राममंदिर से पहले इन मंदिरों की आधारशिला रखने भी पहुंचे थे प्रधानमंत्री

राममंदिर (Rammandir) में भूमिपूजन के बाद अयोध्या दुल्हन की तरह सजी थी। प्रधानमंत्री मोदी (Pm Modi) ने भूमिपूजन के बाद उसकी आधारशिला रखी है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद वर्षों से चल रहा ये विवाद खत्म हुआ। करोड़ों लोगों ने अपने घरों में दीप जलाकर राममंदिर बनने की खुशी को जाहिर किया। अयोध्या के भव्यमंदिर बनने की शुरुआत हो चुकी है लेकिन उससे पहले भी कई मंदिरों की आधारशिला उस समय के तत्कालीन प्रधानमंत्री रख चुके हैं।
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अक्षरधाम मंदिर
दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर के बारे में तो आप जानते ही होंगे। 6 नवंबर 2005 को जब अक्षरधाम मंदिर का उद्घाटन होना था तो उस समय भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) समेत विपक्ष के नेता लालकृष्ण आडवाणी भी वहां मौजूद थे। इस मंदिर को बनाने में लगभग पांच साल 4 साल 363 दिन लगे थे। मंदिर का निर्माण कार्य 8 नवंबर 2000 को शुरू हुआ था और 6 नवंबर 2005 को इसे श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिया गया था। इसे पूरे विश्व का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर माना जाता है।
17 दिसंबर 2007 को इसका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड ( guinness book of record) में भी दर्ज किया गया। मंदिर को बनाने में राजस्थान (Rajasthan) से 6000 टन से ज्यादा गुलाबी बलुआ पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था। इस मंदिर के निर्माण की कुल लागत 400 करोड़ रुपये थी। इस मंदिर को बनाने में वास्तुशास्त्र के नियमों का पालन हुआ था। यह स्मारक 141 फुट ऊंचे, 316 फुट चौड़ा और 370 फुट लंबा है।

अबू धाबी मंदिर-
प्रधानमंत्री मोदी ने 11 फरवरी 2018 को यूएई (UAE) की राजधानी अबू धाबी में एक मंदिर की आधारशिला रखी थी। हालांकि प्रधानमंत्री ने वहां बिना जाए वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए ही आधारशिला रखी थी। अबू धाबी (Abu Dhabhi) में भारतीय मूल के 30 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं। मंदिर बनने पर भारतीयों ने वली अहद शहजादा मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान को धन्यवाद दिया था।
मंदिर को बनने में उनका भी योगदान था। पीएम मोदी दो बार यूएई जा चुके हैं। ये मंदिर पूरा पत्थर का बनाया जा रहा है। हालांकि अभी इसका निर्माण कार्य चल ही रहा है। कोरोना वायरस (Corona virus) की वजह से इस पर भी ब्रेक लग गया है इसलिए इसे बनाने में अभी और समय लग सकता है। सूत्रों की मानें तो पश्चिम एशिया में पत्थरों से बना यह पहला हिंदू मंदिर है।

सोमनाथ मंदिर
गुजरात का सोमनाथ मंदिर (Somnath mandir) हिंदू धर्म के इतिहास को याद दिलाता है। इस मंदिर को कई बार तोड़ा गया उसके बाद बनाया गया। इसे लूटा भी गया लेकिन इसके बावजूद भी आज ये सौराष्ट्र की पहचान है। 1 दिसंबर 1955 को भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद जी ने इस मंदिर को दोबारा बनवाना शुरू कराया। आजादी के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल (Sardar Patel) ने इसका निर्माण करवाया था। भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में ये पहला ज्योतिर्लिंग है। इसके इतिहास से जुड़ी कई कहानियां हैं। लोगों की मान्यता है कि श्री कृष्ण ने देह भी यहीं त्यागा था। मंदिर से जुड़ी सारी व्यवस्थाएं सोमनाथ ट्रस्ट के अंदर ही आती हैं।
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