निर्भया के गुनहगारों की फांसी को लेकर एक बार फिर नया डेथ वारंट जारी हुआ है। इस बार निर्भया के हत्यारों की मौत की तारीख 3 मार्च घोषित की गई है। कुल मिलाकर यह दोषियों का तीसरा डेथ वारंट है। पाटियाला हाउस कोर्ट ने इस मामले में चली घंटेभर की सुनवाई के बाद नई तारीख निर्धारित की है। हालांकि अभी भी दोषियों की फांसी की तारीख टलने के दो विकल्प बचे हैं।
आपको बता दें कि चार से में तीन दोषियों विनय, अक्षय और मुकेश की दया याचिका खारिज हो चुकी हैं। लेकिन एक अन्य दोषी पवन के पास अभी भी क्यूरेटिव पिटिशन बची हुई है। चूंकि सभी का अपराध एक ही है, इसलिए उन्हें सजा भी एक साथ ही मिलेगी। आम जनमानस में फांसी को लेकर तमाम भ्रांतियां हैं, इससे जुड़ी सच्चाई आज हम आपको बताने जा रहे हैं।
अपराधी से नहीं पूछी जाती आखिरी इच्छा
हम अक्सर पढ़ते और फिल्मों में देखते हैं कि मौत की सजा पाने वाले दोषी से फांसी से पहले उसकी आखिरी इच्छा पूछी जाती है। यह तथ्य पूरी तरह से भ्रामक है। हालांकि मरते हुए व्यक्ति की अगर कुछ खाने-पीने की विशेष इच्छा होती है तो वह मानवता के नाते से पूरी कर दी जाती है। फांसी से पहले आखिरी इच्छा पूछने का कोई कानूनी नियम नहीं है। इसलिए दोषी से उनकी आखिरी इच्छा नहीं पूछी जाती है। हमारी फिल्मों में इस तरह के कई दृश्य आम हैं, जिसमें मौत की सजा पाए अपराधी से उसकी जेलर उसकी आखिरी इच्छा पूछता है।
रस्सी टूट जाने पर फांसी नहीं होती माफ
दूसरी सबसे बड़ी भ्रांति जो हम बचपन से सुनते चले आ रहे हैं कि अगर फांसी के समय रस्सी टूट जाए तो अपराधी की मौत की सजा माफ हो जाती है। ऐसा बिलकुल भी नहीं है, रस्सी का टूटना पूरी तरह से असंभव होता है, लेकिन अगर फिर भी यह हो जाए तो दोषी को दोबारा फांसी पर लटकाया जा सकता है। फांसी की सजा को माफ नहीं किया जा सकता है। हां फांसी में कुछ मिनटों की देरी हो सकती है।
रस्सी की हिफाजत अपराधी के बराबर
फांसी के लिए प्रयोग की जाने वाली रस्सी को लेकर भी काफी नियम कायदे हैं। इस रस्सी की कई बार जांच की जाती है। फांसी के लिए एक इंच व्यास की मनीला रस्सी का प्रयोग किया जाता है। एक फांसीघर में करीब 5 रस्सियों को रखा जाता है। सालभर में करीब 4 बार इन रस्सियों पर मधुमक्खी का मोम, घी और कार्बोलिक एसिड का लेप लगाकर एक घड़े में रखा जाता है। इन रस्सियों को पतली रस्सी के जरिए छत से भी लटकाया जाता है। फांसी लगाने के बाद यह प्रक्रिया फिर से दोहराई जाती है। खास बात यह है कि फांसी के पहले इसकी सुरक्षा में कोई कमी नहीं छोड़ी जाती।