पृथ्वी की तुलना में मंगल एक छोटा ग्रह है। इसका गुरुत्वाकर्षण हमारे ग्रह की तुलना में 30 प्रतिशत कम है। लाल ग्रह पर पृथ्वी के जैसी ओजोन परत और चुंबकीय क्षेत्र की भी कमी है। ये दोनों पृथ्वी को अंतरिक्ष के रेडिएशन, ब्रह्मांडीय किरणों, अल्ट्रावायलेट किरणों और सूर्य से निकलने वाले आवेशित कणों से बचाते हैं। मंगल पर ऐसी कोई सेफ्टी मैकेनिज्म मौजूद नहीं है।
आंखों की रोशनी होगी कमजोर
स्टीफन हॉकिंग समेत कई मशहूर वैज्ञानिक ने कहा है कि मानव को पृथ्वी छोड़कर किसी और ग्रह पर बसना पड़ सकता है। जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के चलते पृथ्वी शायद इंसान के रहने लायक ही न बचे। काफी लंबे समय से वैज्ञानिक मंगल ग्रह पर इंसानों को बसाने का सपना देख रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि भविष्य में लाल ग्रह पर धरती की तरह घर बना सकते हैं। स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क शिद्दत से इस सपने को साकार बनाने में लगे हैं। हालांकि, विशेषज्ञों ने एक अध्ययन में चेतावनी दी है कि मंगल की स्थितियां मानवीय शरीर में कई खतरनाक बदलाव ला सकती हैं। इसमें शरीर का रंग हरा होने से लेकर आंखों की रोशनी का कमजोर होना शामिल है। एक अमेरिकी बायोलॉजिस्ट का मानना है कि इंसान का मंगल पर सर्वाइव कर पाना बहुत मुश्किल है।
कम गुरुत्वाकर्षण और हाई रेडिएशनहै परेशानियों की मुख्य वजह
टेक्सास की राइस यूनिवर्सिटी में बायोलॉजिस्ट डॉ स्कॉट सोलोमन ने चेताया कि मंगल ग्रह पर मनुष्यों में भारी म्यूटेशन हो सकता है। उन्होंने कहा कि अगर मंगल पर बसने वाले मानव बच्चों को जन्म देते हैं तो उनमें कई म्यूटेशन और विकासवादी परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं। ये म्यूटेशन कम गुरुत्वाकर्षण और हाई रेडिएशन की वजह से होंगे। इनकी वजह से त्वचा का रंग हरा हो सकता है, मांसपेशियां और हड्डियां कमजोर हो सकती हैं, आंखों की रोशनी कम हो सकती है।