कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और यूपीए सरकार में पूर्व विदेश मंत्री एस. एम. कृष्णा का निधन हो गया है। उन्होंने आज सुबह 2.45 बजे बेंगलुरू में अपने घर अंतिम सांस ली।वे उम्र से जुड़ी बीमारियों से जूझ रहे थे। उनके परिवार ने इसकी जानकारी दी है। एस. एम. कृष्णा के निधन पर प्रधानमंत्री ने दुख जताते हुए लिखा-
“कृष्णा के निधन से हमें गहरा दुख हुआ है। उन्होंने हमेशा दूसरों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए अथक प्रयास किया। उन्हें कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के लिए याद किया जाता है, खासकर बुनियादी ढांचे के विकास पर उनके ध्यान के लिए। कृष्णा जी एक अच्छे विचारक भी थे।”
कर्नाटक सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री के निधन पर तीन 3 दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। इस दौरान राज्य में कोई समारोह या जश्न नहीं मनाया जाएगा। उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा।
जन्म और शुरुआती शिक्षा
एस. एम. कृष्णा का जन्म 1 मई, 1932 को कर्नाटक के मांड्या जिले के सोमनहल्ली में हुआ था। कृष्णा ने मैसूर के महाराज कॉलेज से ग्रेजुएशन किया फिर गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने अमेरिका की साउथेन मॉडलिस्ट कॉलेज यूनिवर्सिटी से दोबारा ग्रेजुएशन किया। इतना ही नहीं वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई भी दोबारा की। भारत वापस आकर कृष्णा कर्नाटक और दिल्ली हाईकोर्ट में वकालत करने लगे। कुछ समय बाद वे राजनीति में आ गए।
राजनीतिक जीवन की शुरुआत की और बने आधुनिक कर्नाटक के जनक
कृष्णा ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत एक निर्दलीय विधायक के रूप में की थी। वे 1962 विधानसभा चुनाव में मद्दुर सीट से चुने गए थे। इसके बाद वे प्रजा सोशलिस्ट पार्टी (PSP) से जुड़ गए। हालांकि, अगले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के एमएम गौड़ा से हार गए।
मांड्या लोकसभा सीट के सांसद की मृत्यु के बाद 1968 में उपचुनाव हुए। कृष्णा पहली बार सांसद चुने गए। 1971 में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीते। इमरजेंसी के बाद 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। हालांकि, तीन साल बाद हुए मध्यावधि चुनाव में कृष्णा ने मांड्या सीट पर फिर से जीत दर्ज की। इसके बाद 1983 में इंदिरा सरकार में उद्योग राज्यमंत्री बने। राजीव गांधी ने उन्हें अपनी सरकार में वित्त राज्यमंत्री बनाया।
1989 में वे कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष और 1993 में उपमुख्यमंत्री बने। उन्हें 1999 में कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया। कृष्णा 11 अक्टूबर, 1999 से 28 मई, 2004 तक कांग्रेस से कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे। उन्हें आधुनिक कर्नाटक का जनक भी कहा जाता है। इसके बाद दिसंबर, 2004 से मार्च, 2008 तक महाराष्ट्र के राज्यपाल रहे। कृष्णा 2009 से 2012 तक मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली UPA सरकार में विदेश मंत्री रहे।
कांग्रेस से तोड़ा था 50 साल पुराना नाता
कृष्णा 2017 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा से जुड़ गए थे। उन्होंने कांग्रेस से अपना करीब 50 साल पुराना नाता तोड़ लिया था। जनवरी 2017 में उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा देते हुए कहा था कि पार्टी इस बात को लेकर असमंजस की स्थिति में है कि उसे जननेताओं की जरूरत है या नहीं। 2023 में सरकार ने एस. एम. कृष्णा को भारतीय राजनीति में उनके योगदान के लिए पद्म विभूषण से सम्मानित किया।
अमेरिकी राष्ट्रपति कैनेडी ने की थी कृष्णा की तारीफ
पद्म विभूषण एस. एम. कृष्णा ने आधी सदी तक चले अपने राजनीतिक करियर में राज्यपाल, विदेश मंत्री और मुख्यमंत्री सहित केंद्र और राज्य स्तर पर कई शीर्ष पदों पर काम किया। लेकिन घरेलू राजनीति में गहराई से उतरने से पहले, उन्होंने एक कानून के छात्र के रूप में अमेरिकी चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और उनकी सराहना किसी और ने नहीं बल्कि अमेरिका राष्ट्रपति जॉन एफ कैनडी ने की थी। 1960 में डेमोक्रेटिक नेता कैनेडी राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ रहे थे। उस समय अमेरिका में 28 वर्षीय लॉ के छात्र एस. एम. कृष्णा ने जॉन एफ कैनेडी को पत्र लिखकर भारतीय अमेरिकीयों के वर्चस्व वाले क्षेत्रों में उनके लिए प्रचार करने की पेशकश की। अगले साल ही कैनेडी राष्ट्रपति चुने गए और वह युवा भारतीय छात्र के योगदान को नहीं भूले।
19 जनवरी, 1961 को लिखे एक पत्र में कैनेडी ने कृष्णा को एक पत्र लिखा। उन्होंने कहा-
“मुझे उम्मीद है कि ये कुछ पंक्तियां अभियान के दौरान आपके प्रयत्नों के लिए मेरी हार्दिक सराहना को व्यक्त करेंगी। मैं अपने सहयोगियों के शानदार उत्साह के लिए बहुत आभारी हूं। मुझे केवल इस बात का खेद है कि मैं डेमोक्रेटिक टिकट के लिए आपके द्वारा किए गए उत्कृष्ट कार्य के लिए व्यक्तिगत रूप से आपको धन्यवाद नहीं दे पाया। आपके अथक प्रयासों और निष्ठा के बिना 8 नवंबर को विजय प्राप्त करना संभव नहीं होता।”
एस. एम. कृष्णा के निधन पर समाजवादी पार्टी ने दुख जताया है। सपा के आधिकारिक सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर इसे लेकर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा-
“कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व विदेश मंत्री श्री एस. एम. कृष्णा जी का निधन अत्यंत दुखद है! ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति एवं शोक संतप्त परिवार को इस दुख की घड़ी में संबल प्रदान करें। भावभीनी श्रद्धांजलि!”
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा-
“राज्य और केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री के रूप में कृष्णा की सेवा अद्वितीय है। कर्नाटक हमेशा आईटी क्षेत्र के विकास में उनके योगदान के लिए उनका ऋणी रहेगा, खासकर मुख्यमंत्री के रूप में।”
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने कहा-
“वह एक सच्चे नेता थे। हमारी दोस्ती हमारे संबंधित राज्यों में निवेश आकर्षित करने में हमारी प्रतिस्पर्धात्मक भावना से परे थी। वह एक सच्चे नेता थे जिन्होंने हमेशा अपने लोगों के कल्याण को प्राथमिकता दी। इस कठिन समय में मैं उनके परिवार और दोस्तों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूं।”
लोकसभा में विपक्ष नेता राहुल गांधी ने कृष्णा के निधन पर दुख व्यक्त किया और कहा-
“उनके दशकों के काम ने कर्नाटक के विकास और बेंगलुरु को टेक्नोलॉजी सेंटर में बदलने में अहम भूमिका निभाई।”
कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा-
“श्री एस.एम.कृष्णा विकास के सच्चे प्रणेता थे। उन्होंने राज्य और देश के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया। यह मेरे लिए निजी क्षति है, क्योंकि हमने सहकर्मियों के रूप में काम किया है।”