उम्मीद से काफी पीछे है जल जीवन मिशन

सभी ग्रामीण घरों में नल से जल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए चलाये जा रहे जल जीवन मिशन में पिछड़े 13 राज्यों में काम की धीमी रफ्तार पर चिंता जताते हुए संसद की स्थायी समिति ने इस योजना के क्रियान्वयन में आ रही व्यावहारिक दिक्कतों को तत्काल दूर करने के लिए कहा है। पिछड़े राज्यों में बंगाल, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, झारखंड और महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य भी शामिल हैं।

फरवरी में पेश किए गए आम बजट में जल जीवन मिशन को 2028 तक विस्तार दे दिया गया है लेकिन कुल 19.6 करोड़ ग्रामीण घरों में से बचे लगभग तीन करोड़ घरों में नल से जल की आपूर्ति सुनिश्चित करना मुश्किल चुनौती बना हुआ है। इसका सबसे बड़ा कारण जल संसाधन की सुनिश्चित उपलब्धता का अभाव है। शेष तीन करोड़ घरों में से 95 प्रतिशत इन्हीं 13 राज्यों में है।

जलशक्ति मंत्रालय ने समिति को बताया है कि उसकी ओर से हर राज्य कि स्थितियों और चुनौतियों के अनुरूप समाधान की कोशिश के साथ ही शेष कार्य की दिन-प्रतिदिन की निगरानी की जा रही है। महाराष्ट्र जैसे राज्यों में वास्तविक काम 2022 में उद्धव ठाकरे के नेत्रत्व वाली सरकार के जाने के बाद शुरू हो सका। महाराष्ट्र एक तो राजनीतिक कारणों से 2019 में इस मिशन की शुरुवात के समय शामिल नहीं हुआ और फिर वहां इस तरह कामचलाऊ तरीके से योजना पर अमल हुआ कि घर-घर जाकर सर्वेक्षण करने के बजाए गूगल चित्रों के जरिये सर्वे कर लिया गया।

इसके चलते गाँव में बड़ी संख्या में घर छूट गए गलत डाटा रेपोर्टिंग हुई। इसी तरह झारखंड, कर्नाटक में भी पानी की आपूर्ति की चिंता किए बिना कनेकशन दे दिये गए। कागजों में स्कूलों और आंगनबाड़ियों में लगभग .85 प्रतिशत कवरेज हो चुका है लेकिन जमीन पर स्थिति इसके उलट है। समिति ने जल शक्तिमंत्रालय से कहा कि नल से जल की आपूर्ति के कनेकशन और पानी की उपलब्धता के भौतिक सत्यापन के लिए हर जिले में एक अधिकारी की ज़िम्मेदारी दी जानी चाहिए।

जल जीवन मिशन के व्यापक उद्देश्यों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • प्रत्येक ग्रामीण परिवार को काम लायक घरेलू नल कनेक्शन (एफएचटीसी) प्रदान करना।
  • गुणवत्ता से प्रभावित क्षेत्रों, सूखाग्रस्त क्षेत्रों, रेगिस्तानी क्षेत्रों और सांसद आदर्श ग्राम योजना (एसएजीवाई) गांवों में एफएचटीसी प्रावधान को प्राथमिकता देना।
  • स्कूलों, आंगनवाड़ी केंद्रों, ग्राम पंचायत भवनों, स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों और सामुदायिक भवनों में काम लायक नल कनेक्शन सुनिश्चित करना।
  • नल कनेक्शन की कार्यक्षमता की निगरानी करना।
  • स्थानीय समुदाय के बीच नकद, वस्तु या श्रम (श्रमदान) में योगदान के माध्यम से स्वैच्छिक स्वामित्व को बढ़ावा देना।
  • जल स्रोतों, बुनियादी ढांचे और नियमित संचालन और रखरखाव के लिए धन सहित जल आपूर्ति प्रणालियों की स्थिरता सुनिश्चित करना।
  • जल क्षेत्र में मानव संसाधनों को सशक्त बनाना और विकसित करना, जिसमें निर्माण, प्लंबिंग, बिजली का काम, जल गुणवत्ता प्रबंधन, जल उपचार, जलग्रहण सुरक्षा और बहुत कुछ शामिल है।
  • सुरक्षित पेयजल के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना और पानी को सभी की जिम्मेदारी बनाने के लिए हितधारकों को शामिल करना।

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