इनकी हिम्मत के चलते जलने से बच गया पंचकुला, जानिए इस IAS की कहानी

पंचकुला। सिरसा डेरा का प्रमुख गुरमीत सिंह को जैसे ही डेरे के अंदर साध्वी महिलाओं के साथ बलात्कार का दोषी ठहराया गया, वैसे ही पूरा पंचकुला, सिरसा और कई अन्य जिले हिंसा की चपेट में आ गए।
1 लाख से भी ज्यादा की भीड़ सड़कों पर उत्पात मचा रही थी। गाड़िया फूंकी जा रही थी, पुलिस वालों को पत्थर मारे जा रहे थे। भीड़ बेकाबू होकर आगे बढ़ रही थी और पुलिस वाले धीरे-धीरे पीछे हटते जा रहे थे। पंचकुला में बहुत बड़े पैमाने पर हिंसा की तस्वीर दिखाई देने लगी थी।
ऐसे समय में वर्ष 2009 बैच की आईएएस अधिकारी और पंचकुला की डिप्टी कमिश्नर गौरी पाराशर जोशी हिंसा के इस माहौल में अकेली घिर गई थी। क्योंकि इस दौरान उन्हें अकेला छोड़कर पुलिस वाले अपनी जान बचाने के लिए भाग गए थे। भीड़ के हाथों में पत्थर और डंडे थे। पर गौरी पाराशर जोशी वहां लोगों को शांत करने की कोशिश कर रही थीं। पर हिंसक भीड़ कुछ भी मनाने के लिए तैयार नहीं थी।
इस दौरान हिंसा और बढ़ गई, इस दौरान 11 माह की बच्ची की मां गौरी पाराशर जोशी को भी चोटें आईं और उनके कपड़े तक फट गए। इस दौरान उनके पास एक पीएसओ बचा था जिसके साथ वो अपने आॅफिस पहुंची और आर्मी को स्थिति संभालने का लेटर जारी किया। इसके बाद आर्मी घटना स्थल पर पहुंची और उसने डेरा सर्मथकों पर काबू पाया।
पंचकुला के रहने वाले लोगों ने बताया कि अगर आर्मी स्थिति को न संभालती तो कई रिहायशी इलाके भी डेरा सर्मथकों की हिंसा की चपेट में आ जाते। लोगों ने बताया कि जब से यहां पर डेरा सर्मथकों की भीड़ इकट्ठा होनी शुरू हुई थी। तब से ही हम सभी लोग पुलिस वालों को चाय और बिस्कुट खिला कर अपनी तरफ से उनका ख्याल रख रहे थे। पर जैसे ही डेरा सर्मथकों की भीड़ ने हिंसा और उत्पाद मचाना शुरू किया। सभी पुलिस वाले इलाके को छोड़कर भाग गए।
सारी स्थिति पर नियंत्रण पाने के बाद गौरी शंकर पाराशर जोशी रात में तीन बजे घर पहुंची। गौरी पाराशर इससे पहले उड़ीसा के कालाहांडी इलाके में तैनात रह चुकी हैं। अभी वो प्रतिनियुक्ति पर हरियाणा में तैनात हैं।
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