प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ को तीन अक्टूबर को 10 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इसे लेकर अपनी भावनाएं प्रकट करते हुए पीएम ने रविवार को इस कार्यक्रम की 114वीं कड़ी में देशवासियों की सकारात्मक सोच को रेखांकित किया। कहा कि आमतौर पर एक धारणा घर कर गई है कि जबतक चटपटी बातें न हों नकारात्मक बातें न हों तब तक उनको ज्यादा तवज्जो नहीं मिलती है। लेकिन ‘मन कि बात’ ने साबित किया है कि देश के लोगों में सकारात्मक जानकारी कि कितनी भूख है। सकारात्मक बातें प्रेरणा से भर देने वाले उदाहरण, हौसला देने वाली गाथाए लोगों को बहुत पसंद आती है। उन्होने उदाहरण दिया कि जैसे चकोर पक्षी के बारें में कहा जाता है कि वह वह सिर्फ वर्षा की बूंद पीता है वैसे ही मन की बात में हमने देखा कि लोग भी चकोर पक्षी कि तरह देश कि उपलब्धियों को कितने गर्व से सुनते हैं। मन की बात के श्रोता ही इस कार्यक्रम के असली सूत्रधार हैं। मेरे लिए इस कार्यक्रम की पूरी प्रक्रिया भगवान के दर्शन के लिए मंदिर जाने जैसी है।
‘मन की बात’ के 10 वर्ष पूरे होने पर प्रधानमंत्री मोदी मोदी ने कहा, “हमारे समाज में सामूहिकता की भावना के साथ जो भी काम हो रहा हो, उन्हें ‘मन की बात’ के द्वारा सम्मान मिलता है। जब मैं मन की बात के लिए आई चिट्ठियों को पढ़ता हूं तो पता चलता है कि हमारे देश में कितने प्रतिभावान लोग हैं , उनमें देश और समाज की सेवा करने का कितना जज्बा है।
पीएम मोदी ने कहा, ‘आज का यह एपिसोड मुझे भावुक कर देने वाला है… इसका कारण यह है कि मन की बात में हमारी इस यात्रा के 10 वर्ष पूरे हो रहे हैं। पिछले कुछ हफ्तों से देश के अलग-अलग हिस्सों में भारी बारिश हो रही है। बारिश का यह मौसम हमें याद दिलाता है कि ‘जल संरक्षण’ कितना महत्वपूर्ण है।”
उत्तराखंड का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “उत्तराखंड के उत्तरकाशी में एक सीमावर्ती गांव है ‘झाला’… यहां के युवाओं ने अपने गांव को स्वच्छ रखने के लिए एक खास पहल शुरू की है। वे अपने गांव में ‘धन्यवाद प्रकृति’ अभियान चला रहे हैं। इसके तहत गांव में रोजाना दो घंटे सफाई की जाती है। गांव की गलियों में बिखरे हुए कूड़े को समेटकर गांव के बाहर तय जगह पर डाला जाता है।