IAS अधिकारी पूजा खेडकर मामले में संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) ने अपनी जांच पूरी कर ली है। इस जांच में जो नतीजे आए हैं वो चौंकाने वाले हैं। जांच में पाया गया है कि पूजा ने कई सारे घपले किए हैं। उन्होंने अपने अटेंप्ट से ज्यादा बार ये परीक्षा दी। इसके लिए उन्होंने अपना, अपने पिता और मां का नाम तक बदला। यही नहीं, उन्होंने कई फर्जीवाड़े किए हैं। उन्होंने अपनी तस्वीर, सिग्नेचर, ई-मेल आईडी और मोबाइल नंबर तक फर्जी दिए थे। ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर किसी भी आईएएस अफसर को कब अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है।
सिर्फ राष्ट्रपति कर सकते हैं बर्खास्त
कई लोगों के मन में ये सवाल है कि किसी भी आईएएस अफसर को बर्खास्त करना इतना आसान क्यों नहीं होता? तो बता दें कि किसी भी आईएएस अफसर के साथ ही केंद्रीय अफसरों की नियुक्ति भी राष्ट्रपति के द्वारा ही की जाती है। इनकी नियुक्ति को सरकार गजट में अधिसूचित करती है। ऐसे में इन अफसरों को गजेटेड अफसर कहा जाता है। इनमें आईएएस, आईपीएस और आईएफएस जैसी सेवाओं के अधिकारी शामिल होते हैं। ऐसे में इन अफसरों को राष्ट्रपति के अलावा और कोई भी बर्खास्त नहीं कर सकता है।
संविधान में कहां हैं आईएएस सेवा को लेकर नियम?
बता दें कि किसी भी आईएएस अधिकारी की सेवा के नियम और उन्हें बर्खास्त करने के बारे में संविधान के अनुच्छेद 311 में वर्णन है। इसमें कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति जो संघ की सिविल सेवा या अखिल भारतीय सेवा या राज्य की सिविल सेवा का सदस्य होता है, उसकी नियुक्ति करने वाली अथॉरिटी के अलावा कोई और किसी भी आईएएस अधिकारी को उसके पद से हटा नहीं सकता। साफ शब्दों में कहें तो कोई संघीय सेवा का अफसर है तो उसे केंद्र सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति और कोई राज्य की सिविल सेवा का अफसर है तो उसे राज्य सरकार की सिफारिश पर राज्यपाल नौकरी से निकालते हैं।