जूनियरों को उचित मेहनताना देना सीखें वकील- डीवाई चंद्रचूड़

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि वकीलों को उनके चैंबर में सीखने आने वाले युवाओं को उचित वेतन और परिश्रमिक देना सीखना चाहिए। उन्होने कहा कि कानून का पेशा एक मुश्किल पेशा होता है जहां प्रारम्भिक वर्षो में रखी गई नीव से युवा वकील अपने पूरे करियर में अच्छी स्थिति में रहते हैं। सीजेआई ने कहा कानून के पेशे में पहले महीने के अंत में आपको जो राशि मिलती है वह बहुत अधिक नहीं भी हो सकती है।

उन्होने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि पहली बार काम करने वालों को प्रोत्साहित किया जाए कि वो लगन से काम करें कड़ी मेहनत करें और जो वे करते हैं उसके प्रति ईमानदार रहें। वकीलों को यह सीखना होगा कि उनके चैंबर में आने वाले युवा वकीलों को उचित वेतन, परिश्रमिक और भत्ते कैसे दिये जाएं। युवा उनसे सीखने आते है उनके पास देने के लिए बहुत कुछ होता है। इसलिए यह आत्मसात करने, साझा करने और मार्गदर्शन कि दो तरफा प्रक्रिया है।

बता दें भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को सेवानिवृत हो रहे हैं लेकिन वह जाते जाते देश को सुप्रीम कोर्ट के डिजिटलीकरण का एक नायाब तोहफा दे जाएंगे। अब सुप्रीम कोर्ट राउंड द क्लॉक चलता है। मुकदमों की सुनवाई छोड़ कर बाकी सारे काम जैसे केस दाखिल होना, कोर्ट फीस, फाइन जमा करना या फिर मामले में जल्दी सुनवाई के लिए सीधे चीफ जस्टिस को ईमेल भेजने की कोई समय सीमा नहीं है।

वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए ऑनलाइन सुनवाई में हिस्सा लिया जा सकता है। इसका पहला और दूसरा चरण पूरा हो चुका है और तीसरा चरण 2023 से शुरू हुआ है जिसके लिए भारत सरकार ने एक अगस्त को चार साल के लिए 7210 करोड़ का बजट मंजूर किया है। डिजिटलीकरण का ज्यादा श्रेय चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को इसलिए जाता है क्योंकि इनके कार्यकाल में भी डिजिटलीकरण ने रफ्तार पकड़ी। कोरोना काल में न्याय का रथ चालू रखने के लिए देश भर की अदालतों में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए शुरू हुई सुनवाई की व्यवस्था को रुकने नहीं दिया।

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