सरकार देख रही है सारे व्हॉट्सऐप मैसेज? पढ़ें, व्हॉट्सऐप जासूसी केस से जुड़ी हर अपडेट
दिग्गज सोशल मीडिया एप व्हॉट्सऐप पर भेजे जाने वाले मैसेजेस पर नजर रखी जा रही है और ये काम इजरायल की एक जासूसी कंपनी एनएसओ ग्रुप से करवाया जा रहा है, व्हॉट्सऐप ने ये इल्जाम खुद इजरायली कंपनी एनएसओ पर लगाया है। व्हॉट्सऐप का कहना है कि यह कंपनी भारतीय पत्रकारों और समाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी कर रही थी। व्हॉट्सऐप ने हैकिंग की पुष्टि करते हुए इजरायली जासूसी कंपनी पर मुकदमा भी ठोका है। आप भी जानिए पूरा मामला...
व्हॉट्सऐप ने क्या कहा
व्हॉट्सऐप के एक अधिकारी ने कहा है कि एनएसओ कंपनी भारतीय पत्रकारों और मानवधिकार कार्यकर्ताओं की जासूसी पेगासस (Peagasus) सिस्टम के जरिये कर रही थी। साथ ही, व्हाट्सएप ने एक दर्जन से ज्यादा वकील, प्रोफेसर, दलित कार्यकर्ता और पत्रकारों को इस बारे में सतर्क किया है। वहीं, यूजर्स के डिवाइसेज को मई में सर्विलांस पर लिया गया था। व्हाट्सएप ने कहा है कि इजरायली कंपनी एनएसओ ने फेसबुक के स्वामित्व वाली मैसेंजिंग प्लेटफॉर्म सर्विस के माध्यम से पत्रकारों और समाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी की है। व्हॉट्सऐप के मुताबिक ये जासूसी 29 अप्रैल से 10 मई के बीच हुई। ये वो समय था जब देश में लोकसभा चुनाव हो रहे थे। वाट्सएप का कहना है कि उन्हें मई में इसका पता चला और फिर उन्होंने इसे ब्लॉक कर दिया। व्हाट्सऐप ने मंगलवार को कैलिफोर्निया की संघीय अदालत में इजरायल की साइबर इंटेलिजेंस कंपनी एनएसओ ग्रुप के खिलाफ मुकदमा भी दायर किया है। व्हाट्सऐप का कहना है कि एनएसओ ने ऐसी तकनीक विकसित की है जिसके जरिए अज्ञात संस्थानों ने जासूसी के लिए करीब 1,400 लोगों के फोन हैक किए। माना जा रहा है कि दर्जनों भारतीय पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता भी इस जासूसी के शिकार हुए हैं।
कैसे हुई जासूसी
एनएसओ ने जासूसी के लिए एक स्पाइवेयर का इस्तेमाल किया है, जिसका नाम पेगासस है। इस सॉफ्टवेयर को खास तकनीक से तैयार किया है। कंपनी इस सिस्टम के जरिए किसी भी एंड्रॉयड, आईओएस और ब्लैकबैरी के ऑपरेटिंग सिस्टम को आसानी से हैक कर सकती है।ऑपरेटर यूजर के डिवाइस को हैक करने के लिए एक विशेष लिंक पर टैप करने को मजबूर करता है। ऐसा करने से ऑपरेटर को सुरक्षा कवच तोड़ने का पूरा मौका मिलता है। इसके बाद पेगासस सिस्टम इंस्टाल किया जाता है। जैसे ही आपको कई वीडियो कॉल करता है तो साइबर हमला करने वाला शख्स एक कोड जारी करता है जिसके जरिए यह आपके फोन में इंस्टॉल हो जाता है। भले ही वीडियो कॉल को आपने रिसीव न किया हो। फोन में इंस्टॉल होने के बाद इसके जरिए आपके फोन, कॉल, वाइस कॉल, पासवर्ल्ड, कॉन्टेक्ट लिस्ट, कलेंडर इवेंट, माइक्रोफोन, कैमरे तक की डिटेल आसानी से पाई जा सकती है।
एनएसओ ने किया खंडन
इजरायली कंपनी एनएसओ ने व्हॉट्सऐप द्वारा अपने ऊपर लगाए गए आरोपों का का खंडन किया है। कंपनी का कहना है कि उसने किसी की जासूसी नहीं की। हालांकि, व्हाट्सऐप के मुख्य अधिकारी कैथकार्ट ने कहा है कि वैसे तो एनएसओ कंपनी सरकार के लिए काम करती है, लेकिन हमनें अपनी रिसर्च में पाया है कि 100 से ज्यादा यूजर्स कंपनी के निशाने पर थे। एनएसओ ने बयान जारी कर कहा है कि हम कड़े शब्दों में आरोपों का खंडन करते हैं और इनके आरोपों के खिलाफ लड़ेंगे। उसने कहा कि एनएसओ का एकमात्र उद्देश्य लाइसेंस प्राप्त सरकारी खुफिया और कानून लागू करने वाली एजेंसियों को आतंकवाद और गंभीर अपराध से लड़ने में मदद करने के लिए टेक्नोलॉजी देना है। कंपनी ने कहा कि हमारी तकनीक मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और पत्रकारों के खिलाफ इस्तेमाल करने के लिए डिजाइन नहीं की गई है और न ही इसकी इजाजत है। एनएसओ ने कहा कि हम गंभीर अपराध और आतंकवाद के अलावा और किसी भी दूसरे काम के लिए अपने उत्पाद के इस्तेमाल को दुरुपयोग समझते हैं, यह हमारे अनुबंध में शामिल है। अगर हमें किसी भी दुरुपयोग का पता चलता है तो हम कार्रवाई करते हैं।
भारत सरकार ने क्या कहा
व्हॉट्सऐप जासूसी मामले में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद का कहना है कि भारत के नागरिकों की निजता में व्हाट्सऐप पर उल्लंघन होने को लेकर सरकार चिंतित है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने इस बारे में व्हाट्सऐप से बात की है और उनसे पूछा है कि वह लाखों भारतीयों की निजता की सुरक्षा को लेकर क्या कर रहे हैं। रविशंकर ने कहा कि सरकार सभी भारतीय नागरिकों की निजता की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकारी एजेंसियों के पास देश हित में रोक लगाने के लिए स्थापित प्रोटोकॉल है। इसमें केंद्र सरकार और राज्य सरकार के सीनियर अधिकारियों द्वारा प्रतिबंध और सुपरविजन शामिल है। उन्होंने कहा कि जो लोग इसका सियासी फायदा उठाने की कोशिश कर रहे हैं उन्हें याद दिलाने की जरूरत है कि यूपीए के वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के दफ्तर में और सेना प्रमुख जनरल वी के सिंह के यहां जासूसी की गई थी। ये ऊंचे ओहदों पर तैनात लोगों की जासूसी एक परिवार के लिए थी।
राहुल गांधी ने कसा सरकार पर तंज
इस खबर के सामने आने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार पर तंज कसा और इसका 'राफेल एंगल' निकाल लिया। राहुल गांधी ने ट्वीट किया, 'सरकार ने वॉट्सऐप से पूछा है कि भारतीय नागरिकों की जासूसी के लिए 'पेगासस' को किसने खरीदा है, यह ठीक वैसे ही है जैसे मोदी का दसॉल्ट से यह पूछना कि राफेल लड़ाकू विमानों की डील पर किसने पैसे कमाए!'
किसकी हो रही है जासूसी
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