J&K के कांग्रेसी लीडर आजाद ने बताए आर्टिकल 370 हटाने के दुष्परिणाम

"देश को आजाद करने के बाद कश्मीर को भारत के साथ जोड़ने में जो कुर्बानियां दी है उन सभी के सपनों को तोड़कर आज फिर बीजेपी ने सत्ता के नशे में आकर कश्मीर को 1947 में धकेल दिया है। जिस कश्मीर को खून से सींचा गया, उसे आपने (बीजेपी सरकार) पैंरों तले रौंद दिया है।" धारा 370 और 35ए (अनुच्छेद) को लेकर ऐसे तीखे तेवर आज राज्यसभा से लेकर मीडिया से बातचीत करने के दौरान कांग्रेस से राज्यसभा सांसद व प्रतिपक्ष नेता गुलाम नबी आजाद के देखने को मिले।
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गृहमंत्री अमित शाह ने आज जब राज्यसभा में धारा 370 व 35 ए (अनुच्छेद) को हटाए जाने का प्रस्ताव रखा, तो प्रतिपक्ष पूरी तरह से विरोध करता हुआ नजर आया है। प्रतिपक्ष नेता गुलाम नबी आजाद को जब बोलने का मौका आया, तो कहा कि आप तो नया शहर देश बना रहे हैं। भारत के मुकुट की शान रहे कश्मीर को आपने नक्शे से हटा दिया है। आज आपने (बीजेपी सरकार) करोड़ों कश्मीरियों का भरोसा तोड़ दिया है। कश्मीरियों ने कभी भी भारत से अपने को पराया नहीं माना, हिन्दुस्तान के साथ रहना स्वीकार किया था, हिन्दू और सिक्ख लोगों के साथ में रहना तय किया, जवाहरलाल नेहरू और सरकार पटेल पर पूरा भरोसा किया था। उन्होंने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि बीजेपी ने वोट के चक्कर में कश्मीर के टुकड़े कर दिए, ये दिन कश्मीरवासियों के लिए काला दिन है। कश्मीरियों के पक्ष में बोलते हुए उन्होंने कहा कि कानून से जुड़ाव नहीं होता है, जुड़ाव दिल से होता है। कश्मीरवासियों को जिसका डर था, आज वही आपने कर दिया गया। ये देश के इतिहास के लिए काला दिन है। यहीं नहीं इस दौरान वह इतने आक्रामक दिखे कि हंगामा कर रहे बीजेपी सांसदों को उन्होंने शट अप तक कह दिया।
अब दिल्ली से नियुक्ति होंगे चपरासी और क्लर्क: नबी
बीजेपी सरकार ने जम्मू और कश्मीर से धारा 370 व 35ए हटाने के अलावा जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग करके केंद्र शासित प्रदेश बनाया है। अब जम्मू-कश्मीर भी दिल्ली की तरह ही होगा। यहां पर सरकारें चुनी जाएगी, लेकिन कंट्रोल कहीं न कहीं केंद्र सरकार का ही होगा। इस पर गुलाम नबी आजाद ने कहा कि ‘शर्मनाक है कि आपने जम्मू-कश्मीर को एक उप-राज्यपाल बनाकर एक गैर-इकाई में बदल दिया है, ताकि आप केंद्र (दिल्ली) से ही वहां चपरासी और क्लर्क की भी नियुक्ति कर सकें। आपने सिर्फ कश्मीरियों ही नहीं बल्कि देश को सैकड़ों वर्तमान और भविष्य में मिलने वाले नेताओं की उम्मीद पर भी पारी फेर दिया है। गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कश्मीर दुनिया में अपनी खुबसूरती के लिए जाना जाता है। यहां का अपना गौरवशाली इतिहास रहा है। कश्मीर के इतिहास की शुरुआत ही वहां के प्रधानमंत्री के साथ हुई थी, लेकिन अब यहां लेफ्टिनेंट गवर्नर लाकर खत्म कर दिया है, ताकि सब कुछ दिल्ली से किया जा सकें। गुलाम नबी आजाद ने कहा कश्मीर में शेख अब्दुल्ला से लेकर मुफ्ती तक यहां के मुख्यमंत्री रहे हैं। अब वहां आपके द्वारा नियुक्ति व्यक्ति ही राज्य करेगा और पूरा राज्य आपके निर्देश पर ही चलेगा। उन्होंने कहा कि वोट लेने के लिए भारत की संस्कृति के साथ खिलवाड़ न कीजिए। बीजेपी पर आरोप लगाते हुए गुलाम नबी आजाद ने कहा कि ये फैसला चार महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के बाद हो सकता था, लेकिन वोट के चक्कर में आपने कश्मीर को टुकड़ों में बांट दिया है। उन्होंने कहा कि आपने संविधान की हत्या करके एक राज्य के गौरवशाली इतिहास को हमेशा-हमेशा के लिए खत्म कर दिया है। उन्होंने कहा कि कानून पढ़ने से ज्यादा आप अगर इतिहास देखेंगे, तो पाएंगे कि आपने क्या किया है। गुलाम नबी आजाद ने कहा कि आज जिस तरह से जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को अलग किया गया है, उससे आपने मुसलमानों और बौद्धों के बीच में टकराव की स्थिति पैदा कर दी है। उन्होंने कहा कि कश्मीर ऐसा राज्य रहा है जहां पर मुस्लिम और पंडित रहते हैं और सिख भी रहते हैं। जम्मू क्षेत्र ऐसा है जहां पर 60 फीसदी हिंदू आबादी है, 40 फीसदी मुस्लिम आबादी है, यही नहीं यहां सिख आबादी भी रहती है। उन्होंने कहा कि अगर यहां के लोगों को किसी ने बांध कर रखा था तो वह था अनुच्छेद 370।
