
महाराष्ट्र सरकार ने कृषि पंपों को सौर ऊर्जा से 100% आपूर्ति करने की योजना बनाई है, जिससे किसानों को किफायती बिजली मिलेगी और उद्योगों पर ₹13,500 करोड़ की क्रॉस-सब्सिडी का बोझ कम होगा। महाराष्ट्र स्टेट इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (MSEDCL) के अनुसार, यह बदलाव मुख्यमंत्री सौर कृषि वाहिनी योजना (MSKVY 2.0) के तहत होगा और राज्य मार्च 2026 तक पूरी तरह हरित ऊर्जा से कृषि सिंचाई करने वाला भारत का पहला राज्य बन जाएगा।
कैसे बदलेगी महाराष्ट्र की ऊर्जा आपूर्ति?
MSEDCL के प्रबंध निदेशक लोकेश चंद्रा ने बताया कि कृषि क्षेत्र के लिए 16,000 मेगावॉट की सौर ऊर्जा परियोजनाओं के लिए अनुबंध दिए गए हैं। यह न केवल किसानों के लिए बिजली लागत घटाएगा, बल्कि औद्योगिक उपभोक्ताओं के लिए भी टैरिफ को गुजरात, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे प्रतिस्पर्धी राज्यों के स्तर पर लाएगा।
उद्योगों को मिलेगा बड़ा फायदा
- महाराष्ट्र में 4.74 मिलियन कृषि पंप उपभोक्ता हैं, जिन पर ₹65,565 करोड़ का बकाया है।
- राज्य सरकार हर साल ₹6,900 करोड़ की सब्सिडी देती है, लेकिन उद्योगों को अधिक टैरिफ देकर इसकी भरपाई करनी पड़ती है।
- वर्तमान में औद्योगिक बिजली टैरिफ ₹9.45 प्रति यूनिट है, जो सौर ऊर्जा परियोजनाओं के चलते ₹9.14 प्रति यूनिट तक घट सकता है।
- यदि यह बदलाव नहीं होता, तो अगले पांच वर्षों में औद्योगिक टैरिफ ₹14.67 प्रति यूनिट तक बढ़ सकता था।
राज्य में सौर ऊर्जा से क्या होगा बदलाव?
- सौर ऊर्जा की लागत ₹2.69 से ₹3.10 प्रति यूनिट होगी, जिससे बिजली आपूर्ति सस्ती होगी।
- परिवहन और वितरण लागत घटेगी, जिससे कुल ऊर्जा लागत में बचत होगी।
- औद्योगिक बिजली दरों में गिरावट होगी, जिससे महाराष्ट्र निवेश के लिए और अधिक आकर्षक बनेगा।
MSEDCL की नई ऊर्जा योजना
MSEDCL ने अगले पांच वर्षों में 45,000 मेगावॉट की बिजली खरीदने की योजना बनाई है, जो 1960 में महाराष्ट्र की स्थापना के बाद सबसे बड़ी ऊर्जा क्षमता वृद्धि होगी।
इस परियोजना के तहत:
- ₹65,000 करोड़ से वितरण नेटवर्क मजबूत किया जाएगा।
- ₹3.5 लाख करोड़ महाराष्ट्र के पावर सेक्टर में निवेश होंगे।
- इससे 7 लाख नए रोजगार पैदा होने की संभावना है।
मार्च 2026 तक महाराष्ट्र का 100% कृषि ऊर्जा सौर स्रोतों से आपूर्ति करने का लक्ष्य राज्य को न केवल हरित ऊर्जा में अग्रणी बनाएगा, बल्कि औद्योगिक क्षेत्र के लिए भी राहत लेकर आएगा। यह बदलाव महाराष्ट्र को ट्रिलियन-डॉलर अर्थव्यवस्था के लक्ष्य की ओर एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।