
बजट सत्र के दौरान गुरुवार को राज्यसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक 2023 पर संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की रिपोर्ट पेश होते ही भारी हंगामा हुआ। महाराष्ट्र से भाजपा सांसद मेधा विष्णु कुलकर्णी ने जैसे ही रिपोर्ट सदन में रखी, विपक्षी सांसदों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया, जिसके चलते सदन को कुछ देर के लिए स्थगित करना पड़ा।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने रिपोर्ट को बताया ‘अलोकतांत्रिक’

राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि रिपोर्ट से असहमति के बयान हटा दिए गए हैं। उन्होंने इसे ‘फर्जी’ और अलोकतांत्रिक बताते हुए उपराष्ट्रपति और राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ से इस रिपोर्ट को खारिज करने और दोबारा भेजने की मांग की।
खड़गे ने कहा, “रिपोर्ट में गैर-हितधारकों के बयान शामिल नहीं किए गए हैं, जो इसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करता है।”
सत्तापक्ष और विपक्ष में टकराव
खड़गे के इन आरोपों का सत्ता पक्ष ने जोरदार विरोध किया। राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन में बाधा डाल रहे सांसदों को फटकार लगाते हुए कहा, “आपको कुछ मूलभूत शिष्टाचार सीखने चाहिए।”
वहीं, सदन में नेता प्रतिपक्ष जे. पी. नड्डा ने कहा, “सरकार विपक्ष के इस व्यवहार की निंदा करती है।”
किरण रिजिजू और निर्मला सीतारमण का जवाब
केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने विपक्ष के दावों को झूठा और भ्रामक बताते हुए कहा कि JPC रिपोर्ट पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष है। उन्होंने कहा, “रिपोर्ट में किए गए संशोधन और चर्चा का सटीक प्रतिबिंब है, विपक्ष केवल सदन को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है।”
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी विपक्ष पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि वे जानबूझकर सदन की कार्यवाही बाधित कर रहे हैं और भ्रम फैला रहे हैं।
क्या है वक्फ (संशोधन) विधेयक 2023?
इस विधेयक में वक्फ संपत्तियों के प्रशासन, स्वामित्व और उपयोग से जुड़े प्रावधानों में बदलाव किए गए हैं। सरकार का दावा है कि यह संशोधन वक्फ बोर्डों के पारदर्शी संचालन और गैर-कानूनी अतिक्रमणों को रोकने के लिए लाया गया है, लेकिन विपक्ष का कहना है कि इससे वक्फ संपत्तियों के अधिकार कमजोर हो सकते हैं।
आगे क्या?
इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच टकराव जारी है। अब देखना होगा कि सरकार इस विधेयक को आगे कैसे बढ़ाती है और विपक्ष की रणनीति क्या होती है।