ठीक 10 साल पहले वर्ष 2014 में निवेश में बढ़ोतरी के साथ इनोवेशन और कौशल विकास जैसे चार उद्देश्यों के लिए शुरू किए गए मेक इन इंडिया कार्यक्रम में अपनी जबर्दस्त छाप छोड़ी है। भारत वैश्विक आपूर्ति श्रंखला का प्रमुख बनने की ओर अग्रसर है। मोबाइल से लेकर मिसाइल तक भारत आत्मनिर्भर हुआ है और इससे देश को निर्यात और निवेश बढ़ाने में बड़ी मदद मिली है। इस दौरान प्रत्यक्ष विदेशी यानि एफडीआई में भी 119 प्रतिशत का उछाल आया है।
पीएम मोदी ने 2014 में मेक इंडिया लॉन्च किया था। दस साल बाद देश अब इसके परिणाम देखा जा रहा है। 2014 में देश में 80 फीसदी मोबाइल फोन का आयात होता था, अब 99.9 फीसदी मोबाइल फोन का उत्पादन होता है। यूके, नीदरलैंड, ऑस्ट्रिया, इटली और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों को भी निर्यात किया जा रहा है। रक्षा उत्पादन के साथ-साथ अंतरिक्ष, इलेक्ट्रिक वाहन, सेमीकंडक्टर विनिर्माण, निर्माण क्षेत्र और रेलवे बुनियादी ढांचे में भी नतीजे देखे जा रहे हैं।
मेक इन इंडिया की सरकारी नोडल एजेंसी उधयोग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग के मुताबिक पिछले 10 सालों में 667.4 अरब डॉलर का एफडीआई हुआ जो उसके पूर्व के 10 वर्षों की तुलना में 119 प्रतिशत अधिक है। वित्त वर्ष 2021-22 में पहली बार वस्तुओं का निर्यात 400 अरब डालर के आंकड़े को पार किया। सेरमिक और खिलौने जैसे में आयात पर हमारी निर्भरता खत्म हुई और हम आयातक से निर्यातक बन गए।
2014 में जहां देश में स्टार्टअप्स की संख्या 350 थी, वहीं 10 साल में स्टार्टअप इंडिया कार्यक्रम के तहत पंजीकृत संख्या बढ़कर 1.48 लाख हो गई है। देश में हर घंटे एक स्टार्टअप लॉन्च होता है। आज 4.91 करोड़ से अधिक पंजीकृत एमएसएमई हैं जिनमें 1.85 करोड़ महिला-स्वामित्व वाले उद्यम शामिल हैं। पंजीकृत इकाइयों ने 21.17 करोड़ नौकरियां पैदा की हैं। 2022-23 में भारत की जीडीपी में 30.1 फीसदी का योगदान दिया।
बुलेट ट्रेन परियोजनाओं, नए हवाई अड्डों, स्मार्ट शहरों, सड़क और रेल नेटवर्क के विस्तार सहित कई बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाएं मेक इन इंडिया के साथ शुरू हुईं। इसने औद्योगिक इकाइयों को भी समर्थन दिया।
डिजिटलीकरण, तकनीकी उन्नति
मेक इन इंडिया से इलेक्ट्रॉनिक्स और सॉफ्टवेयर विकास में आत्मनिर्भरता बढ़ी। भारत मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग में अग्रणी देश बन गया है। एप्पल और सैमसंग समेत कई अन्य वैश्विक कंपनियों ने भारत में मोबाइल विनिर्माण इकाइयां स्थापित की हैं। 2014 में, भारत में केवल 2 इकाइयों का उत्पादन किया गया था। 2020 तक यह बढ़कर 200 यूनिट से ज्यादा हो गई है।
2023-24 में 1.55 लाख करोड़ रुपये की खादी बिक्री और पीएलआई योजना के तहत 1.28 लाख करोड़ रुपये का निवेश हुआ। इससे 8.5 लाख से अधिक नौकरियां पैदा हुईं। निर्यात 4 लाख करोड़ से ज्यादा बढ़ा। 2020 में खिलौनों के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना लागू होने के बाद से निर्यात में 239 फीसदी की वृद्धि हुई है।