैदा होंगी। कैबिनेट की बैठक के बारे में जानकारी देते हुए अश्वनी वैष्णव ने बताया है कि पिछले तीन महीने में 2 लाख करोड़ के प्रोजेक्ट को कैबिनेट ने मंजूरी दी है। आज कैबिनेट ने 12 नए इंडस्ट्रियल स्मार्ट कॉरीडोर को मंजूरी दी है। इससे 10 राज्यों में तकरीबन 10 लाख रोजगार पैदा होगा। स्मार्ट कॉरीडोर को तैयार करने में 28602 करोड़ की लागत आने वाली है।
उद्यमियों को मिलेगी प्लग एंड प्ले सुविधा
प्लग एंड प्ले सुविधा के तहत उद्यमी को एक ही जगह पर मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ी सभी सुविधाएं विकसित रूप में मिल जाती हैं और उन्हें सिर्फ मैन्युफैक्चरिंग करना होता है। श्रमिक अगर पैदल टहलते हुए अपने कार्यस्थल तक पहुंच जाए, इसे वॉक-टू-वर्क सुविधा मानी जाती है। मतलब श्रमिकों को अपने कार्यस्थल पर जाने के लिए किसी वाहन या सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल नहीं करना पड़े। इससे उनके समय व पैसे दोनों की बचत होती है। मतलब मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर के पास ही श्रमिकों के रहने की सुविधा विकसित की जाएगी।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को पूर्वोत्तर राज्यों को अगले आठ साल में कुल 15,000 मेगावाट (15 गीगावाट) क्षमता की पनबिजली परियोजनाएं विकसित करने के लिए 4,136 करोड़ रुपये की इक्विटी सहायता को मंजूरी दे दी।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में बिजली मंत्रालय के पूर्वोत्तर क्षेत्र की राज्य सरकारों को केंद्रीय वित्तीय सहायता (सीएफए) देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इन राज्यों को यह सहायता राज्य सरकार और केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों के बीच संयुक्त उद्यम के जरिये पनबिजली परियोजनाओं के विकास में उनकी इक्विटी भागीदारी के लिए दी जाएगी।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंत्रिमंडल के निर्णयों की जानकारी देते हुए कहा कि इस योजना का परिव्यय 4,136 करोड़ रुपये है और इसे 2024-25 से 2031-32 तक क्रियान्वित किया जाएगा।
बयान में कहा गया है कि इस योजना के तहत कुल 15,000 मेगावाट की पनबिजली क्षमता के लिए समर्थन दिया जाएगा। इस योजना को बिजली मंत्रालय के कुल परिव्यय से पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए 10 प्रतिशत सकल बजटीय सहायता (जीबीएस) के माध्यम से वित्तपोषित किया जाएगा।