कैसे हुई कान्स फ़िल्म फेस्टिवल की शुरुआत? क्यों है ये इतना पॉपुलर?

हर साल अपने फैशन और सिनेमा से सबका ध्यान खींचने वाला कान्स फिल्म फेस्टिवल इस साल 16 मई से 27 मई तक आयोजित किया जा रहा है। कुछ वर्षों से भारत में कान्स फील फेस्टिवल की खूब चर्चा होती है क्योंकि यहां के सेलेब्रिटीज़ कमाल की ड्रेसेस में रेड कारपेट पर वॉक करते नज़र आते हैं। एक्ट्रेस ऐश्वर्या राय बच्चन कई बार फेस्टिवल में नजर आ चुकी हैं। पिछले साल, अभिनेत्री दीपिका पादुकोण को महोत्सव के जूरी सदस्य के रूप में चुना गया था, जिसे वैश्विक स्तर पर सबसे प्रतिष्ठित फिल्म आयोजनों में गिना जाता है। लेकिन ऐसा क्या है कि कान्स फ़िल्म फेस्टिवल इतनी दिलचस्पी पैदा करता है और इसमें क्या होता है?
कान फिल्म महोत्सव क्या है?
इसका इतिहास 1936 से शुरू होता है, उस दौरान जब द्वितीय विश्व युद्ध का तनाव बढ़ रहा था। 1938 में, यूरोप में युद्ध शुरू होने से कुछ महीने पहले, कुछ देश वेनिस फिल्म फेस्टिवल में भाग लेने के लिए इटली में इकट्ठे हुए, जो उस समय दुनिया के बहुत कम प्रतिस्पर्धी फिल्म समारोहों में से एक था, जिसमें यूएसए और यूरोप के कुछ देश शामिल हुए थे। इटली और जर्मनी पर क्रमशः बेनिटो मुसोलिनी और एडॉल्फ हिटलर की फासीवादी पार्टियों का शासन था।
जब सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार देने का समय आया, तो जूरी एक अमेरिकी फिल्म के लिए अपनी पसंद में एकमत थी। कान्स की वेबसाइट के मुताबिक "हिटलर के दबाव में निर्देशक लेनि रिफेनस्टाल की नाजी प्रचार फिल्म 'ओलंपिया' और निर्देशक गोफ्रेडो एलेसेंड्रिनी की पायलट इतालवी फिल्म 'लुसियानो सेरा' ने मुसोलिनी कप हासिल किया।" राइफेनस्टाल ने हिटलर के नाजी शासन के लिए प्रचार फिल्में बनाईं।

यूके, यूएसए और फ्रांस ने इसके बाद इस कार्यक्रम को छोड़ दिया। फ्रांसीसी प्रतिनिधि फ़िलिप एर्लांगर ने एक विकल्प के रूप में एक फ्रांसीसी कार्यक्रम शुरू करने की योजना बनाई। फ्रांसीसी विदेश मंत्री, जॉर्जेस बोनट, फ्रेंको-इतालवी संबंधों को लेकर चिंतित थे, लेकिन शिक्षा मंत्री जीन ज़े और आंतरिक मंत्री अल्बर्ट सरौत ने यूरोप के लिए एक फिल्म समारोह के विचार का समर्थन किया जिसमें कला राजनीतिक पैंतरेबाज़ी से प्रभावित नहीं होगी।
इस तरह, 1939 में, अमेरिका जैसे देशों के समर्थन से एक फ़िल्म फेस्टिवल के शुरू करने की घोषणा की गई। विवाद के शहरों में कान, फ्रांस के दक्षिणी सिरे पर एक तटीय शहर था, जिसके लिए एक रिसॉर्ट शहर के रूप में स्थानीय होटल व्यवसायियों और व्यापारियों ने पैरवी की और इसके बाद चुना गया था।
लेकिन यूरोप में युद्ध के कारण तनाव पहले फेस्टिवल को 1946 में करने की बात की गई, जिसमें किर्क डगलस, सोफिया लॉरेन, ग्रेस केली, ब्रिगिट बार्डोट, कैरी ग्रांट, जीना लोलोब्रिगिडा और चित्रकार पाब्लो पिकासो जैसे सितारों ने हिस्सा लिया। इसमें 19 देशों और एक अंतरराष्ट्रीय जूरी को शामिल किया गया था।

कान्स कैसे लोकप्रिय हुआ?
पहले कुछ एडिशन्स में फिल्मों से हटके मनोरंजन के कई ऑप्शन्स शामिल किए गए। परेड, समुद्र तटों पर आतिशबाजी और हवा में कबूतर छोड़े गए। आजकल, अवार्ड्स के अलावा फेस्टिवल में म्यूजिक प्रोग्राम, रेड कार्पेट व फिल्म स्क्रीनिंग भी होती है। इनमें से लगभग सभी इनवाइट ओनली प्रोग्राम होते हैं और फिल्म उद्योग से चुने गए लोगों तक ही सीमित रहते हैं।
दुनिया के चारों कोनों से सितारों का इस फेस्टिवल में शामिल होने और बड़े-बड़े डिजाइनर्स की ड्रेसेस में रेड कारपेट की शोभा बढ़ाने से जल्द ही यह फेस्टिवल विश्व प्रसिद्ध हो गया।

उदाहरण के लिए, ऐश्वर्या राय ने पहली बार 2002 में अपनी फिल्म देवदास के प्रीमियर के लिए कान्स में भाग लिया था। तब से, वह ब्यूटी ब्रांड लॉरियल की ग्लोबल एम्बेसेडर के रूप में इसमें कई बार शामिल हुई हैं।
इस साल भारत से कौन हुआ शामिल?
कान्स इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल 2023 की शुरुआत हो चुकी है। सोशल मीडिया पर इस इवेंट की कई तस्वीरें और वीडियो वायरल हो रहे हैं। भारत से भी कई सितारे फ्रांस में हो रहे इवेंट में पहुंचे। इस साल अभी तक सारा अली खान, मानुषी छिल्लर और ईशा गुप्ता के कान्स डेब्यू की तस्वीरें सामने आ चुकी हैं जिसमें वह रेड कार्पेट पर फैशन का जलवा बिखेरती दिख रही हैं।

उर्वशी रौतेला भी 16 मई को कान्स फिल्म फेस्टिवल 2023 के रेड कार्पेट पर कहर ढहाने से पीछे नहीं हटीं। उर्वशी ने एक गुलाबी गाउन पहना था जिसमें फ्लोरल रफल्स की टियर लेयर्स थीं। उन्होंने अपने लुक को एक स्टेटमेंट नेकपीस से एक्सेसराइज किया। उन्होंने नेकपीस के साथ सेम डिजाइन वाले हूप्स भी पहने हुए थे।
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