
आर्थिक सर्वेक्षण में कृषि क्षेत्र में नीतिगत सुधार करने का सुझाव दिया गया है। दलहन एवं तिलहन की खेती को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ परंपरागत फसलों की उत्पादकता बढ़ाने एवं वैसी फसलों की खेती पर ज़ोर दिया गया है जिनकी भारी कमी है। रिपोर्ट में कहा गया है की दुनिया के अन्न उत्पादक देशों में भारत का स्थान प्रमुख है। कुल वैश्विक उत्पादन में भारत की भागेदारी 11.6 प्रतिशत है लेकिन उत्पादकता के मामले में कई देशों से बहुत पीछे है। वर्ष 2012-13 से 2021-22 के दौरान उत्पादन में मात्र 2.1 प्रतिशत की ही वृद्धि हो पाई है।
आर्थिक सर्वेक्षण के तीन सूत्र
संसद में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में तीन प्रमुख नीतिगत बदलावों की रूपरेखा दी गई है। इनमें मूल्य जोखिम हेजिंग के लिए बाजार तंत्र स्थापित करना (यह एक वित्तीय जोखिम को कम करने की एक रणनीति है), अत्यधिक उर्वरक उपयोग को रोकना और अधिक पानी की खपत वाली फसलों के उत्पादन को हतोत्साहित करना शामिल है।
पिछली चार तिमाहियों की तुलना में कृषि विकास में सुधार
वित्त वर्ष 2017 और वित्त वर्ष 2023 के दौरान कृषि क्षेत्र का विकास औसतन 5 प्रतिशत सालाना रहा है। यह विकास दर चुनौतियों के बाद भी लचीलापन दिखाती है। वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में इस क्षेत्र में 3.5 प्रतिशत का विकास हुआ, जो पिछली चार तिमाहियों में 0.4 से 2.0 प्रतिशत की विकास दर से उबरी है। वर्तमान मूल्यों पर वित्त वर्ष 2024 के अस्थायी अनुमानों के अनुसार, यह क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 16 प्रतिशत का योगदान देता है और लगभग 46.1 प्रतिशत आबादी के आजीविका का माध्यम है।
पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन पर जोर
आर्थिक सर्वेक्षण में आय विविधीकरण के लिए पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन जैसे कृषि से जुड़े क्षेत्रों के बढ़ते महत्व पर जोर दिया गया। वहीं, सर्वेक्षण जलवायु परिवर्तन और पानी की कमी जैसी चुनौतियों को भी सामने रखा है, इन समस्याओं के लिए लक्षित हस्तक्षेप की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया है। डिजिटल प्रौद्योगिकी को अपनाना और ई-एनएएम जैसे प्लेटफार्मों के माध्यम से बेहतर बाजार बुनियादी ढांचे को महत्वपूर्ण फोकस क्षेत्रों के रूप में उजागर किया गया है।
सर्वेक्षण के अनुसार, सरकारी योजनाओं ने सकारात्मक प्रभाव दिखाया है, जिसमें 31 अक्तूबर 2024 तक 11 करोड़ से अधिक किसानों को पीएम-किसान योजना से लाभ मिला है और 23.61 लाख किसान प्रधानमंत्री किसान मान धन योजना के तहत नामांकित हैं। रिपोर्ट में छोटे किसानों का समर्थन करने और विशेष रूप से दूरदराज और पहाड़ी क्षेत्रों में खाद्यान्न भंडारण प्रणालियों को आधुनिक बनाने के लिए निजी क्षेत्र के निवेश की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया है।