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पिछले कई दिनों से जताई जा रही थी शंका
जम्मू-कश्मीर में जिस तरीके से हालात पिछले कई दिनों से पैदा किए जा रहे थे, उसको लेकर पूरे देश में चिंता का माहौल था। प्रतिपक्ष नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि मुझे पूरे देश से फोन आ रहे थे कि जम्मू-कश्मीर में किस तरह का माहौल पैदा किया है। आखिर यहां पर क्या कोई जंग होने वाली है या फिर कुछ और। उन्होंने कहा कि कोई फोन करके कह रहा था कि यहां पर धारा 35ए को हटाया जाना है, तो कोई कह रह था कि जम्मू-कश्मीर का विभाजन होना है। गुलाम नबी आजाद ने कहा कि आज जैसे ही गृहमंत्री अमित शाह सदन में आए तो एटम बम फट ही गया। उन्होंने कहा कि आज अचानक संसद में उसी तरह का विस्फोट हुआ है, जिस पर शंका कई दिनों चल रही थी। जब यहां पर पैरा-मिलिटरी की अतिरिक्त टुकड़ियां लगाई जा रही थी। यहां के अस्पतालों, कॉलेजों और स्कूलों को अलग तहर की अडवाइजरी जारी की गई थी। यही नहीं 2 अगस्त से अमरनाथ की यात्रा भी रोक दी गई थी। राज्य के सभी हॉस्टल खाली करा लिए गए थे। एनआईआईटी के छात्रों को वापस बुला लिया गया था। गुलाम नबी आजाद ने कहा कि पिछले एक सप्ताह से कश्मीर की घाटी में आतंक का माहौल बना दिया गया था। बता दें जम्मू और कश्मीर में पिछले दिनों से पैरा मिलिट्री फोर्स बढ़ने के बाद सरकार ने श्रीनगर में धारा 144 लागू कर दी है, कश्मीर में यह आदेश आज रात (5 अगस्त) 12 बजे से अगले आदेश तक जारी रहेगी। अब धारा 144 लागू होने के बाद किसी भी जिले में कोई भी सार्वजनिक गतिविधियां नहीं होंगी। यही नहीं इस आदेश के जारी रहने के दौरान कोई भी नेता किसी भी तरह की रैली और जनसभा भी नहीं कर सकत है। यही नहीं सभी सरकारी अधिकारियों से कहा गया है कि वे अपना पहचान-पत्र साथ रखें। जम्मू में भी यह धारा 144 सोमवार (5 अगस्त) सुबह 6 बजे से लागू कर दी गई है।
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जम्मू-कश्मीर से आते हैं गुलाम नबी आजाद
राज्यसभा में प्रतिपक्ष नेता और कांग्रेस से राज्यसभा सांसद गुलाम नबी आजाद जम्मू-कश्मीर से ही आते हैं। कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेताओं में शुमार गुलाम नबी आजाद गांधी परिवार के बहुत ही करीबी माने जाते हैं। वह 2017 के विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के प्रभारी भी थे। गुलाम नबी आजाद का जन्म 7 मार्च 1949 को जम्मू कश्मीर के डोडा जिले के सोती गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम रहमतुल्ला और माता का नाम बसा बेगम था। गुलाम नबी आजाद की शुरुआती पढ़ाई श्रीनगर से हुई थी। उन्होंने भदरवा के गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज से प्राणि विज्ञान में एमएसी की डिग्री हासिल की। उनका निकाह 27 मार्च 1980 को शमीम देव आजाद के साथ हुआ। गुलाम नबी आजाद 1980 से 1982 तक सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति के सदस्य रहे। वह 1980 से 1984 तक महाराष्ट्र के वासिम से लोकसभा सांसद रहे। वह यहां से दोबारा चुनाव जीतकर संसद पहुंचें। वह पहली बार 31 दिसम्बर 1984 से 11 मई 1986 तक संसदीय कार्य मंत्रालय के केंद्रीय राज्य मंत्री रहे। इसके अलावा वह मई 1986 से 1986 अक्टूबर तक केंद्रीय गृह राज्यमंत्री भी रहे। वह राज्यसभा में 1990 में पहुंचें। वह कांग्रेस की सरकार में मंत्री रहे। वह 2004 से 2005 तक केंद्रीय संसदीय कार्य और शहरी विकास मंत्री बनाए गए। वह पहली बार 2005 में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बनाए गए। वह मुख्यमंत्री के पद पर जुलाई 2008 तक रहे। इसके बाद 22 मई 2009 को एक बार फिर वह राज्यसभा के सांसद चुने गए और केंद्रीय की यूपीए सरकार में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री बनाए गए।
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