कोरोना से लड़ाई में पूरी दुनिया में छाया पंजाब, जानिए क्या है कनेक्शन
कोरोना के खिलाफ जंग दिन प्रतिदिन गंभीर होती जा रही है। चीन से शुरू हुआ इस महामारी का संकट अब पूरे विश्व में फैल चुका है। दुनियाभर के डॉक्टर और वैज्ञानिक इस जंग में एक योद्धा के तौर पर काम कर रहे हैं। आजकल कोरोना से जुड़ीं जो फोटो आ रही हैं, उसमें डॉक्टर्स एक खास तरीका का सूट पहने दिख रहे हैं। ये सूट उनके पूरे शरीर को ढंके रहता है। इस सूट को हजमैट सूट कहते हैं। आपको बता दें कि कोरोना से बचाव के लिए इस सूट के निर्माण में पंजाब प्रमुख भूमिका निभा रहा है। यहां ऐसी कई फर्म इस सूट के अलावा मेडिकल स्टॉफ के अन्य सूट का निर्माण कर रही हैं। जिनकी आपूर्ति पूरे विश्व में हो रही है।
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जानिए क्या है हजमैट सूट
हजमैट सूट का निर्माण अंग्रेजी के हेजार्डस (hazardous) शब्द की वजह से पड़ा है। इस सूट का निर्माण हेजार्डस सूट मेटेरियल से किया जाता है। यह सूट पूरे शरीर को ढंकने का काम करता है, इसका मैटेरियल पॉलिएस्टर का होता है, जिसके अंदर किसी प्रकार के रसायन या खतरनाक पदार्थ प्रवेश नहीं कर पाते हैं। ऐसे मरीज जो आईसीयू वगैरह में होते हैं या जिनमें किसी प्रकार का संक्रामक रोग होता है, उनके इलाज के दौरान इस तरह के सूट का उपयोग किया जाता है। ऐसे सूट जैविक या रासायनिक हमलों के दौरान भी कारगर होते हैं। इस सूट के साथ मास्क, ग्लव्स आदि भी इस्तेमाल किए जाते हैं।
पूरे विश्व में मेडिकल वियर में होता है हजमैट सूट का प्रयोग
विश्व में कोरोना से लड़ाई में अहम भूमिका निभा रहा पंजाब
हजमैट सूट की बात हो या गाउन, ग्लव्स या मास्क की, आज कोरोना के खिलाफ लड़ाई में पंजाब प्रमुख भूमिका निभ रहा है। इन सामानों के प्रोडक्शन में पंजाब इस समय विश्व में सबसे अग्रणी बना हुआ है। यहां ऐसी तमाम फर्म हैं जो हजमैट सूट का निर्माण कर रही हैं। वहीं इनकी क्षमता इतनी अधिक है कि ऑर्डर मिलने पर ये प्रतिदिन हजारों की संख्या में सूट और गाउन का निर्माण कर सकती हैं। पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्युपमेंट (PPE) के तहत आने वाले ये सामान इस समय कोरोना से लड़ने में पूरे विश्व की मदद कर रहे हैं।
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दस लाख सूट एक महीने में
फगवाड़ा की जगतजीत कॉटन टेक्सटाइल की अधिकारी प्रिया थापर ने एक न्यूज पोर्टल को बताया कि जेसीटी और उने एसोसिएट्स मिलकर एक महीने में करीब 10 लाख प्रोटेक्टिव सूट का निर्माण कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि उनकी कंपनी के सूट सौ प्रतिशत पॉलिएस्टर के होते हैं। जो पूरी सुरक्षा देते हैं। ये सूट कोरोना के खिलाफ लड़ाई में देश में प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं। वे कहती हैं कि जेसीटी की शुरुआत 1946 में हुई थी, आज हम देश की इस संकट की घड़ी में कुछ भी करने के लिए तैयार हैं। उनकी कंपनी मेडिकल स्टॉफ के कपड़े, सूट बड़ी संख्या में यूरोप और अमेरिका में भेजते हैं।
पंजाब में बड़े पैमाने पर होता है PPE बेस्ड सूट का निर्माण
तमाम फर्म करती हैं निर्माण
लुधियाना की स्वामी टेक्सटाइल की ओर से दावा किया गया है कि अगर उन्हें ऑर्डर मिले तो वो तीसरे दिन से ही प्रतिदिन 7000 बॉडी सूट और 15 हजार गाउन का प्रोडक्षन करने की क्षमता रखते हैं। यही हाल वहां की दूसरी कंपनियों का भी हैं। वहीं सिंगोरा टेक्सटाइल, लुधियाना का दावा प्रतिदिन एक हजार बॉडी सूट बनाने का है। लुधियाना कही ही शिवा टैक्स फैब का कहना है कि वो एक हफ्ते के अंदर एक हजार बॉडी सूट का निर्माण कर सकते हैं। कुडु नीट ऑर्डर मिलने पर 5 हजार सूट चार से पांच दिन के अंदर डिलीवर करने का दावा करते हैं। लुधियाना में ऐसी तमाम टेक्सटाइल फर्म हैं जो रोजाना हजारों की संख्या में बॉडी सूट और गाउन बनाने का दावा करती हैं। कोरोना के समय में ये पूरी दुनिया में सूट डिलीवर करने का दम रखती हैं।
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बहुत पुराना है इस सूट का इतिहास
हजमैट सूट का इतिहास काफी पुराना है। 1720 में प्लेग की बीमारी के वक्त फ्रांस के एक डॉक्टर चार्ल्स डे ने इस तरह का एक सूट पहना था। उस वक्त ये सूट चमड़े का बना था। और उसमें एक मुखौटा भी लगा हुआ था। हालांकि जानकारी के अभाव में ये सूट ज्यादा प्रभावी नहीं हुआ, बाद में वर्ष 1780 में रूस के एक वैज्ञानिक ने इस सूट को बनाया था, ये काफी कुछ मौजूदा हजमैट सूट की तरह ही था, लेकिन ये भी बीमारी से बचाव में पूरी तरह से मददगार नहीं था। सही तरह से हजमैट सूट का निर्माण 19वीं शताब्दी की शुरुआत में हुआ, उस दौरान फैले मंचूरियन प्लेग से बचाव के लिए डॉक्टर वु लेन तेह ने इसे बनाया था। उस वक्त इस सूट के साथ मास्क भी पहनने की सलाह दी गई थी, तब पहली बार मास्क का प्रयोग हुआ था।
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