वायुसेना में शामिल हुए चिनूक हेलीकॉप्टर की खासियत पढ़कर रह जाएंगे दंग

भारतीय वायुसेना में अमेरिका निर्मित चिनूक सीएच-47आई हेलीकॉप्टर शामिल हो गया है। करीब 26 देशों में प्रयोग किए जा रहे इस बहुउद्देशीय हेलीकॉप्टर को भारत सरकार ने अमेरिका से खरीदा है। अभी इसकी निर्माता कंपनी बोइंग ने भारत को 04 चिनूक हेलीकॉप्टर सौंपे हैं। केन्द्र सरकार ने ऐसे 15 हेलीकॉप्टर की अमेरिका के साथ डील की है। बाकी के हेलीकॉप्टर भी सेना को इस साल के अंत तक मिल जाएंगे। इस डील की कुल कीमत 2.5 अरब डॉलर (करीब 17 हजार करोड़ रुपए) है। इसमें 22 अपाचे हेलीकॉप्टर भी शामिल हैं। आइए जानते हैं चिनूक की कुछ खासियतें-
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यह हैं चिनूक की खासियतें
चिनूक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे ज्यादा वजन उठाने के लिहाज से डिजायन किया गया है। इसमें दो ब्लेड्स का इस्तेमाल किया है। साधारण हेलीकॉप्टर में सिंगल मोटर ब्लेड का इस्तेमाल किया जाता है। यह रात के अंधेरे में भी उड़ान भर सकता है। इसमें नाइट विजन तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। चिनूक का प्रयोग करीब 26 देशों में किया जा रहा है। हालांकि हर देश की जरूरतों के लिहाज से इसे डिजायन किया जाता है, लेकिन फिर भी इसमें कई खासियत हैं।
यह एक वर्टिकल लिफ्ट प्लेटफॉर्म हेलीकॉप्टर है, इसका प्रयोग सेना में सैनिकों, हथियारों, उपकरणों, ईंधन व रसद को ढोने में ज्यादा किया जाता है। राहत सामग्री वितरण में भी यह हेलीकॉप्टर प्रमुख भूमिका निभाता है। चिनूक पूरी तरह से एकीकृत डिजिटल कॉकपिट मैनेजमेंट प्रणाली पर कार्य करता है। इसके अलावा इसमें कॉमन एविएशन आर्किटेक्चर कॉकपिट व एडवांस्ड कॉकपिट प्रबंध जैसी खासियतें हैं।
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2015 में हुई थी डील
15 चिनूक और 22 अपाचे हेलीकॉप्टर के लिए अमेरिकी की बोइंग कंपनी के साथ डील वर्ष 2015 में केन्द्र की मोदी सरकार ने की थी। हालांकि वर्ष 2017 में इस डील को कुछ बदलाव के साथ मंजूरी दी गई थी। बोइंग ने 2018 में वायुसेना के पायलटों और फ्लाइट इंजीनियरों को चिनूक हेलिकॉप्टर उड़ाने की ट्रेनिंग दी थी।
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