साइबर गुलामी का शिकार हुआ भारत, विदेश जाकर 30,000 लोग नहीं लौटे देश

हम जितनी तेज़ी से डिजिटल दुनिया की ओर बढ़ रहे हैं, ठीक उतनी ही तेजी से साइबर अपराध की संख्या बढ़ रही है। तकनीकि ने जितनी गति के साथ उन्नति की है उसी गति से इंसान की इंटरनेट पर निर्भरता बढ़ी है। एक ही जगह पर बैठकर इंटरनेट के जरिए इंसान की पहुंच, विश्व के हर कोने तक आसान हुई है। आज के समय में हर वो चीज़ जिसके बारे में इंसान सोच सकता है, उस तक उसकी पहुंच इंटरनेट के माध्यम से हो सकती है, जैसे कि सोशल नेटवर्किंग, ऑनलाइन शॉपिंग, डेटा स्टोर करना, ऑनलाइन स्टडी, ऑनलाइन जॉब आदि। विज्ञान और तकनीकि के इस दौर में साइबर ठगी की घटनाओं से तो बहुत लोग वाकिफ हैं लेकिन कुछ विदेशी ठग देश के भोले-भाले, नासमझ नौजवानों से साइबर गुलामी भी करा रहे हैं। अगर आपको विदेशों से खासकर सिंगापुर, कंबोडिया, चीन, इंडोनेशिया, थाईलैंड और म्यांमार जैसे देशों से आकर्षक नौकरी के ऑफर मिल रहे हैं तो आपको सावधान हो जाना है।

साइबर ठगी को लेकर एक बड़ी जानकारी सामने आई है, जहां टूरिस्ट वीजा पर गए करीब 30 हजार भारतीय वापस नहीं लौटे हैं। आशंका जताई जा रही है कि इन लोगों से साइबर गुलामी करवाई जा रही है तथा इन पर दबाव डालकर साइबर क्राइम को अंजाम दिया जा रहा है।

क्या होती है साइबर गुलामी

साइबर गुलामी इंटरनेट के ज़रिये नौकरी के इच्छुक लोगों को झूठे वादों में फंसाकर अपने ऑनलाइन धोखीधड़ी रैकेट में शामिल कराने की एक प्रक्रिया है। कई बार देखा जाता है कि नौकरी की तलाश में लोग ऐसे ऑनलाइन विज्ञापनों के झांसे में आ जाते हैं जिनमें उन्हें विदेश में नौकरी का लालच दिया जाता है। विदेश पहुंचने पर उनके पासपोर्ट जब्त करके उन्हें बंधक बनाकर अन्य भारतीयों को ठगने के काम पर लगाया जाता है। साइबर गुलामी के तहत काम करने वाले लोगों पर दबाव बनाया जाता है। इसमें इंटरनेट पर मौजूद प्लेटफॉर्म के जरिए लोगों को शिकार बनाया जाता है। भारतीय होने की वजह से कई लोग हिंदी और स्थानीय भाषा बोल सकते हैं। इस तरह से एक चेन बनाकर कई भारतीयों को फंसाया जाता है। ऐसा न करने उन्हें प्रताड़ित किया जाता है। इस प्रक्रिया में लोग अपने लाखों रुपये गंवाते हैं।

इतने हजार लोग नहीं लौटे देश

गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाली आप्रवासन ब्यूरो (Bol) ने एक डेटा तैयार किया है। उसमें इसकी जानकारी मिली है कि कंबोडिया, थाइलैंड, म्यांमार और वियतनाम में विजिटर वीजा पर जनवरी 2022 से मई 2024 के बीच 73,138 यात्री भारत से यात्रा पर गए थे। इसमें से 29,466 भारतीय अभी तक वापस नहीं लौटे हैं। इसमें 20-39 आयु वर्ग के लोगों की संख्या करीब आधी यानी 17,115 है। ये जानकारी इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट से मिली। इसमें 90 फीसदी लोग पुरुष हैं।

सबसे ज्यादा इन राज्यों से गए लोग

भारत वापस न लौटने वालों में सबसे ज्यादा लोग पंजाब (3,667), महाराष्ट्र (3,233), तमिलनाडु राज्य (3,124) से हैं। अन्य राज्यों से जाने वाले लोगों की संख्या कम है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, आशंका जताई जा रही है कि इन लोगों पर दबाव बनाया जा रहा है, जिससे ये लोग भारत में रह रहे लोगों के साथ साइबर ठगी करें। इन लोगों को नौकरी का लालच देकर साइबर गुलाम बनाया गया है।

केंद्र ने राज्यों को वैरिफिकेशन करने को कहा

इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में सूत्रों का हवाला देते हुए बताया है कि केंद्र सरकार की एक उच्च स्तरीय समिति ने अब सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सत्यापन करने और इन लोगों की डिटेल्स लेने का निर्देश दिया है।

जब ED अफसर बनकर भारत में कराई थी 500 करोड़ की ठगी

अभी छह महीने पहले की ही बात है जब 250 भारतीयों को कंबोडिया में साइबर गुलाम बनाकर उनके माध्यम से 500 करोड़ की ठगी की गई थी। दरअसल, इन भारतीयों को नौकरी का लालच देकर कंबोडिया ले जाया गया था। इसके बाद वहां इनसे साइबर फ्रॉड से जुड़े काम करवाए गए। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कंबोडिया में साइबर ठग बनाए गए भारतीय ईडी और दूसरे कस्टम अधिकारी बनकर भारत में फोन करते थे। ये लोगों को कहते थे कि उनके भेजे गए पार्सल में संदिग्ध सामान मिला है। अगर वो पुलिस कार्रवाई से बचना चाहते हैं तो पैसे भेज दें। विदेश मंत्रालय के मुताबिक इस तरह ठगी कराकर कंबोडिया में भारतीयों से साइबर गुलामी कराई जा रही थी।

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