‘सोशल मीडिया के इस्तेमाल से बचें जज’, सुप्रीम कोर्ट ने कहा-जजों को संन्यासी की तरह जीवन जीना चाहिए, न्यायपालिका में दिखावे की कोई जगह नहीं

जजों को संन्यासी की तरह जीवन जीना चाहिए और घोड़े की तरह काम करना चाहिए। उन्हें सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। फैसलों को लेकर किसी तरह की राय व्यक्त नहीं करनी चाहिए।”

गुरुवार को जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने ये टिप्पणी की। बेंच मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के जून 2023 में 6 महिला जजों के टर्मिनेशन के मामले में सुनवाई कर रही थी।

बेंच ने कहा-

न्यायपालिका में दिखावे के लिए कोई जगह नहीं है। न्यायिक अधिकारियों को फेसबुक पर नहीं जाना चाहिए। उन्हें फैसलों पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि कल अगर फैसले का हवाला दिया जाता है तो न्यायाधीश पहले ही किसी न किसी तरह से अपनी राय व्यक्त कर चुके होंगे।

बेंच ने कहा-

फेसबुक खुला मंच है। आपको (जजों) एक संन्यासी की तरह जीवन जीना होगा, घोड़े की तरह काम करना होगा। न्यायिक अधिकारियों को बहुत त्याग करना पड़ता है।

सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी तब की जब वरिष्ठ वकील गौरव अग्रवाल ने पीठ को बताया कि बर्खास्त की गई महिला न्यायाधीश ने फेसबुक पर एक पोस्ट किया था। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने महिला न्यायाधीश को उनके प्रदर्शन के आधार पर बर्खास्त किया था। हालांकि कोर्ट ने कहा कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने महिला न्यायाधीश के गर्भपात के कारण उनकी स्थिति को सही तरीके से नहीं समझा। इससे पहले, 11 नवंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश में महिला न्यायिक अधिकारियों की बर्खास्तगी का संज्ञान लिया था।

मई 2023 में मध्य प्रदेश शासन ने 6 महिला जजों को किया था अपदस्थ

मध्य प्रदेश के विधि और विधायी कार्य विभाग ने हाईकोर्ट की सिफारिश पर 23 मई 2023 को आदेश जारी कर 6 महिला न्यायाधीशों की सेवाएं समाप्त कर दी थीं। ये आदेश हाईकोर्ट की प्रशासनिक समिति और फुल कोर्ट मीटिंग के फैसले के आधार पर दिया गया था। सेवाएं समाप्त करने के लिए कारण दिया गया था कि  प्रोबेशन पीरियड के दौरान इन महिला जजों का खराब परफॉर्मेंस रहा। इस संबंध में राज्य सरकार के आदेश का गजट नोटिफिकेशन 9 जून 2023 को जारी हुआ था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2024 में इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया था।

6 न्यायाधीशों की समाप्त की गई सेवाएं, उनमें से 4 बहाल, 2 का मामला अटका

मध्य प्रदेश शासन ने जिन 6 महिला जजों की सेवाएं समाप्त की थीं उनमें सरिता चौधरी (उमरिया), रचना अतुलकर जोशी (रीवा), प्रिया शर्मा (इंदौर), सोनाक्षी जोशी (मुरैना), अदिति कुमार शर्मा (टीकमगढ़) और ज्योति बरखेड़े (टिमरनी) के नाम शामिल थे।

सितंबर में अदिति कुमार शर्मा और सरिता चौधरी को छोड़कर बाकी सभी जजों की नौकरी बहाल के आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे।

शीर्ष अदालत ने लिया था स्वत: संज्ञान

11 नवंबर 2023 को शीर्ष अदालत ने कथित असंतोषजनक प्रदर्शन के कारण राज्य सरकार द्वारा छह महिला सिविल न्यायाधीशों की बर्खास्तगी का स्वत: संज्ञान लिया था। हालांकि, मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की पूर्ण अदालत ने एक अगस्त को अपने पहले के प्रस्तावों पर पुनर्विचार किया और अधिकारियों ज्योति वरखेड़े, सोनाक्षी जोशी, प्रिया शर्मा और रचना अतुलकर जोशी को कुछ शर्तों के साथ बहाल करने का फैसला किया, जबकि अन्य दो अदिति कुमार शर्मा और सरिता चौधरी को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया। शीर्ष अदालत उन न्यायाधीशों के मामलों पर विचार कर रही थी, जो क्रमश: 2018 और 2017 में मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा में शामिल हुए थे।इन दोनों न्यायिक अधिकारियों को बहाल न करने की टिप्पणियों के संबंध में हाईकोर्ट का हलफनामा सीलबंद लिफाफे के साथ रिकॉर्ड पर रखा गया। खंडपीठ ने कहा कि उसे अभी इसका अध्ययन करना है।

2018 में भर्ती हुई थीं अदिति कुमार शर्मा

अदिति कुमार शर्मा की साल 2018 में मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा में भर्ती हुई थी। हाईकोर्ट की रिपोर्ट के मुताबिक प्रोबेशन पीरियड के दौरान साल 2019-20 में उनका प्रदर्शन बहुत अच्छा था। बाद में उनकी रेटिंग गिरती गई। उनका एवरेज खराब हो गया। 2022 में उनके पास लगभग 1500 पेंडिंग मामले थे। इसको निपटाने की रेट 200 से कम थी। बाद में अदिति शर्मा ने हाईकोर्ट में मिसकैरेज होने और भाई को कैंसर होने की बात की थी। उनका कहना था कि सही से जानकारी लिए बिना ही उन्हें डिसमिस किया गया, ये गलत है।

इसी मामले में 4 दिसंबर को बेंच ने सुनवाई की थी। मध्य प्रदेश सरकार के वकील ने बेंच से कहा था-

प्रोबेशन पीडियड के दौरान महिला जज केस नहीं निपटा पा रही थीं। उनकी परफॉर्मेंस खराब थी। महिला जजों के लिए भी पुरुष जजों जैसे समान नियम हैं।

इस पर बेंच ने कहा था-

काश उन्हें (पुरुष जज) मासिक धर्म होता! तभी वे समझ पाते। अगर महिलाएं शारीरिक और मानसिक रूप से पीड़ित हैं तो उन्हें धीमी गति से काम करने वाला न कहें और उन्हें घर भेज दें।

Zeen is a next generation WordPress theme. It’s powerful, beautifully designed and comes with everything you need to engage your visitors and increase conversions.