भोपाल में 1800 करोड़ की एमडी ड्रग्स जब्त, तीन आरोपी गिरफ्तार

दिल्ली में बीते दो अक्तूबर को लगभग पांच हजार करोड़ के नशीले पदार्थ पकड़े जाने के बाद रविवार को भोपाल में भी बड़ी बरामदगी हुई है। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) और गुजरात एटीएस ने बगरोदा औद्योगिक क्षेत्र में बंद पड़ी फैक्ट्री में मादक ड्रग्स एमडी (मेफेड्रोन) बनाने का कारखाना पकड़ा और वहां से ड्रग्स और इसे बनाने में उपयोग होने वाला कच्चा माल जब्त किया। छापे में 907 किलो एमडी ड्रग्स ठोस और तरल रूप में मिली।

रेड में ड्रग्स बनाने की सामग्री जब्त

छापामार कार्रवाई 5 अक्तूबर को की गई थी। इस दौरान पता चला कि यहां मादक दवा मेफेड्रोन (एमडी) बनाने का काम चल रहा था। इसे बनाने में इस्तेमाल होने वाला करीब 5 हजार किलोग्राम कच्चा माल और उपकरण भी मिले। इनमें ग्राइंडर, मोटर, ग्लास फ्लास्क, हीटर और अन्य उपकरण शामिल हैं। इन सभी सामग्रियों को आगे की जांच के लिए जब्त कर लिया गया है।

मध्य प्रदेश पुलिस को मैं हार्दिक बधाई देता हूं:हर्ष संघवी

खास बात यह है कि गुजरात एटीएस और एनसीबी की इस कार्रवाई की मध्यप्रदेश के खुफिया विभाग को खबर तक नहीं लगी। हालांकि गुजरात के मंत्री हर्ष संघवी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि गुजरात एटीएस व दिल्ली की एनसीबी टीम ने भोपाल में संयुक्त कार्रवाई की। इस दौरान मध्य प्रदेश पुलिस ने मदद की। मध्य प्रदेश पुलिस को मैं हार्दिक बधाई देता हूं। इस तरह के विभिन्न राज्यों व केंद्रीय एजेंसियों के समन्वित प्रयासों से ही नारकोटिक्स के विरुद्ध लड़ाई को जीता जा सकता है।उन्होंने इसके लिए सीएम डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखकर उनका आभार भी जताया।

फैक्ट्री में हो रहा था मादक पदार्थ मेफेड्रोन बनाने का काम

डीएसपी, एटीएस गुजरात एस. एस. चौधरी ने बताया कि यह सूचना मिली थी कि भोपाल का अमित चतुर्वेदी और नासिक महाराष्ट्र का सान्याल बाने भोपाल के बगरोदा औद्योगिक क्षेत्र में एक फैक्ट्री की आड़ में मादक पदार्थ मेफेड्रोन के अवैध निर्माण और बिक्री में शामिल हैं।  जिसके बाद गुजरात एटीएस के सीनियर अधिकारियों को इसके बारे में बताया गया, जिसके बाद कार्रवाई की गई।फैक्ट्री में तलाशी के दौरान कुल 907.09 किलोग्राम मेफेड्रोन (ठोस और तरल रूप में) मिला। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी अनुमानित कीमत करीब 1814.18 करोड़ रुपये है।

क्या होती है मेफेड्रोन (एमडी)

एमडी ड्रग्स का रासायनिक नाम मिथाइल डाइआक्सी मेथएम्फेटामीन है। यह सिंथेटिक ड्रग्स है जो टैबलेट और पाउडर के रूप में मिलता है। इसका नशा लगभग छह घंटे तक रहता है। नशा करने वाले को उत्तेचना आती है। वह आनंद महसूस करता है।

दोनों आरोपी कोर्ट में पेश, 8 दिन की रिमांड पर सौंपा गया

गिरफ्तारी के बाद दोनों आरोपियों को ट्रांजिट रिमांड पर लेने के लिए गुजरात एटीएस ने रविवार शाम को भोपाल न्यायालय में पेश किया। पुलिस की टीम दोनों आरोपियों को रविवार को ही गुजरात ले गई। पुलिस को आरोपियों की 8 दिन की रिमांड मिली है।

ड्रग केस में तीसरा आरोपी भी गिरफ्तार

ड्रग केस में पुलिस ने तीसरे आरोपी हरीश आंजना (उम्र 32 वर्ष) को भी गिरफ्तार किया है। हरीश मंदसौर जिले का रहने वाला है। वह जिले का कुख्यात तस्कर है। उसके खिलाफ एनडीपीएस एक्ट में पहले भी कई बार कार्रवाई की जा चुकी है।

पांच वर्ष जेल में रहा था सान्याल, केमिकल सप्लायर था अमित

आरोपियों में सान्याल प्रकाश बाने (उम्र 40 वर्ष) महाराष्ट्र के नासिक का रहने वाला है और अमिल चतुर्वेदी (उम्र 57 वर्ष) भोपाल का रहने वाला है। सान्याल बाने को इससे पहले साल 2017 में महाराष्ट्र के अंबाली पुलिस स्टेशन इलाके में एक किलो एमडी ड्रग्स के साथ गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में उसे पांच साल की जेल भी हुई थी। जेल से बाहर आने के बाद उसने अपने दोस्त अमित चतुर्वेदी से संपर्क किया और एमडी ड्रग्स बनाने और बेचने का प्लान बनाया।

इस योजना के अनुसार, दोनों ने सात महीने पहले भोपाल के बगरोदा गांव के पास इंडस्ट्रियल एरिया में एक शेड कियाए पर लिया था और पिछले छह महीनों से एमडी ड्रग्स तैयार कर रहे थे। गुजरात एटीएस और एनसीबी ने शनिवार को भोपाल स्थित फैक्ट्री में रेड के दौरान आरोपी अमित और सान्याल को गिरफ्तार किया।

फैक्ट्री के मालिकों पर भी केस दर्ज

भोपाल में गुजरात एटीएस ने जिस फैक्ट्री में ड्रग्स बनाने के गोरखधंधे का भंडाफोड़ किया, उस फैक्ट्री के मालिकों एसके सिंह और जयदीप सिंह के खिलाफ भोपाल पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। जिस प्लाट पर टीन शेड में संचालित फैक्ट्री चल रही थी, वो औद्योगिक प्लाट साल 2017-18 में उद्योग विभाग ने अलॉट किया था। जो साल 2022 में बनकर तैयार हुए।

एमपीआईडीसी के डेटा के अनुसार, यह प्लॉट मेसर्स वास्तुकार प्रोप्राइटर के नाम से रजिस्टर्ड है। जिसका मालिक मूल रूप से जयदीप सिंह है। दो साल बाद यह प्लॉट भेल के रिटायर्ड कर्मचारी एस के सिंह निवासी भोपाल को बेच दिया गया था। उसने 6 महीने पहले अमित चतुर्वेदी (निवासी- कोटरा सुल्तानाबाद) को इसे किराए पर दिया था।

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