इंडिया गेट की शोभा अब ‘अमर जवान ज्योति’ से नहीं, नेता जी सुभाष चंन्द्र बोस की प्रतिमा से होगी

इंडिया गेट पर हर रोज लगभग हजारों लोग घुमने जाते हैं। और सेल्फी भी लेते हैं। आगे भी कुछ नहीं बदलने वाला है सिवाय बैकग्राउण्ड में जल रहे अमर जवान ज्योति के। जी हां, भारत की राजधानी दिल्ली में इंडिया गेट पर पिछले 50 साल से जल रही अमर जवान ज्योति को शुक्रवार यानी आज राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जल रही लौ में विलय किया जा रहा है। मतलब की उसे दूसरी जगह सिफ्ट करके उस जगह पर नेता जी सुभाष चंन्द्र बोस की प्रतिमा को स्थापित किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया पर फोटो के साथ एक पोस्ट किया है जिसमें इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति के जगह नेता जी सुभीष चंन्द्र बोस की प्रतिमा दिखाई पड़ रही है। और लिखा है कि ‘’ऐसे समय में जब पूरा देश नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती मना रहा है, मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि ग्रेनाइट से बनी उनकी भव्य प्रतिमा इंडिया गेट पर स्थापित की जाएगी। यह उनके प्रति भारत के ऋणी होने का प्रतीक होगा। ’’
आपको बता दें कि अमर जवान ज्योति का शुक्रवार को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जल रही लौ में विलय किए जाने की सूचना सेना के अधिकारियों ने बीते गुरुवार को ही जारी कर दी थी।
अमर जवान ज्योति
अमर जवान ज्योति की स्थापना उन भारतीय सैनिकों की याद में की गई थी, जो कि 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए थे। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी 1972 को इसका उद्घाटन किया था। बता दें कि इस युद्ध में भारत की विजय हुई थी और बांग्लादेश का गठन हुआ था।
इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति एक स्मारक है, जिसमें संगमरमर की एक चौकी पर राइफल के ऊपर एक सैनिक की हेलमेट को रखा गया है। यह इंडिया गेट के दूसरी तरफ 400 मीटर की दूरी पर स्थित है।
विपक्ष के नेता कर रहे है जमकर आलोचना
पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया ‘’बहुत दुख की बात है कि हमारे वीर जवानों के लिए जो अमर ज्योति जलती थी, उसे आज बुझा दिया जाएगा। कुछ लोग देश प्रेम व बलिदान नहीं समझ सकते- कोई बात नहीं… हम अपने सैनिकों के लिए अमर जवान ज्योति एक बार फिर जलाएंगे।‘’
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा ‘’इस सरकार में लोकतांत्रिक परंपरा और स्थापित परंपरा का कोई सम्मान नहीं है, चाहे वह संसद में हो या बाहर। अमर जवान ज्योति के 50 साल बाद हासिल की गई पवित्रता को हल्के से छीना जा रहा है। इसलिए 2014 के बाद सब कुछ फिर से खोजा जाना चाहिए?’’
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने आरोप लगाया ‘’अमर जवान ज्योति को बुझाना उस इतिहास को मिटाने की तरह है, जो पाकिस्तान के दो टुकड़े करने और दक्षिण एशिया के मानचित्र को बदलने वाले 3,483 बहादुर सैनिकों के बलिदान का प्रतीक है।’’
उन्होंने कहा ‘’यह बहुत ही विडंबनापूर्ण है कि बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के 50 साल पूरा होने के अवसर पर सरकार आजादी के बाद के सबसे बेहतरीन क्षण को मिटाने का प्रयास करती दिख रही है। जो कुछ भी किया जा रहा है, वह एक राष्ट्रीय त्रासदी है और इतिहास को फिर से लिखने का प्रयास है। अमर जवान ज्योति को युद्ध स्मारक मशाल में मिलाने का अर्थ है इतिहास मिटाना। भाजपा ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक बनाया है, इसका मतलब यह नहीं है कि वे अमर जवान ज्योति को बुझा सकते हैं।‘’
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा ‘’आरएसएस सैद्धांतिक रूप से शहादत को आदर्श नहीं बल्कि एक घातक दोष मानता है। गोलवलकर के बंच ऑफ थॉट्स के अंश को साझा कर रहा हूं, जिन्हें अब उनकी वेबसाइट से हटा लिया गया है, जो यह बताता है कि मोदी सरकार आधी सदी के बाद आज अमर जवान ज्योति को क्यों बुझा रही है।’’
विपक्ष के तंज पर सरकार की सफाई
सरकारी सूत्रों का कहना है कि ‘’यह देखकर विचित्र लगता है कि अमर जवान ज्योति की लौ 1971 एवं दूसरे युद्धों के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए है, लेकिन इनमें से किसी का नाम वहां मौजूद नहीं है। इंडिया गेट पर कुछ उन शहीदों के नाम अंकित हैं, जो प्रथम विश्व युद्ध और एंग्लो अफगान युद्ध में ब्रिटिश शासन के लिए लड़े और ऐसे में ये हमारे औपनिवेशिक अतीत का प्रतीक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 फरवरी 2019 को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का उद्घाटन किया था, जहां 25,942 सैनिकों के नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखे गए हैं।‘’
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि ‘’इससे पहले विभिन्न युद्धों और संघर्षों में देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले सभी सैन्यकर्मियों को श्रद्धांजलि देने के लिए कोई युद्ध स्मारक नहीं था, यही वजह है कि इंडिया गेट पर लौ जलाई गई थी। अब जब एक समर्पित संग्रहालय है, तो इस लौ को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक के साथ मिला दिया जाएगा।‘’
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