आज पूरा विश्व अलग-अलग तरह के चरमपंथियों और आतंकी संगठनों से जूझ रहा है। देश विरोधी विचारधारा और किसी समुदाय विशेष से प्रेरित यह संगठन केवल आतंक कायम करने और अधिक से अधिक क्षति पहुंचाने के लिए जाने जाते हैं। इस आतंक की कड़ी में एक टर्म जुड़ा है, जिसे लोन वुल्फ अटैक के नाम से जाना जाता है। इसमें कोई अकेला व्यक्ति अपने बलबूते या किसी संगठन के सहयोग से जनहानि करता है। कई बार यह देखा गया है कि ऐसे लोगों का किसी आतंकी संगठन से जुड़ाव नहीं होता और ना ही वह किसी विचारधारा से प्रेरित होते हैं।
क्या है Lone Wolf Attack अटैक
Lone Wolf Attack में एक अकेला व्यक्ति किसी आतंकी घटना को अंजाम देता है। इसमें न ही किसी अन्य व्यक्ति और किसी संगठन की मदद ली जाती है। ऐसे लोग किसी खास सोच से प्रेरित होते हैं, कई बार ऐसे लोगों को उसी सोच से जुड़ी संस्थाएं फंड भी करती हैं, जिससे की वह घटना को अंजाम दे पाएं। 70 के दशक में ऐसी घटनाएँ सिर्फ 5 प्रतिशत थीं, लेकिन 2018 तक ऐसे मामले 80 फीसदी तक बढ़ गए।
आमतौर पर ऐसे आतंकी आम जनसमूह के बीच ही उठते-बैठते हैं। इसलिए जांच एजेंसियां और स्थानीय पुलिस ऐसे लोगों को ट्रैक नहीं कर पाते हैं। यहीं बात लोन वुल्फ को ज्यादा खतरनाक बनाती है। यदि किसी तरह से ऐसे आतंकी को जांच एजेंसियां पकड़ भी लेती हैं, तो उनसे किसी संगठन से जुड़ी जानकारी निकाल पाना काफी मुश्किल होता है, क्योंकि वह किसी भी एजेंसी से सीधे संपर्क में नहीं होते हैं।
कैसे शुरू हुआ Lone Wolf
यह टर्म 90 के दशक में प्रकाश में आया, जब रंगभेद को लेकर आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया जाने लगा। किसी दूसरे समुदाय द्वारा जन्मे लोन वुल्फ अटैक को इस्लामिक चरमपंथियों ने अपना लिया और हिंसक घटनाओं को अंजाम देने लगे। इस्लामिक स्टेट के प्रवक्ता अबू मोहम्मद अल अदनानी ने सितंबर 2014 में लोन वुल्फ अटैक करने को उकसाया भी था।
उसका कहना था कि यदि आप हथियार जुटा पा रहे हों तो ठीक अन्यथा गाड़ी की मदद से ही पश्चिमी देशों के लोगों को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाएं। दो दिन पूर्व ही एक ऐसा मामला देखने को मिला है, जब Germany में Saudi Arab का एक व्यक्ति जो पेशे से डाॅक्टर है, उसने किराए पर कार ली और भीड़ में कई लोगों को रौंदता चला गया। इस हादसे में कई लोगों की जान चली गई थी।
आतंकी संगठन भी दे रहे बढ़ावा
हाल के कुछ वर्षों में देखने को मिला है कि आतंकी संगठन भी लोन वुल्फ अटैक को बढ़ावा दे रहे हैं, इसमें इनका हित भी छुपा हुआ है। दरअसल, यदि किसी आतंकी संगठन को किसी अन्य देश में हिंसा करनी होती है, तो उन्हें उस देश में भारी बंदोबस्त करना पड़ता है और पकड़े जाने का रिस्क भी ज्यादा रहता है।
ऐसे में केवल इंटरनेट के प्रयोग से ऐसे संगठन उस देश को कुछ लोगों को टारगेट कर उन्हें अपने देश के प्रति भड़काते हैं और हिंसक घटना को अंजाम देने के लिए उकसाते हैं। इसमें लागत और रिस्क दोनों ही कम होता है। इसलिए कई आतंकी संगठनों के लिए लोन वुल्फ हिंसा करने का पसंदीदा तरीका बना गया है।
Lone Wolf Attack द्वारा की गई मास कीलिंग्स
- साल 2011 में Norway के Oslo में हुई घटना में 77 लोगों की मौत हुई।
- साल 2016 America के Florida में हुई घटना में 49 लोगों की मौत हुई।
- साल 2016 France में हुई घटना में 80 से ज्यादा लोगों की मौत हुई।
- साल 2018 Jewish Synagogue की घटना में 11 लोगों की मौत हुई।
- साल 2019 New Zealand की घटना में 50 से ज्यादा लोगों की मौत हुई।